डीएपी किल्लत व बाजरे की एमएसपी पर खरीद ना होने के चलते किसान संगठन जय किसान आंदोलन के बैनर तले जय किसान आंदोलन ने प्रेस वार्ता की

भारत सारथी/ कौशिक
 नारनौल । रविवार को एक स्थानीय होटल में जय किसान आंदोलन के बैनर तले आयोजित की गई प्रेस वार्ता में नेता इंजीनियर तेजपाल यादव व संदीप यादव ने संबोधित किया। अहीरवाल क्षेत्र में डीएपी के लिए किसानों की हो रही मारामारी व इस इलाके की मुख्य खरीफ फसल बाजरे की एमएसपी पर खरीद ना होने के चलते आरोप लगाये ।  सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद् व जय किसान आंदोलन के नेता इंजीनियर तेजपाल यादव ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा सरकार किसानों क़ो दोनों हाथों से लूटने, ठगने व घुट-घुट कर मरने पर विवश कर रही है। इस इलाके के शांतिप्रिय स्वभाव  व अनुशासित लोगों का नाजायज फायदा उठा रही है, बड़े दुख व शर्म का विषय है कि सरसों की बिजाई लेट होती जा रही है व किसान खाद के लिए मारा मारा फिर रहा है। इसके अलावा “एमएसपी थी, है और रहेगी” का राग अलापने वाले भाजपा नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। जो नेता विधानसभा में सरकार का पक्ष रखते हुए अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति हेतु लंबी-लंबी डींग हांक रहे थे, वह बताएं कि कहां हो रही है बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी 2250 पर खरीद?  सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा की 80-80 साल के बुजुर्ग खाद के लिए धक्के खाते फिर रहे हैं, पुलिस लाइन के अंदर घंटों इंतजार करने पर विवश हैं। भाजपा के नेता क्या इन्हे भी नकली किसान कहेंगे?

उन्होंने कहा कि खाद की भारी किल्लत है, किसान सरसो बिजाई  में लेट हो रहा है! इसी समस्या के मद्देनजर 2 दिन पहले हमने कनीना-महेंद्रगढ़ रोड को भी जाम किया था, फिर भी कोई स्थाई समाधान नहीं किया गया!

जय किसान आंदोलन के हरियाणा प्रदेश प्रवक्ता संदीप यादव ने बताया कि खट्टर सरकार ने बाजरे के रकबे को घटाने के लिए मूँग को प्रोत्साहन दिया था और यह कहा था कि 4000 प्रोत्साहन राशि मूंग बोने वाले किसानों को प्रति एकड़ दिए जाएंगे, वह राशि भी किसानों को अब तक नहीं मिल पाई है।

संदीप यादव ने कहा कि न तो किसानों को बाजरे का 600 भावांतर मूल्य मिला और न सही दाम पर किसानों को बाजरे क़ा कोई खरीददार मिल रहा है। वह बाजरा 1000-1100 रुपए के भाव में पिट रहा है। इस बार बाजरा किसान को अनुमानित 639 करोड़ का नुकसान हुआ है। किसानों को समझ आ चुका हैं ये सरकार किसान हितेषी नही है। 

यादव ने सरकार को चेतावनी दी अगर सरकार जल्द खाद सभी किसानों को नही मुहैया करा पाती है बाजरे का एमएसपी 2250 मूल्य नही दे पाती है तो यहाँ का हर किसान गाँव-गाँव मे बीजेपी व जजपा के नेताओं मंत्रियों, और मुख्यमंत्री का खुल कर विरोध करेगा और काले झण्डे दिखायेगा।

उन्होंने बताया दीवाली से पहले राष्ट्रीय किसान नेता योगेंद्र यादव हर साल की तरह गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले की मंडियों का दौरा करगे, किसानों से मुलाकात करेंगे। योगेंद्र यादव हरियाणा सरकार व मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर भावन्तर मुल्य को 600 रु से 1000 रु बढ़ाने की मांग कर चुके है।

जय किसान आंदोलन के नेता इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि हमारा संगठन जय किसान आंदोलन हमारे राष्ट्रीय किसान नेता योगेंद्र यादव जी के नेतृत्व में व उपाध्यक्ष दीपक लांबा जी के मार्गदर्शन में पूरे देश भर में किसानों के हक-हकूक के लिये निरंतर आवाज उठा रहा है । इसी कड़ी में यह प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि किसान एक ऐसा वर्ग, ऐसा समूह है जो कि न तो किसी जाति से बंधा है, न किसी धर्म से बंधा है।  देश की 135 करोड़ आबादी में गांव में बसने वाले 36 बिरादरी के लोग किसानी करते हैं व प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से किसानी से जुड़े हुए हैं और किसान जो सर्दी, गर्मी, प्राकृतिक आपदा जैसी तमाम चुनौतियों से जूझते हुए पूरे देश का पेट भरने के लिए अन्न उगाता है जो कि सही मायनों में देश की रीड की हड्डी है, उसको खाद के लिए मारा मारा घुमाकर उसी रीड की हड्डी को भाजपा सरकार तोड़ना चाह रही है।  इंजीनियर यादव ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब हरियाणा प्रदेश में डीएपी की डिमांड लगभग 3 लाख मीट्रिक टन की है जबकि शेष स्टॉक सरकार के पास लगभग 71000 मीट्रिक टन के आसपास ही बचा है! तो स्थिति साफ है कि जो सरकार बार-बार कहती है कि डीएपी पर लागत 2200-2300 रुपए है तो सरकार जो सब्सिडी किसान को देती है, उससे बचने के लिए सरकार जानबूझकर डीएपी खाद की किल्लत पैदा करने की जिम्मेवार है! डीएपी की जितनी डिमांड होती है, उस डिमांड की पूर्ति करना सरकार की जिम्मेदारी है जो कि सरकार ने नही की!

     इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि सरकार की मंशा ही किसान को खाद उपलब्ध करवाने की नहीं है, जिस तरह से गैस की सब्सिडी को खत्म कर दिया गया और तमाम गरीबों व आमजन के ऊपर चोट की जा रही है, उसी तरह सरकार खाद की सब्सिडी को खत्म करना चाह रही है व सरकार किसान को लाचार, बेबस बनाने पर मजबूर कर रही है। दूसरी तरफ सरकार ने पिछली दफा भी खाद की कीमत बढ़ाने का प्रयास किया था, लेकिन देशव्यापी चल रहे किसान आंदोलन के दबाव के आगे सरकार बेबस व लाचार महसूस कर रही है। उसी के चलते अप्रत्यक्ष तौर पर आज किसान को परेशान किया जा रहा है जो भाजपा के नेता बार-बार एमएसपी पर बाजरे की खरीद व खाद की किल्लत पर कुछ भी बोलने से गुरेज कर रहे हैं उन्हें हम कहना चाहते हैं कि वह सरकार व अपनी सत्ता से बाहर आकर जनहित में किसान की आवाज उठाने का प्रयास करें। 

दूसरी ओर अहीरवाल क्षेत्र के किसानों से बड़े ही भावुक व विनम्रता से अपील करते हुए इंजीनियर तेजपाल ने कहा कि मैं अपने इलाके के लोगों से अपील करना चाहता हूं कि बड़े शर्म की बात है कि इस तरह से थानों में बैठाकर हमारी माताओं बहनों और बुजुर्गों को खाद दिया जा रहा है। यह आजादी के बाद हमारा पहला सबसे बड़ा अपमान है और आप इस देशव्यापी किसान आंदोलन को मजबूत बनाएं जो 11 महीने से न केवल किसानों की कमजोर, कमेरे, मजदूर और देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है। इसमें हमारा संगठन जय किसान आन्दोलन भी एक अहम भूमिका निभा रहा है और पूरे देश के किसान संगठन इस लड़ाई को लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का सीधा एजेंडा है- किसान व मध्यम वर्ग की कमर को तोड़ना। क्योंकि मध्यमवर्ग व किसान ही अपने हक व अधिकार की आवाज को बुलंद करता है। भाजपा सरकार बड़े बड़े पूंजीपतियों का करोड़ों रुपए का लोन माफ करवा सकती है, लेकिन किसान को सब्सिडी देने व मध्यम वर्ग को सब्सिडी देने से गुरेज करना चाहती है। आज तमाम तरह के सरकारी योजनाओं को खत्म किया जा रहा है, सरकारी संस्थाओं को खत्म किया जा रहा है और लोकतांत्रिक इंस्टिट्यूशन आज खतरे में है, देश बड़े खतरे में है, देश में अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है जो भी आवाज उठाता है उसको आतंकवादी करार दिया जाता है, खालीस्थानी करार दिया जाता है, उसको गद्दार करार दिया जाता है। किसान ने तो इस देश की आजादी में अपनी भूमिका निभाई है।

किसान को भी गद्दार कहने से गुरेज न करने वाले संघ की विचारधारा के लोग यह नहीं जानते कि देश की आजादी में 90 फीसदी किसानों के बच्चों का योगदान है! अहिरवाल की माटी ने तो अपने खून से, अपने लहू से इस आजादी को बचाने के लिए संघर्ष किया है! चाहे 1857 की क्रांति का संघर्ष और अन्य संघर्ष का उदाहरण उठाकर देख लो। तो मेरा अहिरवाल के किसानों से बार-बार दोबारा यह अपील है कि आप किसान आंदोलन को मजबूत बनाएं। अपने हक व अधिकार के लिए लड़े वरना ये भाजपा नेता ऐसे थानो में बैठा कर खाद वितरित करने के नाम पर आपको बेइज्जत किया जायेगा। इलाके की अस्मिता,स्वाभिमान और गौरव को बचाने के लिए एकजुट होकर लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करें।