धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़- हरियाणा की राजनीति में ट्रेजडी किंग के रूप में जाने जाने वाले वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह राजनीति के ऐसे मुकाम पर आकर खड़े हो गए हैं कि वह एक तरह से भारतीय जनता पार्टी में भी अप्रासंगिक समझे जाने लगे हैं। अब वे किसी दूसरे दल में जाकर राजनीतिक सफर तय करने की स्थिति में नहीं है और नया दल बनाने की भी कोई गुंजाइश नहीं नजर आ रही। वे किसानों के साथ जरूर खड़े हैं लेकिन लगता है कि उन्हें किसी नई सियासी राह की भी तलाश है।

चौधरी बिरेंदर सिंह ने आज बयान दिया है कि ऐलनाबाद उपचुनाव के चुनाव परिणाम का असर पूरे देश की राजनीति पर पड़ेगा । उन्होंने यह इच्छा भी जाहिर की है कि इस चुनाव में किसान की जीत होनी चाहिए। जाहिर है ऐलनाबाद में भारतीय जनता पार्टी जेजेपी गठबंधन की जीत को किसान आंदोलन की जीत नहीं कहा और माना जा सकता । दूसरी बात यह है कि कांग्रेस से चौधरी बिरेंदर सिंह का पहले ही मोहभंग हो चुका है। सियासी जानकारों का मानना है कि जिस तरह से चौधरी बिरेंदर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के साथ जींद रैली में इनेलो के मंच पर गए थे और उनसे संपर्क बढ़ा रहे हैं उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि वह ऐलनाबाद में इंडियन नेशनल लोकदल की जीत की कामना कर रहे हैं। उधर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तंवर ने भी उपचुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल का समर्थन करने की घोषणा की है। चौधरी बिरेंदर सिंह शायद यह संदेश भी देना चाहते हैं कि ऐलनाबाद में इंडियन नेशनल लोकदल की जीत होती है तो इसी जीत का दम भरते हुए पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला अपने देशव्यापी राजनीतिक अभियान मे जुट जाएंगे और वे देश में तीसरा मोर्चा खड़ा करने में कामयाब हों सकेंगे।

एक बात और आम चर्चा में है कि कुछ भी हो चौधरी बिरेंदर सिंह ने भाजपा जज्बा जेजेपी कॉन्ग्रेस आदि को साइडलाइन कर चौधरी ओमप्रकाश चौटाला से कोई अंडरस्टैंडिंग जरूर बना ली है लेकिन यह किस रूप में है अभी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि ऐलनाबाद का चुनाव भारतीय जनता पार्टी जेजेपी गठबंधन की कार्यशैली के जनमत संग्रह के रूप में देखा जाएगा ‌।

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