दुख के समय अरदास और सुख के समय में शुकराना करो :  हुजूर कंवर साहेब जी महाराज
दुख- सुख समय चाहे कोई भी हो नाम को मत भूलो
तन स्वस्थ रहेगा मेहनत करने से और मन स्वस्थ रहेगा परमात्मा की भक्ति करने से,
तन और मन दोनो स्वस्थ होंगे तो आप निर्विघ्न परमार्थ कर पाओगे : परमसंत कंवर साहेब 

दिनोद धाम जयवीर फोगाट 

10 अक्टूबर,इंसान जो चाहता है वो परमात्मा को मंजूर हो ये आवश्यक नहीं। इंसान को मालिक की रजा और हुक्म में रहना चाहिए क्योंकि इंसान की चतुराई कभी नहीं चलती, चलती केवल परमात्मा की है। इंसान की चेती और चाही नहीं होती होता वही है जो परमात्मा की चाहना है। यह सत्संग वाणी परमसन्त सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव स्थित राधास्वामी आश्रम में फ़रमाई। हुजूर कँवर साहेब ने कहा कि परमात्मा को कभी मत भूलो क्योंकि क्या पता कब कैसा वक़्त आ जाये। उन्होंने कहा कि इंसान पीड़ा और दुख की घड़ी में ही परमात्मा को याद करता है यदि उसी परमात्मा को हम सुख में भी हाजिर नाजिर मान ले तो दुख आये ही ना। 

हुजूर महाराज जी ने कहा कि कलयुग में नाम से बढ़ कर कोई चीज नहीं। विपरीत परिस्थितियों में यदि कोई सच्चा सहारा है तो वह नाम का सहारा है। जो समझदार है वो जानते हैं कि नाम से बढ़ कर आपका कोई मीत नहीं है। नाम के दीवाने हो जाओ क्योंकि नाम ही है जो आपको परमात्मा की संगति करवाता है। उन्होंने कहा कि राम नाम की महिमा गाई नहीं जा सकती उसे तो केवल महसूस किया जा सकता है। नाम तो सब गुणों से भरपूर है। वो तो हर सुख समृद्धि को देने वाला है। अपने विचारों को एकचित करके नाममय हो जाओ। इस दुनिया के भोग पदार्थो को केवल इतना ही भोगों जितने की आवश्यकता है। 

गुरु महाराज जी ने फरमाया कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन रहेगा इसलिए सबसे पहले अपने तन को स्वस्थ रखने का प्रयास करो। तन प्रबल रहेगा तभी भक्ति कर पाओगे। भक्ति सज्जनता प्रदान करती है। जो सज्जन है उसे धर्य भी आ जाता है। उन्होंने कहा कि सन्त सब जीवो के लिए समान ज्ञान बांटते है लेकिन एक उनको जीवन में धारण कर लेता है तो दूसरा उसके महत्व को नहीं समझ पाता। हंस और बगुला दोनो एक ही परिस्थिति में रहते हैं लेकिन दोनों की रहनी में दिन रात का अंतर है। ये आपके ऊपर है कि आप अपनी रहनी और करनी कैसे निभाते हो। 

गुरु महाराज जी ने कहा कि दो बातें हमेशा याद रखो कि दुख के समय अरदास करो और सुख के समय में शुकराना करो। हिम्मत आप जुटाओ मदद परमात्मा करेगा। सारी शक्तियों का भंडार आपका शरीर है इसलिए इसको तन्दुरुदत और स्वस्थ रखो। तन स्वस्थ रहेगा मेहनत करने पर और मन स्वस्थ रहेगा अच्छे विचार रखने से। जब मन और तन दोनो स्वस्थ होंगे तो आप निर्विघ्न परमार्थ कर पाओगे।