120 बी के तहत तीनों दोषियों को 5 साल की सजा भी।
 – बीते कल पांच आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल।  कनीना क्षेत्र के बहुचर्चित गैंगरेप में 3 आरोपियों को शुक्रवार को अदालत ने 20-20 साल का कठोर कारावास और 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा का ऐलान किया है। इसके अतिरिक्त अभियुक्तों को 120 बी के तहत 5_ 5 साल का कारवास सुनाया गया। बीते वीरवार को अदालत ने 5 आरोपियों को बरी किया । पीड़िता को 500000 मुआवजा देने के भीआदेश किए है।

 गत  2018 को 12 सितम्बर को पीड़िता अपने पिता के साथ स्कूल बस में सवार होकर कोचिंग के लिए आई थी। जो बस स्टैंड से बस से उतरकर अपने कोचिंग सेंटर जा रही थी तो उन्हीं के गांव के पंकज पुत्र बालकिशन तथा मनीष पुत्र ओम प्रकाश रास्ते में मिले।

 उन्होंने पीड़िता को पानी में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश कर दिया। जिसके बाद उसे एक गाड़ी में बिठाकर एक कुआ पर लेकर गये। जहां पर दोषियों ने पंकज, नवीन और निशू इन तीनों व्यक्तियों ने पीड़िता के साथ गैंगरेप किया। गैंगरेप के बाद पीड़िता की हालत खराब हो जाने का पर इन लोगों ने गांव के ही एक चिकित्सक संजीव को घटनास्थल पर बुलाया। चिकित्सक ने पीड़िता का प्राथमिक उपचार देकर मौके से चला गया। आरोपी दीनदयाल पर आईपीसी की धारा 118 व 120 बी का चार्ज किया गया था। उस पर आरोप था कि जिस ट्यूबेल पर गैंगरेप हुआ है। वह उसका है इसके अलावा संजीव पर धारा 118 आईपीसी नवीन पर 202 आईपीसी तथा अभिषेक व मनजीत को मनीष व पंकज को शरण देने यानी आईपीसी की धारा 216 के तहत चार्ज फ्रेम किया गया था । प्रॉसीक्यूशन कुल 33 गवाहों को अदालत के समक्ष पेश किया। सभी गवाहों ने प्रॉसीक्यूशन को सपोर्ट किया।

 दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद महिलाओं के विरुद्ध अपराध की स्पेशल कोर्ट की इंचार्ज एडीशनल सेशन जज मोना सिंह की अदालत ने तीन मुख्य आरोपियों मनीष, पंकज व नीशु को गत वीरवार को गैंग रेप का दोषी करार दिया  तथा बाकी पांच अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। शुक्रवार को अदालत ने तीनों अभियुक्तों को गैंग रेप के आरोप में 20-20 वर्ष के कठोर कारावास के साथ 20 _ 20 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई इसके साथ 120 बी के तहत तीनों अभियुक्तों को 5_5 साल की सजा सुनाई दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि घटना घटित होने के बाद भी पीड़िता की शिकायत पर कनीना पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया था। पीड़िता की स्थिति बिगड़ने पर उसे रेवाड़ी अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया और वहीं पर जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला मीडिया में आने के बाद आनन-फानन से मामला दर्ज किया गया और दिनेश दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी की गई।

जिन पर गैंगरेप का आरोप नहीं था उन्हें अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इस केस में शिकायतकर्ता को न्याय दिलवाने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं चेयरमैन ने कर्ण सिंह यादव एडवोकेट को उपरोक्त केस की पैरवी पीड़ित पक्ष की तरफ से करने के लिए नियुक्त किया था। जिस पर पीड़ित पक्ष की पैरवी करते हैं करण सिंह ने उपरोक्त मुकदमा की पैरवी की। करण सिंह यादव ने बताया कि यह केस उन्होंने निशुल्क लड़ा है और वह अदालत के निर्णय से संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि न्याय में कुछ देरी करो ना के चलते हुई पर वह अदालत के न्याय से खुश है।

उन्होंने बताया की अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पीड़िता को ₹500000 का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। पीड़िता के वकील करण सिंह यादव ने सरकार से मांग की है कि पीड़िता के माता-पिता को भविष्य में भी सुरक्षा जारी रखा जाए जो वर्तमान में दी जा रही है।

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