इंतजार छह की बजाय आठ महीनों का

ऐलनाबाद उपचुनाव का बिगुल बज चुका है, भारत सारथी इस उपचुनाव के लिए एक विशेष श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। इस श्रृंखला में भारत सारथी के पाठकों को इस उपचुनाव और हरियाणा की भूतकाल और वर्तमान राजनीति से सम्बंधित रोजाना बेहद रोचक जानकारियां मिलेंगी।

अमित नेहरा

देश में कानून है कि सामान्य परिस्थितियों में किसी भी कारण से कोई भी लोकसभा या विधानसभा सीट खाली होने पर वहाँ छह महीनों के अंदर चुनाव कराने आवश्यक हैं।

केंद्रीय चुनाव आयोग ने 4 सितम्बर 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया कि 30 सितम्बर 2021 को उड़ीसा की एक और पश्चिम बंगाल की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान करवाया जायेगा। ऐलनाबाद विधानसभा सीट 27 जनवरी 2021 से खाली पड़ी हुई थी लेकिन चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई घोषणा नहीं की। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के उपचुनाव के लिए तर्क दिया गया कि इन दोनों राज्यों में कोविड की स्थिति नियंत्रण में है अतः यहाँ चुनाव करवाए जा सकते हैं। आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, मेघालय, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दादरा नगर हवेली व दमन दीव के मुख्य सचिवों ने फिलहाल चुनाव न कराने की सलाह दी थी। अतः इसके चलते ऐलनाबाद का उपचुनाव भी लटक गया। हालांकि तब तक हरियाणा में कोविड की स्थिति काफी हद तक नियंत्रित कही जा सकती थी।

जिस दिन पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के उपचुनाव के मतदान की तिथि की घोषणा हुई उसी दिन अभय सिंह चौटाला ने बयान दिया कि चुनाव आयोग केन्द्र सरकार के दबाव में ऐलनाबाद में उपचुनाव के मतदान की घोषणा नहीं कर रहा।

संयोगवश मैं उसी दिन एक चैनल की डिबेट में बतौर पत्रकार, पैनलिस्ट के रूप में मौजूद था। एंकर ने इस बयान को केंद्र में रखकर मुझसे पूछा कि अभय सिंह चौटाला को जब विधानसभा में जाने की इतनी जल्दी हो रही है तो उन्होंने इस्तीफा दिया ही क्यों? वैसे तो एक सामान्य बुद्धि के इंसान को एंकर का यह सवाल वाजिब लग सकता है। लेकिन यह सोचने की बात है कि क्या छह माह की समय सीमा बीतने के बाद किसी विधानसभा क्षेत्र के नागरिक बिना विधायक के रहें तो क्या यह उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं है? दूसरे, इससे लगता है कि आपने मान ही लिया है कि इस उपचुनाव में अभय सिंह चौटाला फिर से चुन लिए जाएंगे? चर्चा होनी चाहिए थी कि क्या हरियाणा में कोविड के हालात वाकई ऐसे चल रहे हैं कि यहाँ उपचुनाव नहीं कराया जा सकता लेकिन एंकर ने सारा ठीकरा अभय सिंह के सर पर फोड़ने का मन बना रखा था।

खैर, 28 सितंबर 2021 को चुनाव आयोग ने ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए चुनावी शेड्यूल जारी कर दिया जिसके तहत 1 अक्तूबर को राजपत्रित अधिसूचना, 8 को नामांकन की आखिरी तारीख, 11 को नामांकन की छंटनी,
13 तक नामांकन वापसी, 30 को मतदान व 2 नवंबर को मतगणना होकर परिणाम घोषित कर दिया जायेगा।

कुल मिलाकर अभय सिंह चौटाला के इस्तीफे के 8 महीने बाद जाकर ऐलनाबाद में उपचुनाव की घोषणा की गई। अब रणभेरी बज चुकी है, इस श्रृंखला के आगामी लेखों में उम्मीदवारों व इस विधानसभा के चुनावी इतिहास और मिजाज पर भी चर्चा करेंगे।

चलते-चलते

हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव ने हाल ही में सितम्बर महीने की शुरुआत में केंद्रीय चुनाव आयोग को एफिडेविट दिया था कि हरियाणा फिलहाल कोविड हालातों के चलते उपचुनाव करवाने की स्थिति में नहीं है।

जबकि हरियाणा की सभी पंचायतों का कार्यकाल भी 23 फरवरी 2021को ही ख़त्म हो चुका है। पंचायती राज एक्ट के दूसरे संशोधन के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 13 याचिकाएं दायर की गई हैं। पहले कोरोना के कहर के चलते सरकार ने यह चुनाव नहीं कराने की बात की थी लेकिन 14 सितम्बर 2021 को हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दायर करते हुए कहा है कि राज्य में अब कोविड के हालात सामान्य हो चुके हैं और यहाँ दो चरणों में पंचायत चुनाव करवाए जा सकते हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि हरियाणा सरकार की हाईकोर्ट में अपनी इस स्वीकारोक्ति के कारण केंद्रीय चुनाव आयोग को ऐलनाबाद उपचुनाव का नोटिफिकेशन जारी करना पड़ा। खैर इसमें कितनी सच्चाई है इस बारे में पाठक अपने विवेक से फैसला कर सकते हैं।

क्रमशः

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)

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