Category: विचार

बाजारीकरण की भेंट चढ़े हमारे सामाजिक त्यौहार ……

हिंदुस्तान त्योहारों का देश है। त्यौहार हमको सामाजिक और संस्कारिक रूप से जोड़ने का काम करते हैं। हमारी सांस्कृतिक और संस्कारिक एकता ही भारत की अखंडता का मूल आधार है।…

जलते है केवल पुतले, रावण बढ़ते जा रहे ?

दशहरे पर रावण का दहन एक ट्रेंड बन गया है। लोग इससे सबक नहीं लेते। रावण दहन की संख्या बढ़ाने से किसी तरह का फायदा नहीं होगा। लोग इसे मनोरंजन…

डिजिटल दुनिया में क्या देख रहे हैं आपके बच्चे?

बच्चों के लिए साइबर सुरक्षा आधुनिक पेरेंटिंग का एक अनिवार्य हिस्सा डिजिटल युग में, ऑनलाइन सुरक्षा और बच्चों के सूचना तक पहुँच के अधिकार के बीच संतुलन बनाना एक जटिल…

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कराने से क्या बदलाव आएगा?

एक राष्ट्र एक चुनाव के संभावित लाभों के बावजूद, आलोचकों ने लोकतांत्रिक भावना, स्थानीय चिंताओं पर राष्ट्रीय मुद्दों के प्रभुत्व तथा संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता के बारे में चिंता व्यक्त…

मंदिर के लड्डुओं में चर्बी ?

-कमलेश भारतीय देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी अर्पित किये जाने वाले लड्डुओं में घटिया सामग्री और प्रतिबंधित पशु के मांस की चर्बी के कथित उपयोग को…

कौन करवाता है योजनाबद्ध धर्मांतरण

भारत के प्रत्येक नागरिक को किसी धर्म को मानने या ना मानने या फिर किसी भी धर्म से जुड़ने का अधिकार तो संविधान देता है, पर किसी प्रलोभन या ग़लतफ़हमी…

हिन्दी: कब बनेगी हमारी राष्ट्रभाषा ?

भारत एक विविधताओं का देश है और यही इसकी सबसे बड़ी पहचान है। यहां अनेक भाषाएं और बोलियां बोली, लिखी और पढ़ी जाती हैं। ऐसे में किसी भी एक भाषा…

हरियाणा में एक और दंगल …….

-कमलेश भारतीय एक ‘दंगल’ फिल्म वह थी जो आमिर खान ने बनाई थी, जिसमें बलाली की पहलवान बहनों और उनके कोच व पापा महावीर फौगाट की कहानी से यह संदेश…

इमरजेंसी, दुष्कर्म और मान का बयान ……

-कमलेश भारतीय भाजपा सांसद व फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत अपनी नयी फिल्म ‘इमरजेंसी’ और किसान आंदोलन पर दिये विवादास्पद बयान से चौतरफा घिर गयी हैं ! जहां तक कि भाजपा…