अमृत महोत्सव के जश्न में डूबे, कहाँ खड़े हैं आज हम ?
विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है.…
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विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है.…
-कमलेश भारतीय भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े गर्व से कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो लोकतंत्र की कोख से जन्मी है न कि परिवारवाद…
–कमलेश भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने न केवल सत्ता बल्कि मीडिया को भी आइना दिखा दिया । यह फैसले की घड़ी आई मलयाली न्यूज चैनल पर केंद्र द्वारा रोक लगाने पर…
-कमलेश भारतीय यह लोकतंत्र जरूर है लेकिन फर्क है और सबके लिये अलग अलग लोकतंत्र है ! समाचार पत्र के पन्ने पलटने से पता चल रहा है कि दिल्ली के…
स्वतंत्र, कानून का पालन करने वाले संस्थान आवश्यक जांच और संतुलन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मजबूत और लचीले लोकतंत्रों के लिए अंतिम आधार प्रदान करते हैं।…
हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व स्तंभकार भारतीय जनचेतना के शिखर पुरुष, राजनैतिक शुचिता एवं जन-गण की प्रखर आवाज राष्ट्रधर्म के संवाहक, भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई हमारे बीच…
टेलीविजन और सिनेमा में कुछ विषय या कहानियां लोगों को एक साथ ला सकती हैं और उन्हें धर्म, जाति और समाज को विभाजित करने वाली ऐसी अन्य गलत रेखाओं से…
सैद्धांतिक रूप से यह जितना आदर्श से युक्त है, व्यवहार में इसका अनुपालन कम ही होता दिखाई देता है। जातिवाद, क्षेत्रवाद, बाहुबल और धनबल के रसूख से भरे चुनावी अभियान…
महिलाओं तथा दूसरे पिछड़े और हाशिये पर खड़े समाज के सशक्तिकरण जैसी उपलब्धियों के बावजूद विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया काफी धीमी, सुस्त और असंतोषजनक है। इन संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया…
योगेन्द्र यादव यात्रा कैसी चल रही है? कुछ असर दिखाई दिया? चुनाव में फायदा होगा? कुछ हासिल होगा भी या नहीं? जब से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कन्याकुमारी से रवाना हुई…