कमलेश भारतीय

क्या हरियाणा में छोटी पार्टियों की राजनीति खतरे में है? छोटी ही क्यों राष्ट्रीय पार्टी बसपा की राजनीति भी खतरे में पड़ गयी दिखाई दे रही है । एक समय था जब बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती से राखी बंधवाने के बहाने राजनीतिक गठबंधन को सभी लालायित रहते थे और वे भी कभी कभार हरियाणा आकर रैली कर जाती थीं लेकिन अब लोकसभा चुनाव में बसपा या इससे गठबंधन की कोई कोशिश करता दिखाई नहीं देता कोई चर्चा नहीं चल रही बसपा की । इनेलो ने घोषणा की है कि सभी दस की दस लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी । एक सौ एक एप्लीकेशन भी आ गयी हैं । क्या भाजपा एक समाज की वोट बांटने की चाल में सफल होगी ?

दूसरी ओर जजपा टूट की कगार पर खड़ी है, जिस दिन से भाजपा ने इसे गठबंधन से मुक्त किया है । दस में से पांच विधायक जजपा के नियंत्रण से बाहर हैं और चार तो नये मुख्यमंत्री नायब सिंह के शपथग्रहण समारोह में भी पहुँच गये थे । अब पांच विधायकों में पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, जोगीराम सिहाग, रामकुमार गौतम, रामनिवास सुरजाखेड़ा और ईश्वर सिंह शामिल हैं जो पार्टी और पार्टी नेतृत्व से दूरी बनाये हुए हैं । ये विधायक हिसार में डाॅ अजय चौटाला के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित नव संकल्प रैली मेंभी नदारद रहे यानी जजपा का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और गठबंधन टूटने के साथ साथ पार्टी भी टूट की कगार पर आ पहुंची है । इससे लगता है कि हरियाणा में छोटी पार्टियों का भविष्य खतरे में है ।

कभी पूर्व मुख्यमंत्री चौ बंसीलाल की पार्टी हविपा का विलय कांग्रेस में करना पड़ा था । ऐसे ही कभी पूर्व मुख्यमंत्री चौ भजनलाल के महत्वाकांक्षी बेटे कुलदीप बिश्नोई को अपनी पार्टी हजकां का विलय कांग्रेस में करना पड़ा था । पिछली बार इनेलो और जजपा अलग अलग अस्तित्व में आ गयीं और दसविधानसभा सीट जीतकर सत्ता की चाबी भी पा गयी और उपमुख्यमंत्री पद भी लेकिन अब राजनीतिक परिदृश्य बदल चुका है और अपने दस विधायकों को अपने साथ रखना टेढ़ा काम हो रहा है । कहीं हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार और मंत्रिपद पाने की लालसा जजपा की टूट का कारण न बन जाये !

एक ईंट क्या गिरी मेरे मकान की
लोगों ने आने जाने का रास्ता बना लिया !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।
9416047075

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