-अभिभावकों ने विधायक सुधीर सिंगला को सौंपा ज्ञापन-ज्ञापन लेकर अभिभावकों को विधायक ने दिया आश्वासन गुरुग्राम। डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) डीएलएफ सिटी फेज-2 गुरुग्राम की मान्यता नहीं होने के कारण हजारों बच्चों का भविष्य पर ग्रहण लग सकता है। अभिभावकों ने इसे धोखाधड़ी करार देते हुए गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला को ज्ञापन देकर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पेरेंट्स रिप्रजेंटेटिव गु्रप आवाज रोअर की ओर से यह मांग उठाई गई है। विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि वे शिक्षा मंत्री, आयुक्त, जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले से अवगत कराने को पत्र भेजकर जांच की सिफारिश करेंगे। दिये गये ज्ञापन में अभिभावकों ने कहा है कि उनके बच्चे डीपीएस डीएलएफ सिटी फेज-2 में पढ़ते हैं। उन्हें पता चला है कि इस स्कूल की मान्यता ही नहीं है। बिना मान्यता के ही स्कूल चलाकर प्रबंधन लोगों से साथ धोखाधड़ी कर रहा है। स्कूल के पास सीबीएसई से कोई मान्यता नहीं है। इसलिए सवाल उठता है कि गुरुग्राम के अति पॉश इलाके में आखिर यह स्कूल चल कैसे रहा है। बच्चों के परिजनों का आरोप है कि इसमें शिक्षा विभाग की मिलीभगत है। इसी के चलते यहां पढऩे वाले 1600 बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। अभिभावकों की कड़ी मेहनत की कमाई को स्कूल बिना मान्यता के ही वसूली कर रही है। सरकार की इस पर कोई नजर हीं है। अभिभावकों ने कहा है कि डीपीएस डीएलएफ सिटी स्कूल को डीपीएस मारुति कुंज अपना बताता है। यह कैसे संभव हो सकता है कि बिना किसी की मिलीभगत कोई स्कूल इतने समय से यहां संचालित किया जा रहा है। अभिभावकों ने यह भी कहा है कि डीपीएस मारुति कुंज को मारुति सुजूकी कंपनी के अधीन मारुति एम्पलोई एजुकेशन ट्रस्ट चलाता है। इसलिए यह सीधे तौर पर मारुति कंपनी द्वारा ही अभिभावकों और उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। धोखाधड़ी है। अभिभावकों ने विधायक सुधीर सिंगला के समक्ष लिखित शिकायत देकर कहा है कि जब स्कूल से बात की जाती है तो धमकियां दी जाती हैं। इसलिए वे इस मामले में कड़ी कार्रवाई करके प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करें। स्कूल मैनेजमेंट और एमईईटी गु्रप के खिलाफ 420 का केस दर्ज किया जाए। इस इवसर पर महेश कुमार, रीना देवी, रेखा देवी, पुष्पा, पूनम, कुलदीप, दीपक जैन, मेनपाल सेमत कई अभिभावकों ने विधायक को ज्ञापन सौंपा। Post navigation राजीव चौक स्थित पैदल पार पथ में दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा की जाएगी 1947 के विभाजन कर दर्द – बुजुर्गों की जुबानी