Tag: डॉ सत्यवान सौरभ

अपनों से बेईमानी, पतन की निशानी

हम दूसरों की आर्थिक स्थिति पर ज्यादा ध्यान देते हैं। अपनी स्थिति से असंतुष्टि ही हमें बेईमानी की तरफ धकेलती है। गरीब लोग अमीर बनने के चक्कर में और अमीर…

पर्यावरण को बचाने के लिए पंचामृत मंत्र

भारत ने अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं पर मजबूत प्रगति की है और बढ़ती महत्वाकांक्षा और कम कार्बन वाले भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हितधारक बना हुआ है।…

टेलीविजन और सिनेमा के साथ जुड़े राष्ट्रीय हित

टेलीविजन और सिनेमा में कुछ विषय या कहानियां लोगों को एक साथ ला सकती हैं और उन्हें धर्म, जाति और समाज को विभाजित करने वाली ऐसी अन्य गलत रेखाओं से…

29 सितंबर- विश्व हृदय दिवस 2022 …….. युवाओं में दिल का दौरा, भारत के हृदय पर बोझ

प्रत्येक व्यक्ति को हर साल कम से कम एक ईसीजी करवाना चाहिए। संदेह का एक सूचकांक उठाया जाना चाहिए और विभिन्न स्तरों पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।…

22 सितंबर – रोज डे (कैंसर रोगियों का कल्याण)

भारत में कैंसर के बढ़ते मामले, समाज के स्वास्थ्य पर बोझ लोगों को अपने खान-पान के प्रति सचेत रहना चाहिए और किसी न किसी प्रकार का व्यायाम नियमित रूप से…

हमें सॉफ्ट पुलिसिंग की आवश्यकता क्यों है?

समाज की सेवा व सुरक्षा के लिए व्यवस्थित की गई पुलिस हर जगह अपनी भद्द पिटाती रहती है। इसका मुख्य कारण यही रहा है कि समाज के लोगों, विशेषत: गांवों,…

12 सितंबर – दादा-दादी दिवस…….दादा-दादी की भव्यता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

–डॉ सत्यवान सौरभ दादा-दादी बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं, जिनके साथ वे अपने रहस्यों को खुलकर साझा कर सकते हैं। दादा-दादी भगवान का एक उपहार है जिसे हमें…

10 सितंबर – विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस विशेष ……. आत्महत्या मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण क्यों है ?

अब समय आ गया है कि हम अपने शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को नए अर्थों, जीवन जीने के नए विचारों और नई संभावनाओं को संजोने के तरीकों से नए सिरे से…

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस विशेष……. स्कूल न जाने वाले बच्चों में लड़कियों का आज भी बड़ा हिस्सा।

हाई स्कूल के बाद 50 प्रतिशत लड़कियों की शादी हो जाती है और बाकी 12वीं में आ जाती हैं। इसके बाद इनमें से लगभग 25 प्रतिशत लड़कियाँ कॉलेज में दाखिला…

एक शिक्षक, सैंकड़ों ड्यूटी, लाखों खाली पद, कैसे बदलेगी बच्चों की दुनिया?

एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब, एक कलम दुनिया बदल सकती है। भारत में वर्तमान शिक्षक अपने लक्ष्यों को कवर करने में असमर्थ है। क्योंकि एक शिक्षक और सैंकड़ों ड्यूटी,…

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