इस वर्ष 8 दिवसीय शारदीय नवरात्र का आरंभ हो रहा 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से, 14 अक्टूबर को दुर्गा नवमी का समापन 15 अक्टूबर को विजयादशमी दशहरा

गुरुग्राम: श्री माता शीतला देवी मंदिर श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ गुरुग्राम के अध्यक्ष पंडित अमर चंद भारद्वाज ने कहा कि लंबे समय बाद इस वर्ष शारदीय नवरात्र 8 दिवसीय ही है। नवरात्र का आरंभ 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रहा है। नवरात्र के पहले दिन यानी आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना की तिथि हैं। पंचांग की गणना के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ 6 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है और प्रतिपदा तिथि 7 तारीख को दिन में 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार जिस तिथि में सूर्योदय होता है उसी तिथि का मान ‌पूरे दिन रहता है। 7 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि में सूर्योदय का आरंभ होने से इसी दिन शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा और कलश स्थापना के साथ देवी के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। इस वर्ष कलश स्थापना के समय को लेकर कुछ उलझन वाली स्थिति है क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के पूर्वार्द्ध भाग में नवरात्रि आरंभ नहीं करना चाहिए। इस वर्ष नवरात्रि प्रतिपदा के दिन ऐसा ही संयोग बना हुआ है। ऐसे में विकल्प के तौर पर शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्योदय से 4 घंटे के बीच कलश स्थापित किया जा सकता है। वैसे अभिजीत मुहूर्त का समय कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम रहेगा।

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त

पं अमरचंद ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार आपके शहर में सूर्योदय के समय से 4 घंटे के बीच आप शांति कलश की स्थापना कर सकते हैं। 7 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 10 बजकर 17 मिनट तक कलश बैठाया जा सकता है। अगर इस समय तक कलश नहीं बैठा पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट के बीच शांति कलश की स्थापना पूजा करें। नवरात्रि पूजन का आरंभ कलश बैठाकर किया जाता है। वैसे बिना कलश बैठाये भी नवरात्रि की साधना की जाती है। शांति कलश बैठाने के पीछे मत यह है कि इस कलश में सभी तीर्थ और देवी-देवताओं का वास होता है जो देवी उपासना में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं। शांति कलश की स्थापना करके देवी की साधना करने से साधना पूजन का फल सहज मिलता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख शांति का वास होता है। सनातन धर्म में श्रीदुर्गासप्तशती विशिष्ट प्रतिष्ठा है। सकाम भक्ति करने वाले जहां इसके पाठ से मनोकामना पूरी करते हैं, वहीं निष्काम भक्त इनके सहारे परम दुर्लभ मोक्ष को प्राप्त करते हैं। सप्तशती में एक से बढ़कर एक मंत्र हैं, जो विधि-विधान से जपे जाएं, तो शीघ्रता से लाभ प्रदान करते हैं।

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