रेवाड़ी, 1 अक्टूबर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार खरीफ फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर न खरीदने या नाम मात्र की खरीद करने की तिकडमे भिडा रही है। विद्रोही ने कहा कि बाजरा फसल कीे न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल पर सरकारी खरीद करने से खट्टर सरकार पहले ही पल्ला झाड़ चुकी है और अब धान की सरकारी खरीद भी 1960 रूपये प्रति क्विंटल भाव से खरीदने की तारीख पर तारीख बढा रही है। पहले सरकार ने धान खरीदने करने की घोषणा 25 सितम्बर घोषित की, फिर इसे बढाकर एक अक्टूबर किया और अब इसे फिर बढाकर 11 अक्टूबर कर दिया गया है। 11 अक्टूबर को भी धान की सरकारी खरीद शुरू होगी या आगे फिर तारीख बढेगी, कोई नही जानता। सरकार के इस रवैये से साफ है कि भाजपा खट्टर सरकार एक तरह से किसानों को खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिले और व्यापारी औनेपौने दामों पर किसानों की फसले हडपकर अपनी तिजौरियां भर सके, इसकी सत्ता दुरूपयोग से तिकडमेे भिडा रही है। विद्रोही ने कहा कि बाजरा फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदने की बजाय भावांतर योजना के तहत 600 रूपये की सबसिडी देने का ऐलान करके अप्रत्यक्ष रूप से बाजरा व्यापारियों को औनेपौने दामों पर लूटने का अवसर दे दिया। सरकार ने बाजरे का बाजार भाव 1650 रूपये प्रति क्विंटल मानकर सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाने वाले किसानों का 25 प्रतिशत बाजरा ही बाजार भाव 1650 रूपये प्रति क्विंटल से खरीदने व 600 रूपये भावांतर योजना के तहत देने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले के तुरन्त बाद जो बाजरा खुले बाजार में 1600 से 1650 रूपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, उसका भाव गिरकर 1200 से 1400 रूपये प्रति क्विंटल हो गया। विद्रोही ने कहा कि भावातंर योजना लागू करने के बाद बाजरा व्यापारियों को मनमाने भाव पर किसान का बाजरा हडपने का अवसर मिल गया और बाजरा उत्पादक किसान के पास व्यापारियों को उनके मनमाने भाव पर बाजरा बेचने के अलावा कोई विकल्प नही है। विद्रोही ने कहा कि भावातंर योजना में यह कहीं भी गारंटी नही मिलती है कि बाजरा का बाजार भाव 1650 रूपये प्रति क्विंटल खुले बाजार में स्थित रहे। सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाने वाले किसान का बाजरा 1200 रूपये प्रति क्विंटल में खरीदे या कम ज्यादा, सरकार का कोई लेना-देना नही। सरकार तो भावांतर योजना के तहत किसान को 600 रूपये प्रति क्विंटल की सबसिडी देकर अपना पिंड छुडा लेगी। विद्रोही ने कहा कि इससे भाजपा-संघ समर्थक व्यापारियों को किसान बाजरा मनमाने भाव पर हडपकर अपनी तिजौरियां भरने का खुला अवसर संघी सरकार ने देकर किसान लूट का रास्ता साफ कर दिया। Post navigation राव आया-फसल का भाव आया, राव गया-फसल का भाव गया चौतरफा महंगाई की मार, आमजन जीये तो जीये कैसे ? विद्रोही