वेद धर्म के धरोहर हैं और विद्वान वेदों के रक्षक हैं : उपायुक्त मुकुल कुमार।
वेद सभी विद्याओं का आधार एवं शिरोमणि हैं : प्रो. सुरेंद्र मोहन मिश्र।
विश्व की सभी विद्याओं का आधार वेद हैं : प्रो. राम सलाही द्विवेदी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 26 अक्तूबर : जयराम विद्यापीठ में तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के दूसरे दिन कुरुक्षेत्र के उपायुक्त मुकुल कुमार विशेष तौर पर शिरकत करने पहुंचे। उपायुक्त मुकुल कुमार का श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी एवं विद्यापीठ के ट्रस्टियों व ब्रह्मचारियों ने किया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्तरीय वैदिक सम्मेलन के मंच पर उपायुक्त मुकुल कुमार को शाल डाल कर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने सम्मानित किया एवं देश के महान वेद ज्ञाताओं से परिचय करवाया।

उपायुक्त मुकुल कुमार ने कहा कि यह अद्भुत अवसर है कि धर्मनगरी एवं तीर्थों की संगम स्थली कुरुक्षेत्र में पहली बार विद्यापीठ में वेदों पर मंथन के लिए राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही सराहनीय कार्य है कि इस तरह का कार्यक्रम कुरुक्षेत्र की धरती पर आयोजित हुआ है। उपायुक्त ने कहा कि वेद धर्म की धरोहर हैं। वह वेदों और वेदों के महान ज्ञाताओं को नमन करने के लिए यहां आए हैं। आज इस धरोहर की रक्षा यह महान विद्वान ही कर रहे हैं। सभी धर्मों का मूल ही वेद हैं।

इससे पहले सम्मेलन के दूसरे दिन सुबह वेद शाखा प्राणायाम के उपरांत प्रथम सत्र में लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो. राम सलाही द्विवेदी सत्राध्यक्ष रहे व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. सुरेंद्र मोहन मिश्र ने मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की। मुख्य वक्ता प्रो. सुरेंद्र मोहन मिश्र ने कहा कि वेद ही सभी विद्याओं का मूल आधार एवं शिरोमणि हैं। .विश्व के सभी धर्म भी वेदों में ही निहित हैं। वैदिक सनातन पद्धति ही सबसे अधिक प्रतिष्ठित रही है लेकिन समय परिवर्तन के साथ वैदिक धरोहर की रक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष इन चारों पुरुषार्थ की रक्षा के वेदों को पढ़ना चाहिए।

प्रो. राम सलाही द्विवेदी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि वेदों की रक्षा के लिए पवित्रता का होना बहुत जरूरी है। पवित्रता के साथ सकारात्मकता भी आवश्यक है। वेदों से ही समाज को शक्ति एवं मार्ग मिलता है। प्रो. रामराज उपाध्याय ने कहा कि समय के साथ चाहे समाज में कितने भी परिवर्तन हों लेकिन वेदों के कभी नुकसान नहीं होता है बल्कि सही मार्ग मिलता है। इस अवसर पर प्रो. गोपाल प्रसाद शर्मा, प्रो. देवेंद्र प्रसाद मिश्र, डा. मदन मोहन तिवारी, डा. अरुण कुमार मिश्र व डा. अशोक कुमार मिश्र इत्यादि विद्वानों ने भी अपने वक्तव्य रखे।

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