Tag: कमलेश भारतीय

मेरी यादों में जालंधर- भाग अट्ठाइस ……. राहों पे नज़र और होंठों पर दुआ…

-कमलेश भारतीय समय के साथ साथ कैसे व्यक्ति ऊपर की सीढ़ियां चढ़ता है, यह देखना समझना हो तो आजकल ‘जनसत्ता’ के संपादक मुकेश भारद्वाज को देखिए ! मुकेश भारद्वाज को…

डाॅ कमल गुप्ता का कहना ………. मुश्किलें इतनी पड़ीं कि आसान हो गयीं, कोशिशों में कमी नहीं पर..

कमलेश भारतीय हिसार के विधायक व हरियाणा के स्थानीय निकाय मंत्री डाॅ कमल गुप्ता ने आज लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में इस वर्ष का पहला संवाददाता सम्मेलन आमंत्रित किया…

जन संदेश यात्रा ………… लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया नीतिश ने : सैलजा

कमलेश भारतीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने जो पल्टी मारी है, वह लोकतंत्र का मज़ाक है। यह लोकतांत्रिक परंपराओं की भी गिरावट है। यही नहीं यह अवसरवादिता की राजनीति…

मेरी यादों में जालंधर- भाग चौबीस : हरियाणा से जुड़ा हिसार के रिपोर्टर से पहले रिश्ता….

कमलेश भारतीय फिर एक नया दिन, फिर एक न एक पुरानी याद ! पंजाब विश्विद्यालय की कवरेज के दिनों एक बार छात्रायें अपनी हाॅस्टल की वार्डन के खिलाफ कुलपति कार्यालय…

मोक्षाश्रम यहाँ दुखों की पोटलियां सुखों में बदल जाती हैं …..

कमलेश भारतीय मैं बात करने जा रहा हूँ – कैमरी रोड स्थित मोक्षाश्रम की, जिसकी संचालिका प्रसिद्ध समाजसेविका पंकज संधीर हैं और इसके अध्यक्ष हैं विजय भृगु । वैसे तो…

मेरी यादों में जालंधर – भाग तेइस : वह पहली कहानी के छपने की पुलक…

कमलेश भारतीय यादें भी क्या हैं, आती हैं तो आती ही चली आती हैं, इनका न कोई ओर, न कोई छोर! जैसे पतंग उड़ाने वाली डोर की चरखड़ी, जो लगातार…

मेरी यादों में जालंधर – भाग बाइस : आजकल पासबुक से बड़ी कोई बुक नहीं….

कमलेश भारतीय मित्रो, चल रहा हूँ, यादों की पगडंडियों पर – बिल्कुल बेखबर कि ये मुझे कहां ले जाने वाली हैं पर मैं डरते-डरते चलता जा रहा हूँ । आज…

जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज…..

कमलेश भारतीय यादों से घिरा रहता हूँ, सुबह शाम ! जब जब यादें आती हैं, कितने खट्टे मीठे अनुभव याद कराती हैं और यह भी कि वक्त क्या क्या दिन…

मेरी यादों में जालंधर – भाग बीस …….. कुमार विकल मैं बहुत उदास हूँ !

कमलेश भारतीय जब जालंधर की यादें लिखनी शुरू की थीं, तब लगता था कि दो चार दिन लिखकर आपसे विदा ले लूंगा लेकिन यादें जालंधर से चलती हुईं मुझे न…

मेरी यादों में जालंधर – भाग उन्नीस ………… किताबें उधार लेकर क्यों पढ़ें ?

कमलेश भारतीय वैसे तो यादों की पिटारी किसी की कभी खत्म नहीं होती, लेकिन क्या क्या, कहाँ छिपा हुआ है , किस कोने में छिपा है, यह खुद पिटारी रखने…