देश की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हरियाणवी हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन।देश के महान वेदों के ज्ञाता एवं प्रकांड वेद विद्वानों ने उठाया हरियाणवी हास्य का आनंद।जयराम विद्यापीठ में आयोजित हुआ हरियाणवी हास्य कवि सम्मेलन। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 26 अक्तूबर : जयराम विद्यापीठ परिसर में देशभर में संचालित जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज की प्रेरणा से भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं संस्कृत भाषा के संरक्षण के साथ मानव कल्याण के लिए वेदों का मंथन एवं साक्षात्कार के लिए चारों वेदों के महान ज्ञाता व प्रकांड वेद विद्वान तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। सोमवार को देर सायं वैदिक सम्मेलन के दो सत्रों के उपरांत विद्यापीठ में भव्य हरियाणवी हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह हरियाणवी हास्य कवि सम्मेलन देश की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में वयोवृद्ध हरियाणवी कवि सत्यदेव सहित महेंद्र शर्मा, वी. एम. बैचेन, आलोक भण्डारिया, उत्तरप्रदेश से त्रिपाठी व प्रमुख हरियाणवी हास्य कलाकार डा. महावीर गुड्डू ने अपनी रचनाओं से मानवीय संवेदनाओं के साथ देशभक्ति का रंग बिखेरा। हरियाणवी हास्य कविताओं का देश के विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों ने खूब आनंद लिया और कवियों को सराहा। हास्य कवि सम्मेलन का शुभारम्भ श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के अध्यक्ष प्रो. प्रफुल्ल कुमार मिश्र, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय व सेवानिवृत आयुक्त टी. के. शर्मा ने किया। हास्य कवि सम्मेलन का मंच संचालन डा. महावीर गुड्डू ने किया और सभी कवियों को रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी कवि सम्मेलन के प्रारम्भ से पूर्व कहा कि सभी वेदों के ज्ञान के साथ जीवन में प्रसन्नता एवं हास्य का भी विशेष स्थान है। हास्य की कला हर इंसान के पास नहीं होती है। वह व्यक्ति समाज में बहुत अहम स्थान रखता है जो खुद भी अपने जीवन में प्रसन्नता के साथ दूसरों को खुशियां एवं हंसी प्रदान करता है। वयोवृद्ध हरियाणवी कवि सत्यदेव ने हरियाणवी संस्कृति की आधुनिक जीवन में महत्ता के साथ संस्कारों पर अपनी रचना माध्यम से भावनाएं रखी। हरियाणवी कवि महेंद्र शर्मा जो 15 वर्षों से लाल किले की प्राचीर से प्रस्तुति देते आए हैं उन्होंने बड़े ही सुंदर तरीके से राष्ट्रीयता पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कवि वी. एम. बेचैन ने मानवीय भावनाओं पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की तो आलोक भंडोरिया ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से आधुनिक जीवन पर अपनी व्यंग्य रचनाएं रखी। जबकि मंच संचालन कर रहे डा. महावीर गुड्डू ने बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ का महत्व बताया। उन्होंने देशभक्ति पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और उसमें भी हास्य रस भर दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों के साथ नगर के गणमान्य नागरिक एवं हास्य प्रेमी मौजूद रहे। अंत में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने सभी हास्य कवियों को सम्मानित किया। Post navigation राष्ट्रीय स्तरीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन में उपायुक्त मुकुल कुमार ने वेदों और वेदों के महान ज्ञाताओं को नमन किया। हमें देश में समस्या का नहीं बल्कि समाधान का हिस्सा बनना चाहिए : डा. संजीव कुमारी।