वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरूक्षेत्र :- हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में लक्षचंडी महायज्ञ होने जा रहा है। यह 501 कुण्डी लक्षचंडी महायज्ञ परम पूज्य गुरुदेव यज्ञ सम्राट धर्म प्रचारक श्री श्री 1008 श्री हरिओम जी महाराज के पावन सानिध्य में संपन्न होगा। इस अवसर पर 501 ब्राह्मण 501 कुण्डी में दुर्गा सप्तशती का पाठ और यज्ञ करेंगे। मां त्रिपुर सुंदरी के इस यज्ञ का आयोजन भारत वर्ष के साथ साथ पूरे विश्व से कोरोना जैसी महामारी का नाश हो इस उद्देश्य से किया जा रहा है हमारे संवाददाता ने कुरुक्षेत्र के थीम पार्क का जायजा लिया जहां पर यज्ञ कुण्ड और मंडप तैयार किये जा रहे हैं। इस महायज्ञ का आयोजन 22 अक्तूबर से 1 नंवबर 2021 तक संपन्न होगा । इस यज्ञ में देश भर के महामंडलेश्वर, साधु संत पधारेंगे। इस अवसर पर अनूप गिरी लक्ष्मीनारायणाय मंदिर कुरुक्षेत्र एवं महामंडलेश्वर प्रेमानंद जी महाराज काशी वाले शिरकत कर रहे हैं। पूरे भारत वर्ष से हजारों लोगों की इस यज्ञ में आने की संभावना है इस महायज्ञ में एक नई बात ये होने जा रही है कि यहां एक पर्यावरण वैज्ञानिकों का दल पहुंच गया है जो ये शोध करेगा कि यज्ञ के धुंए से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है और मंत्र ध्वनि से से वातावरण और मानव स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है यज्ञ में उपयोग होने वाले कलश के जल का मिट्टी पर होने वाले प्रभाव की भी वैज्ञानिक जांच करेंगे। इस मिशन में विश्व भर से 150 वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। यह पहले तरह का परीक्षण होगा जिसमे विभिन्न सात देशों के वैज्ञानिक रुचि ले रहे हैं और यह शोध भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। आमतौर पर घने जंगलों में रहकर यज्ञ पर अनुसंधान करने वाले यज्ञ सम्राट महाराज श्री हरिओम जी का कहना है कि मां त्रिपुर सुंदरी आदि शकक्ति चाहे तो पल भर में किसी को भी रंक से राजा बना सकती है उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य है कि संसार भर में भारतीय यज्ञ परंपरा को बढ़ावा मिले और लोग इसके वैज्ञानिक महत्व को समझे जिस तरह योग के महत्व को पूरे विश्व ने स्वीकार किया है वैसे ही यज्ञ के महत्व को भी समझे। महाराज श्री हरिओम जी का कहना है कि लोगों को चाहिए कि वो तन-मन धन से इस आयोजन में सहयोग दें। Post navigation शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को, इस शुभ अवसर पर होती है अमृत वर्षा: पंडित अमरचंद भारद्वाज राज्य सरकार मीडिया कर्मियों के कल्याण के प्रति है वचनबद्ध : रमणीक