·         सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने एक बार फिर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में न बुलाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी, कहा ऐसी हरकतों से मेरी आवाज को दबाया नहीं जा सकता

·         यूपीए सरकार के समय मेरे प्रयासों से मंजूरशुदा सभी 11 संस्थानों के निर्माण का काम पूरा करा कर ही दम लूंगा – दीपेंद्र हुड्डा

·         आज भी बुलाया जाता तो प्रधानमंत्री जी से बाकी के बचे मंजूरशुदा संस्थानों को बनवाने की अपील करता – दीपेंद्र हुड्डा

·         सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने पूछा कि सरकारी कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को किस हैसियत से बुलाया गया और उन्हें सांसद होते हुए भी क्यों नहीं बुलाया गया?

·         UPA सरकार के दौरान मंजूरशुदा संस्थानों के निर्माण की मांग उठाना सांसद होने के नाते मेरा कर्तव्य और प्रधानमंत्री का दायित्व बनता है – दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 21 अक्टूबर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज एक बार फिर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में न बुलाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और कहा ऐसी हरकतों से मेरी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि एम्स-2 बाढ़सा परिसर स्थित कैंसर संस्थान के विश्राम सदन के उद्घाटन समारोह में अगर उन्हें बुलाया जाता तो वे प्रधानमंत्री जी से बाकी बचे 10 मंजूरशुदा संस्थानों को बनवाने की अपील करते। UPA सरकार के दौरान मंजूरशुदा संस्थानों के निर्माण की मांग उठाना सांसद होने के नाते मेरा कर्तव्य और प्रधानमंत्री का दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि राजनीति में आने से पहले वे खुद इंफोसिस में काम कर चुके हैं और उन्होंने भी इंफोसिस फाउंडेशन से इस विश्राम सदन के निर्माण का अनुरोध किया था। उन्हें खुशी है कि आज यह विश्राम सदन बनकर तैयार हो गया है, इसके लिये वो इन्फोसिस फाउंडेशन का धन्यवाद करते हैं। लेकिन, सांसद दीपेन्द्र ने इस बात की पीड़ा व्यक्त करी कि यूपीए सरकार के समय काफी मेहनत से मंजूर कराये गये बाकी बचे 10 संस्थानों के काम में एक इंच भी प्रगति नहीं हुई। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में मुझे न बुलाने से मेरी आवाज़ कमजोर नहीं पड़ेगी। वो यूपीए सरकार के समय मंजूर कराये गये इन सभी 11 संस्थानों के निर्माण होने तक चुप नहीं बैठेंगे और पूरी ताकत से अपनी आवाज उठाते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि यदि मुझे समारोह में शामिल होने का मौका दिया जाता तो प्रधानमंत्री जी का स्वागत करता और इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताता कि कब मंजूर हुआ, कब टेंडर हुआ, कब काम हुआ और क्या काम अब बचा हुआ है और उन्हें पूरा कराने की अपील भी प्रधानमंत्री जी से करता। उन्होंने कहा कि वे इस संस्थान से अंतर्रात्मा से जुड़े हुए हैं। क्योंकि उन्होंने UPA सरकार के समय अथक प्रयास करके इस पूरी स्वास्थ्य परियोजना की परिकल्पना करके उसे मंजूर कराया, बजट दिलवाया, एम्स-2 ओपीडी और NCI का काम कराया। उनके लिये महम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और सोनीपत रेल कोच फैक्ट्री की तरह ही ये प्रोजेक्ट भी राजनीतिक जीवन के सबसे महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने पूछा कि सरकारी कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को किस हैसियत से बुलाया गया और उन्हें सांसद होते हुए भी क्यों नहीं बुलाया गया? जबकि ये सरकारी कार्यक्रम था न कि भाजपा का।

दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि एम्स-2 बाढ़सा परिसर में उन्होंने कुल 11 संस्थान मंजूर कराये थे, यदि ये सारे संस्थान बनते तो इससे हरियाणा व आस पास के करोड़ों लोगों को न केवल बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलती, लोगों का जीवन बचाने में भी सहायता मिलती बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलता। एम्स-2 बाढ़सा परिसर में हज़ारों करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले संस्थानों में

 710 बेड वाले राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) के अलावा –

1.   नेशनल कार्डियोवैस्कुलर सेंटर – 600 बेड

2.   नेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ – 500 बेड

3.   नेशनल ट्रांस्प्लांटेशन सेंटर – 500 बेड

4.   जनरल पर्पस हॉस्पिटल – 500 बेड

5.   डाइजेस्टिव डिजीज सेंटर – 500 बेड

6.   नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर जिरियाटिक्स – 200 बेड

7.   सेंटर फार ब्लड डिसार्डर – 120 बेड

8.   कॉम्प्रिहेंसिव रिहेबिलिटेशन सेंटर

9.   सेंटर फॉर लेबोरेटरी मेडिसिन

10. नेशनल सेंटर फॉर नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च

कांग्रेस सांसद ने एम्स-2 परियोजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उन्होंने काफी प्रयासों के बाद इस बड़े प्रोजेक्ट को हरियाणा के खाते में जुड़वाया था। प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है कि दिल्ली वाले एम्स से भी बड़े एम्स-2 को 300 एकड़ में बनाने की परिकल्पना की गयी तो सबसे पहले फरवरी 2009 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अंबुमणि रामदौस जी ने एम्स-2 को बाढ़सा में बनाने की सहमति दी। 2012 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद जी ने एम्स-2 ओपीडी के उद्घाटन के साथ ही घोषणा की कि यहां एशिया ही नहीं, पूरे विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य परिसर बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि जब कैंसर संस्थान की योजना धरातल पर आयी तो उस समय बहुत से मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री इसे अपने राज्य में ले जाना चाहते थे, मगर अथक प्रयासों से जुलाई 2013 में योजना आयोग से राष्ट्रीय कैंसर संस्थान को मंजूरी मिली। 26 दिसम्बर, 2013 को भारत सरकार की कैबिनेट ने 2035 करोड़ रुपया मंजूर करके परियोजना को मंजूरी दी। इसके बाद रिकार्ड एक हफ्ते के अंदर 3 जनवरी 2014 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने इसका शिलान्यास करके इसके काम की शुरुआत की।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पिछली बार जब राष्ट्रीय कैंसर संस्थानका लोकार्पण हुआ तब भी भाजपा सरकार ने उन्हें समारोह से दूर रखा और इस बार भी नहीं बुलाया। जबकि हरियाणा से सांसद होने के नाते प्रोटोकॉल के तहत भी उन्हें आमंत्रित किया जाना चाहिए था। भाजपा सरकार ने समारोह में उन्हें न बुलाकर प्रजातांत्रिक शिष्टाचार और मर्यादाओं को रौंदने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं होता था कि किसी केन्द्रीय परियोजना का उद्घाटन, शिलान्यास अथवा भूमिपूजन का कार्यक्रम हो तो उस क्षेत्र के सांसद को आमंत्रित न किया जाए। ये गलत परंपरा की शुरुआत है

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