गुडग़ांव। साहित्य लघु कहानी : नींद से जाग,डा. सुरेश वशिष्ठ 25/11/2020 Rishi Prakash Kaushik नींद से जाग अजीब लगता है ये शहर। इसके बाशिन्दे और इसके आसमान पर छाए बुलन्द सितारे ! सभी घृणित बिन्दु लगते हैं। आभास होता है कि रास्ता भटक गया…
गुडग़ांव। साहित्य लघु कहानी: परिभाषा 24/09/2020 Rishi Prakash Kaushik डा. सुरेश वशिष्ठ बादलों की विस्फोटक गड़गड़ाहट से सुरेशानन्द की तंद्रा टूटी । अतीत की यादों से बाहर निकले सुरेशानन्द ! बरसात की नुपूर-ध्वनि कानों में पड़ी तो संगीत की…
गुडग़ांव। साहित्य लघुकथा : बावरा 12/09/2020 Rishi Prakash Kaushik डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम मेरी आकांक्षाओं और पिपासित होठों को उसने शांत कर दिया । जीवन में खुशी का अविरल स्रोत बहने लगा । तूफान, उसे मिलने के बाद ठहर…