सर्वप्रथम 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फार्मूला पेश किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी त्रिभाषा सूत्र को लागू करने पर जोर दिया गया। इसके अनुसार भारत में प्रत्येक छात्र को तीन भाषाएँ सीखनी चाहिए। इनमें से दो मूल भारतीय भाषाएँ होनी चाहिए। एक क्षेत्रीय भाषा शामिल होनी चाहिए। राजकीय और निजी दोनों जगह शिक्षा का माध्यम तीनों भाषाओं में से कोई भी हो सकता है। त्रिभाषा सूत्र का प्राथमिक उद्देश्य भारत में बहुभाषावाद को बढ़ावा देना और छात्रों को देश भर में प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम बनाना माना गया है। इसका एक और उद्देश्य छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं से परिचित कराने के साथ-साथ भाषाई विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकीकरण को मजबूत करना भी है। सुशील कुमार ‘ नवीन ‘ एक पुरानी कहावत है कि चित भी मेरी और पट भी मेरी। अर्थात् हर तरफ से मेरा ही लाभ। नीचे(राज्य)भी अपनी सरकार और ऊपर (केंद्र) भी अपनी सरकार। नीचे मांग करने वाले खुश और ऊपर देने वाले खुश। जब समय और स्थिति अनुकूल हो तो किसी योजना या आदेश के क्रियान्वयन में देरी उसकी महता को कम कर देती है। ठीक ऐसी ही स्थिति नई शिक्षा नीति 2020 के तहत हरियाणा की स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा सूत्र के लागू करने में हो रही देरी है। केंद्र की प्रत्येक योजना को लागू करने में हरियाणा पिछले दस वर्षों में अग्रणी है। चाहे बात अन्तोदय की हो या फिर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की। या फिर आयुष्मान भारत की हो। केंद्र की लगभग सभी योजनाओं को प्रदेश की भाजपा सरकार पिछले दस वर्षों से लगातार लागू कर अग्रणी बनी हुई है। केंद्र द्वारा स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा सूत्र लागू करने की पहल में भी हरियाणा ने सबसे पहले घोड़े दौड़ाने शुरू किए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 की सभी नीतियों को आधार मानते हुए हरियाणा सरकार ने उन्हें राज्य में लागू करने को प्राथमिकता भी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होते ही राज्य में सभी स्तर पर इसके क्रियान्वयन के लिए विभिन्न समितियां गठित की गई थी। खास बात यह है कि हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया। जुलाई, 2023 को डॉ.के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विद्यालय शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 प्रस्तुत किया गया था। इसके तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कमांक 4.13 में तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 क्रमांक 2.34.2 में माध्यमिक स्तर पर त्रिभाषा को लागू किए जाने की बात बनी। इस संदर्भ में हरियाणा सरकार द्वारा सबसे पहले पहल की। निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरियाणा, पंचकूला ने 12 जनवरी को एससीईआरटी निदेशक की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया। इसकी बैठक 06 फरवरी 2024 को शिक्षा सदन, पंचकूला में हुई। इसी बैठक की निरन्तरता में आभासीय बैठक का भी आयोजन किया गया। इसमें समिति के सभी सदस्यों द्वारा त्रिभाषा को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 ( एनसीएफ फॉर स्कूल एजुकेशन) की संरचना के अनुरूप लागू करने के लिए वर्तमान व भविष्य की सभी संभावनाओं विचार किया गया। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि हरियाणा राज्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 में दिए गए भाषा संबंधी सभी प्रावधानों के अनुरूप त्रिभाषा सूत्र को लागू करने पर सहमति भी बनी। समिति द्वारा एकमत से यह निर्णय लिया गया कि माध्यमिक स्तर पर त्रिभाषा सूत्र को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया जाना चाहिए। ऐसा तत्काल करने पर हरियाणा राज्य त्रिभाषा सूत्र को माध्यमिक स्तर पर लागू करने वाला प्रथम राज्य बन जाएगा। बैठक के अनुसार प्रथम भाषा के रूप में हिन्दी, द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी तथा तृतीय भाषा के विकल्प के रूप में संस्कृत, पंजाबी और उर्दू में से किसी भी विकल्प को लिया जाए। भाषा अध्ययन में मूल्यांकन करते समय प्रायोगिक अंको का भी प्रावधान किए जाने पर भी बात हुई ताकि विद्यार्थी भाषा के प्रायोगिक पक्ष को भी व्यवहार मे धारण कर सकें तथा भाषा की गहनता से अवगत हो सकें। कक्षा नौवीं एवं दसवीं में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 की अनुपालना में त्रिभाषा सूत्र को लागू करने हेतु हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड दिनांक 8 नवम्बर 2023 को एकेडमी अफेयर कमेटी में पास कर चुका है। शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार द्वारा 12 जनवरी को निदेशक एससीईआरटी की अध्यक्षता में त्रिभाषा सूत्र लागू करने हेतु एक कमेटी गठित की गई। निदेशक द्वारा 10 सदस्यों की कमेटी में कई बैठकों का आयोजन करके त्रिभाषा सूत्र को तत्काल लागू करने हेतु रिपोर्ट 26 मार्च 2024 को निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरियाणा को भेजी हुई है। परंतु अब तक इसे धरातल पर पूर्ण रूप से लागू करने में रही देरी पचने लायक नहीं है। हरियाणा के संस्कृत शिक्षक संगठन, संस्कृत अकादमी, संस्कृत भारती पिछले कुछ समय से लगातार इसे लागू करवाने को प्रयासरत है। इस बारे में विभिन्न बैठकों, सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। चुनाव से पूर्व मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी सरकार के कार्यकाल में भी इसके लिए मुलाकातें की गई। सरकार द्वारा इस बारे में एससीईआरटी निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट मार्च में भेजी जा चुकी है। आचार संहिता से पूर्व इस पर लागू होने की मोहर लगने की पूरी उम्मीद थी। सरकार गठन हुए एक माह होने को है। अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसे लागू करवाने में कोई ढील न रहने पाए इसके लिए अब त्रिभाषा हरियाणा हैशटैग की मुहिम के साथ मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को हजारों की संख्या में मेल भेजी गई हैं। इसके तहत सरकार से त्रिभाषा को तुरंत प्रभाव से कक्षा नौवीं एवं दसवीं में लागू किए जाने की मांग की गई है। त्रिभाषा सूत्र के लागू होने से संस्कृत, पंजाबी, उर्दू तीनों भाषाओं को सीधा फायदा होगा। संस्कृत में एक प्रसिद्ध सूक्ति है। अप्राप्यं नाम नेहास्ति धीरस्य व्यवसायिनः। अर्थात् जिस व्यक्ति में साहस और लगन है उसके लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं है। तो फिर देरी क्यों? नायब सैनी जी उठाएं कलम और लगा दें स्वीकृति का ठप्पा। शकील आजमी की इन पंक्तियों की गहराई पर विचारहो तो इसे लागू करने में अब देरी नहीं होगी। हार हो जाती है जब मान लिया जाता हैजीत तब होती है जब ठान लिया जाता है। Post navigation बाजारीकरण की भेंट चढ़े हमारे सामाजिक त्यौहार ……