9 अक्टूबर 2021स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने अहीरवाल से सम्बन्धित पांच भाजपा विधायकों से पूछा कि मुख्यमंत्री खट्टर को लगभग एक सप्ताह पूर्व भावातंर योजना के तहत 600 रूपये प्रति क्विंटल की बजाय एक हजार रूपये प्रति क्विंटल सबसिडी देने की मांग वाले ज्ञापन पर क्या कार्यवाही हुई?

विद्रोही ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री खट्टर जी को ज्ञापन देकर बाजरे पर भावांतर योजना के तहत दक्षिणी हरियाणा के किसानों को प्रति क्विटल एक हजार रूपये सबसिडी देने की मांग मीडिया में मात्र चेहरे चमकाकर किसानों को ठगने का कुप्रयास था या इसमें कोई गंभीरता थी? एक सप्ताह बाद भी इस विषय में भाजपा सरकार की चुप्पी तो यही बताती है कि अहीरवाल के भाजपा विधायकों ने मीडिया में बयान बहादुर बनकर किसान हितैषी होने की नौटंकी है। यदि अहीरवाल के भाजपा विधायक बाजरा पर भावांतर योजना के तहत एक हजार रूपये सबसिडी दिलवाने के प्रति गंभीर होते तो सीएम अब तक इस संदर्भ में कदम उठा चुके होते?

विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल से निर्वाचित भाजपा विधायक ही सार्वजनिक रूप से मीडिया में बयान देकर स्वीकार कर चुके है कि मंडियों में किसानों का बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल की बजाय आधी कीमत 1100 से 1200 रूपये में लूटा जा रहा है, फिर भी इस लूट को बंद करने का प्रयास नही किया जा रहा है। बाजरे की मंडियों में यह लूट जीवंत प्रमाण है कि मोदी सरकार की खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषणा एक छलावा है। जब सरकार किसान को खुद के घोषित एमएसपी को दिलवाने के प्रति गंभीर नही है तो एमएसपी घोषित करने का औचित्य ही क्या है? बाजरे की हो रही खुली लूट बताती है कि एमएसपी गंारटी कानून की कितनी जरूरत है। 

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में पैट्रोल शतक लगाकर 103 रूपये प्रति लीटर पहुंच चुका है व डीजल 93 रूपये प्रति लीटर के आसपास रहकर तेजी से शतक की ओर दौड रहा है। रसोई गैस सिलेंडर 900 रूपये हो चुका है। ऐसी स्थिति में सहज अनुुमान लगाया जा सकता है कि आम आदमी को अपनी रसोई खर्च चलाना कितना बडा झंझट बन चुका है। पैट्रोल-डीजल व रसोई गैस दामों में लगी आग से खाद्य पदार्थ, सब्जी, फल, खाद्य तेल सहित रसोई में प्रयोग होने वाली हर वस्तु आमजनों की पहुंच से बाहर हो चुकी है। आमजनों की आमदनी घट रही है, वहीं रसोई खर्च की महंगाई बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने कहा कि एक ओर किसानों को फसलों की एमएसपी नही मिल रही, वहीं कृषि व रसोई प्रयोग होने वाली वस्तुओं के दाम आसमान पर है। ऐसी स्थिति में घाटे की खेती में पिस रहा किसान कर्ज बोझ से दबता जा रहा है और उसकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। 

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