रेवाड़ी, 5 अक्टूबर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे आरोप लगाया कि हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल भाव पर बाजरा खरीदने की बजाय उसे कथित भावांतर योजना के तहत सरकार 1650 रूपये प्रति क्विंटल बाजार भाव मानकर सरकारी पोर्टल पर पंजीकृत करवाने वाले किसानों को प्रति क्विंटल 600 रूपये सबसिडी देने के फैसले के दुष्परिणाम स्वरूप निजी अनाज व्यापारियों ने किसानों का बाजरा मनमाने दामों पर लूटने की शुरूआत कर दी है। विद्रोही ने कहा कि भावांतर योजना लागू करने से पहले जो बाजरा खुले बाजार में 1600 से 1650 रूपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, वह भाव औंधे मुंह गिरकर 1100 से 1200 रूपये प्रति क्विंटल तक आ गया। भाजपा सरकार ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत अनाज व्यापारियों को किसानों का बाजरा लूटने का अवसर दिया है।

सवाल उठता है कि जब बाजरा बाजार में 1100 से 1200 रूपये प्रति क्विंटल बिक रहा है तो मोदी सरकार द्वारा बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल घोषित करने का औचित्य ही क्या है? विद्रोही ने कहा कि मंडियों में बाजरा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर हडपा जा रहा है, तब किसानों की एमएसपी देने के लिए गारंटी कानून बनाने की मांग का औचित्य अपने आप में सिद्ध हो जाता है। खरीफ फसलों का देश-प्रदेश में कहीं भी घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने के बाद किसानों की यह शंका जायज है कि यदि तीनों कृषि कानून लागू हो जायेंगे तो कृषि व्यापार पर चंद पंूजीपतियो का कब्जा होने से किसान सदैव के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने से वंचित रह जायेगा।

विद्रोही ने कहा कि बाजरा इसका जीवंत प्रमाण है। विगत तीन साल तक बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर मोदी सरकार ने बाजरा उत्पादक किसानों को भावनात्मक रूप से ठगकर वोट हडपी है। हरियाणा भाजपा सरकार ने किसान का बाजरा एमएसपी पर खरीदकर उसे गुमराह किया है और जब काम निकल गया तो सरकार ने बाजरा की सरकारी खरीद से पल्ला झाड़कर इसे भावातंर योजना में डालकर किसान लूट व पंूजीपतियों की तिजौरियां भरने का रास्ता साफ कर दिया। खरीफ फसलों की हो रही लूट के बाद भी किसान की मांग अनुसार यदि एमएसपी गारंटी कानून संसद में नही बनाया तो आने वाले समय पर न्यूनतम समर्थन मूल्य धोषणा करने या ना करने का कोई औचित्य नही रहेगा। विद्रोही ने केन्द्र सरकार से मांग की कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाये व हरियाणा भाजपा सरकार भावांतर योजना के नाम पर बाजरा उत्पादक किसानों को ठगने की बजाय बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से सरकारी खरीद फिर से शुरू की जाये।

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