आश्रम हरी मंदिर वृद्धाआश्रम में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय वृद्धावस्था दिवस.
पटौदी अस्पताल की एसएमओ व एमओ ने की बुजुर्गों के स्वास्थ्य की जांच.
सभी बुजुर्गों के चेहरे पर देखी गई अपनेपन की एक अनोखी मुस्कान

फतह सिंह उजाला

पटौदी । बुजुर्ग हमारी अपनी सनातन संस्कृति के वाहक के साथ-साथ अनुभव का अनमोल खजाना है। सही मायने में बुजुर्गों का जीवन एक वटवृक्ष के जैसा ही होता है।  बुजुर्गों के साथ उनके अपने ही जीवन का नहीं बल्कि कई पीढ़ियों का अनुभव उनके साथ रहता है वास्तव में भारतीय सामाजिक ढांचे और पारिवारिक सरचना का बुजुर्ग सबसे मजबूत आधार स्तंभ होते हैं । यह बात आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने अंतरराष्ट्रीय वृद्धावस्था दिवस के उपलक्ष के मौके पर संस्था परिसर में ही वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के बीच कहीं।

शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वृद्धावस्था दिवस के उपलक्ष पर आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी परिसर में बुजुर्गों के मान सम्मान के उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया। इसी मौके पर महामंडलेश्वर धर्मदेेव महाराज में बुजुर्गों के मान सम्मान में यह बात कही। इस मौके पर पटौदी नागरिक अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव और मेडिकल ऑफिसर एवं आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा आश्रम परिसर में रहने वाले सभी बुजुर्गों के स्वास्थ्य की जांच की गई और बुजुर्गों की उनकी उम्र के मुताबिक स्वस्थ रहने के लिए विभिन्न प्रकार के सुझाव से अवगत कराया गया। इसी मौके पर दोनो वरिष्ठ डाक्टरों के द्वारा बुजुर्गो को उपहार सवरूप फूल भेट करके आशिर्वाद प्राप्त किया गया। अनेक बुजुर्गों ने अपने-अपने अनुभव भी सांझा किए । जिस समय बुजुर्गों के द्वारा अपने अनुभव साझा किए जा रहे थे , सभी के चेहरे पर अपनापन और एक अनोखी ही मुस्कान तैरती हुई देखी गई । ऐसा महसूस किया गया की एक लंबे अरसे के बाद में सभी बुजुर्ग एक साथ एकत्रित होकर बैठे और आपस में बातचीत करते हुए अपने अपने अनुभव भी एक दूसरे को बताएं ।

महामंलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहां थी बेहद अफसोस और दुर्भाग्य की बात है कि आज धन दौलत आधुनिक सुविधाएं जितना अधिक बढ़ रही है , परिवार भी उतने अधिक सिमटकर छोटे होते जा रहे हैं। जिसका खामियाजा सबसे अधिक आने वाली हमारी युवा पीढ़ी को ही भुगतना पड़ सकता है । एक समय वह भी था जब मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता था तो परिवार के सभी छोटे बच्चे अपने बुजुर्ग दादा दादी नाना नानी के पास बैठकर चंदा मामा या फिर परियों की कहानी इत्यादि सुना करते थे। इसके विपरीत आज छोेटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल पहुंच गए, मोबाइल ने बेशक दुनिया को छोटा बना दिया, लकिन परिवार की आपसी दूरी को भी कई गुणा बढ़ा दिया है। मोबाइल फोन को उतना ही इस्तेमाल करनेका प्रयास करे, जितना जिंदा रहने के लिए सांस लेने अथवा भोजन की जरूरत है। उन्होंनंे कहा इतना ही नहीं बुजुर्गों के पास इस प्रकार के कई पीढ़ियों के अनुभव रहे हैं कि कई बार पारिवारिक और सामाजिक विवादों को सुलझाने में किसी भी अदालत से अधिक महत्वपूर्ण साबित होते रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि बुजुर्गों की सेवा सही मायने में मानवता और भगवान की सेवा से अधिक बढ़कर है । बुजुर्गों के द्वारा आशीर्वाद स्वरूप उठने वाले हाथ हमेशा मानव जीवन में तरक्की ,कल्याण और रोजगार में बरकत देने के लिए ही होते हैं । उन्होंने कहा कि यथा संभव बुजुर्गों को किसी भी प्रकार की परिस्थिति हो हालात हो यह प्रयास गंभीरता के साथ में करने चाहिए कि बुजुर्गों को अपने से अलग नहीं होने दें। बुजुर्ग अवस्था एक ऐसी अवस्था है , इससे कोई भी व्यक्ति बचा हुआ नहीं रह सकता है । जो भी कुछ भविष्य में होना है , वह आज की युवा पीढ़ी की आंखों के सामने हैं । युवा पीढ़ी को भी इस बात को समझना होगा कि जो ज्ञान आशीर्वाद शुभाशीष बुजुर्गों की सेवा के बाद प्राप्त होता है , वह जीवन में सभी प्रकार के कष्ट हरण कर उत्तरोत्तर तरक्की के मार्ग भी बनाता रहता है।

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