Tag: डा. सुरेश वशिष्ठ

लघु कहानी : नींद से जाग,डा. सुरेश वशिष्ठ

नींद से जाग अजीब लगता है ये शहर। इसके बाशिन्दे और इसके आसमान पर छाए बुलन्द सितारे ! सभी घृणित बिन्दु लगते हैं। आभास होता है कि रास्ता भटक गया…

लघु कहानी: परिभाषा

डा. सुरेश वशिष्ठ बादलों की विस्फोटक गड़गड़ाहट से सुरेशानन्द की तंद्रा टूटी । अतीत की यादों से बाहर निकले सुरेशानन्द ! बरसात की नुपूर-ध्वनि कानों में पड़ी तो संगीत की…

लघुकथा : बावरा

डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम मेरी आकांक्षाओं और पिपासित होठों को उसने शांत कर दिया । जीवन में खुशी का अविरल स्रोत बहने लगा । तूफान, उसे मिलने के बाद ठहर…

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