भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम नगर निगम वार्ड 34 के उपचुनाव की घोषणा होते ही गुरुग्राम भाजपा की मीटिंगों का दौर आरंभ हुआ और निर्णय लिया गया कि दिवंगत आरएस राठी की पत्नी रमा रानी राठी को भाजपा में शामिल कराया जाए और उन्हें चुनाव लड़ाया जाए तथा भाजपा की यह नीति फलीभूत हुई।

यह तो भाजपा ने तभी मान लिया कि हमारा उस वार्ड में जनाधार नहीं है, जब उन्होंने श्रीमती रमा राठी को भाजपा ज्वाइन कराई और उन्हें पार्टी का टिकट दिया। उसके बाद चुनाव प्रचार में भाजपा ने जिले की ही नहीं, अपितु प्रदेश के नेताओं से भी वार्ड 34 में प्रचार कराया।

 हास्यास्पद ही लगता था कि एक निगम का अर्थहीन सा उपचुनाव जिसमें कार्यकाल का एक वर्ष ही बचा है और निगम के सदन में भाजपा का पूर्ण बहुमत है। यह दूसरी बात है कि निगम की चेयरमैन भाजपा से पहले राव इंद्रजीत की मानती हैं। वैसे तो राव इंद्रजीत भी भाजपा में ही है। 

जिस समय चुनाव घोषित हुआ, उस समय सारा भाजपा संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के कार्यक्रम मनाने में लगा हुआ था। नरेंद्र मोदी के बारे में हमारी कहने की सामथ्र्य नहीं लेकिन इतना अवश्य कहेंगे कि भाजपा जो सत्ता में है, वह उन्हीं के कारण है और इसीलिए प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने सारे प्रदेश को 20 दिन तक नरेंद्र मोदीमय करने का ऐलान किया था लेकिन वह सब बातें भाजपा संगठन भूल गया इस उपचुनाव के कारण।

उपचुनाव में भाजपा जिला संगठन के सभी मोर्चे, सभी मंडल सक्रिय रहे। सुनने में तो यहां तक भी आया है कि जिस किसी ने इस चुनाव प्रचार करने में कुछ कमी दिखाई, उन्हें भाजपा की ओर से नोटिस भी मिले। इस प्रकार यह बात भाजपा संगठन से निकलकर जनता में भी सामने आ गई कि भाजपा संगठन में सामंजस्य की कमी है।

चुनाव परिणाम आया। भाजपा प्रत्याशी ने लगभग 2700 वोटों से जीत अर्जित की। प्रसन्नता की बात है कि श्रीमती रमा राठी अपने और अपने दिवंगत पति के कार्यों की मेहनत के फलस्वरूप सफल हुईं। भाजपाइयों ने भी इस विजय पर खुशियां मनाई।

चुनाव में लोकतंत्र पर प्रश्न चिन्ह :

वार्ड के परिणाम में बताया कि लगभग 30.27 प्रतिशत मतदान हुआ। वार्ड में 28668 मतदाता हैं, जिनमें से 8680 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें से 5342 वोट रमा रानी राठी को मिली। दूसरे स्थान पर रहने वाले निर्दलीय उम्मीदवार जिले सिंह को 2646 मत मिले और निर्दलीय जगमोहन को 573 व मोहित को 66 वोट प्राप्त हुए, जबकि 53 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया।

अब बड़ा प्रश्न यह उठता है कि लोकतंत्र में एक छोटे-से निगम उपचुनाव में 28668 में से 8680 मतदाताओं ने ही अपने मत का प्रयोग क्यों किया? बाकी 20 हजार मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग क्यों नहीं किया?

जैसा कि लोकतंत्र में आमतौर से होता है कि जब छोटा चुनाव होता है, उतना वोट प्रतिशत बढ़ जाता है, क्योंकि उम्मीदवार प्रत्येक व्यक्ति से मिलकर उन्हें अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करता है लेकिन इस चुनाव में भाजपा के हजारों कार्यकर्ता वोट मांग रहे थे। यदि अनुमान लगाएं कि एक परिवार में चार मत होते हैं तो लगभग 7 हजार घर हुए और भाजपा कार्यकर्ताओं की गिनती शायद 7 हजार से भी अधिक थी। फिर वे कार्यकर्ता उन लोगों को घर से निकालकर बूथ तक क्यों नहीं ला पाए?

उपरोक्त आंकड़ों से हम यह कह सकते हैं कि भाजपा कार्यकर्ता यदि वास्तव में प्रचार में लगे थे तो वह हर घर अवश्य पहुंचे, क्योंकि आजकल चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार के पास सभी वोटरों की लिस्ट होती है, जिसमें उनका नाम और पता लिखा होता है। अत: यह बात तो बेमानी लगती है कि भाजपा कार्यकर्ता सब घरों में नहीं पहुंचे होंगे लेकिन डले हुए वोटों की गिनती यह दर्शाती है कि क्षेत्र की जनता इस चुनाव से उदासीन रही, जिसे यह भी कह सकते हैं कि 53 लोगों ने तो कहकर डिब्बे में मत डालकर नोटा का प्रयोग किया लेकिन 20 हजार लोगों ने घरों में बैठक अपरोक्ष रूप से नोटा का इस्तेमाल किया। क्या यह लोकतंत्र के लिए ठीक है?

कह सकते हैं कि या तो भाजपा कार्यकर्ता वहां जाकर फोटोज खिंचवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करते रहे या फिर क्षेत्र की जनता भाजपा कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं कर पाई, जो उनके कहने से निकलकर वोट डालने नहीं आई। अब लोगों की जबान तो नहीं पकड़ी जा सकती, सुनी जा सकती है। जो सुना वह बताते हैं तो लोगों का कहना है कि यह वोट जो भी मिले हैं, वे रमा राठी की अपनी टीम और पिछले 9 वर्ष में निष्ठा से उनके और उनके दिवंगत पति द्वारा क्षेत्र के लिए काम करने की एवज में मिले हैं। इसमें भाजपा का कहीं कोई दखल नजर आता नहीं। बात सत्य भी लगती है, क्योंकि भाजपा ने शायद यही देखकर इन्हें भाजपा में शामिल कराया था। 

यह भाजपा के लिए मंथन का समय है कि 28668 मतदाताओं ने उनके और उनकी प्रदेश की टीम के कहने से यदि पूरे वोट रमा राठी के भी न मानकर भाजपा के माने जाएं तो भी मात्र 5342 लोग उनके साथ हैं। वैसे इसमें रमा राठी के वोट होंगे ही। कहने का अर्थ यह है कि यह वोटिंग प्रतिशत भाजपा को यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि वर्तमान में उन्हें 10-15 प्रतिशत से अधिक जनता पसंद नहीं कर रही और संभव है कि इन 10-15 प्रतिशत में वही लोग हों, जो भाजपा के प्रमाणिक सदस्य हैं।

ये आंकड़े गुरुग्राम भाजपा को ही नहीं अपितु प्रदेश भाजपा को भी मनन करने पर मजबूर कर देंगे कि अपने गीत स्वयं गाकर जनता में लोकप्रिय नहीं हुआ जाता, उसके लिए जनता में घुसना पड़ेगा, उनकी कठिनाइयां समझनी पड़ेंगी, उनके हल निकालने पड़ेंगे और ऐसे ही आत्म मुग्ध होते रहे तो भविष्य कैसा होगा, ये वह खुद समझ सकते हैं।

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