-कमलेश भारतीय सबसे ताज़ा खबर कभी कांग्रेस के सांसद रहे गोविंदा मुम्बई में शिवसेना शिंदे में शामिल हो गये यानी विरार के छोरे ने फिर राजनीति का दामन थाम लिया । जब कांग्रेस के सासद बने थे, तब से इनका फिल्मी करियर ढलान पर आ गया था और सिर्फ रियल्टी शोज में ठुमके लगाते नज़र आने लगे थे यानी न राजनीति के रहे थे और न ही फिल्म के । आखिर फिर से राजनीति की गलियों में कदम रख ही दिया। जाहिर है कि विरार का छोरा चुनाव मैदान में भी उतरेगा । चर्चा गर्म है कि कपूर बहनें यानी करिश्मा और करीना कपूर भी जल्द शिवसेना शिंदे में शामिल होंगीं । इस तरह राजनीति और फिल्म का संगम जारी है, पूरा मामला ही फिल्मी होने जा रहा है और होता जा रहा है । गोविंदा और करिश्मा कपूर की हिट जोड़ी अब राजनीति में भी हिट होगी कि नहीं? यों तो फिल्मी दुनिया से इनसे पहले ही इस बार कंगना रानौत और अरूण गोविल राजनीति में पधार चुके हैं । कंगना अपने गृह राज्य हिमाचल के मंडी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर तो अरूण गोविल भी भाजपा टिकट पर मेरठ से मैदान में उतारे गये हैं। दिल्ली से इस बार सूफी गायक हंसराज ह़स की टिकट कट गयी है और क्रिकेटर गौतम गंभीर की भी टिकट कट गयी । गौतम गंभीर तो राजनीति के मैदान से सीधे आईपीएल के मैदान में चले गये । पंजाब से कांग्रेस नेता और एक समय मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार नवजोत सिद्धू भी आईपीएल में कमेंटेटर के तौर पर दिख रहे हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि न तो कांग्रेस हाईकमान को इनकी चिंता है और न ही नवजोत सिद्धू को राजनीति की कोई परवाह रह गयी है । इससे पहले भी जब नवजोत सिद्धू भाजपा में थे, तब बिग बाॅस के शो में चले गये थे, ऐसे लोगों को राजनीति में किसलिए महत्त्व दिया जा रहा है, यह अपने आप में सवाल है, जो राजनीति के प्रति गंभीर ही नहीं, जीतने के बाद जिनके दीदार को जनता तरस जाये तो ऐसे लोगों को स़सद भेजना जरूरी है क्या? हां, सुनील दत्त इसका श्रेष्ठ उदाहरण बने, जिन्होंने राजनीति की तरह राजनीति की लेकिन कांग्रेस ने उनको मुश्किल से केन्द्र में राज्यमंत्री ही बनाया । सुनील दत की बेटी प्रिया दत्त भी सांसद बनी लेकिन पिता का करिश्मा न दोहरा सकी । बामुलाहज़ा, होशियार, अभी और फिल्मी सितारे राजनीति के अंगने में आने वाले हैं । सभी राजनीतिक दल ज़ाल बिछाये बेठे हैं, कौन, किसके ज़ाल में फंसता है, यह देखना है । वैसे अभी दलबदल का खेल जारी है। देश की सबसे अमीर महिला, हमारे हिसार की गौरव व पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने आखिरकार भाजपा का कमल थाम ही लिया । अब भाजपा में सिर्फ अडाणी, थडाणी ही नहीं, जिंदल परिवार भी शामिल हो चुका है । पूरे दस साल चुनाव राजनीति से दूरी बनाकर रखंने के बाबजूद आखिर फिर राजनीति के अंगने में मां और बेटे नवीन जिंदल को आना ही पड़ा । नवीन जिंदल को तो भाजपा ने कुरूक्षेत्र से लोकसभा मैदान में भी उतार दिया है और सावित्री जिंदल का विधानसभा चुनाव में पता चलेगा कि वे चुनाव की राजनीति मे फिर से कदम रखती हैं या नहीं ? पंजाब में भी कांग्रेस को झटका लगा और आप को भी । कांग्रेस के सांसद रहे रवनीत बिट्टू और आप के जालंधर से सांसद रिंकू ने भाजपा मे आस्था जताई । तभी तो भाजपा के पंजाब प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पंजाब में भाजपा के अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है । जब प्रत्याशी आराम से मिल रहे हों तो फिर किसी के सहारे की जरूरत ही क्या ?चलिये, आराम करते हैं, आराम बड़ी चीज़ है, भाई… दलबदल का क्या रोना, यह दीमक तो सभी दलों को लग चुकी है, फिर आराम बड़ी चीज़ है या नहीं? -पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी9416047075 Post navigation स्कूलों को बंद करने की जिद छोड़े सरकार: नरेश सेलपाड़ 400 पार का नारा देने वाली भाजपा को कांग्रेस से उधार लेने पड़ रहे हैं अपने उम्मीदवार: अभय सिंह चौटाला