कमलेश भारतीय

जो घटनाक्रम कल हुआ और जिस तेज़ी से हुआ उस पर इतना ही सूझ रहा है कि चन्नी भी हो गये परदेसी सिद्धू ने कांग्रेस की बना दी काॅमेडी सर्कस । वैसे यह अजब संयोग है जब कांग्रेस को कुछ ढंग की कवरेज मिलनी होती है तब ऐसी बात सामने आ जाती है कि वह कवरेज न होकर कोई और बात उछल जाती है । अब देखिए चरणजीत सिंह चन्नी एक दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस वाहवाही लूटने और अकाली बसपा गठबंधन को पीछे छोड़ना चाहती थी लेकिन हरीश रावत ने बयान दे दिया कि अगले साल चुनाव में नवजोत सिद्धू कांग्रेस का चेहरा होंगे और सारा काम और नाम मिट्टी में मिला दिया । अब हरीश रावत कहां हैं ? कौन बनेगा अगले साल कांग्रेस का पंजाब में चेहरा ?

क्या सिद्धू ने कांग्रेस को काॅमेडी सर्कस ही बना डाला ? सवाल सहज ही उठता है । मात्र 68 दिन पहले एक मजबूत पार्टी और मजबूर सरकार को बदल दिया कांग्रेस हाईकमान ने । कैप्टन अमरेंद्र सिंह के अनुभव और चेहरे को कह दिया -साॅरी । नवजोत सिद्धू की मन की मुराद फिर भी रही अधूरी और चरणजीत सिंह चन्नी को मिल गया लाॅटरी में जैसे मुख्यमंत्री पद । इससे पहले कि नवजोत सिद्धू चन्नी को डम्मी मुख्यमंत्री साबित कर पाते चन्नी ने अपने फैसले लेकर चौंका दिया । और लो चन्नी भी परदेसी हो गये सिद्धू के लिए जिनका हाथ पकड़ कर गुरुघर गये थे उन्हें छोड़ते एक पल नहीं लगाया ।

जो कवरेज कांग्रेस को कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल करने पर मिलने वाली थी ऐन मौके पर नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर उसे मामूली बना दिया । जिग्नेश ने भी शामिल होना था । आए भी और तिरंगा पटका भी पहन लिया लेकिन तकनीकी कारण से वैचारिक समर्थन देने की घोषणा की । इस तरह सिद्धू ने सारे कांग्रेस शो पर पानी फेर दिया और रणदीप सुरजेवाला पत्रकारों को सिर्फ कन्हैया कुमार तक केंद्रित रहने का आग्रह करते रहे और सिद्धू के बारे में सवालों से बचते रहे । सिद्धू ने क्या सचमुच कांग्रेस को काॅमेडी शो बन कर रख दिया पंजाब में ? कांग्रेस हाईकमान को क्या मिला? न कैप्टन अमरेंद्र सिंह न नवजोत सिद्धू । सिद्धू हर बार पंजाब और पंजाबियत के नाम पर समझौता न करने की बात कह।कर अलग हो जाते हैं । वह कौन सा पंजाब है और कैसी पंजाबियत है सिद्धू जी ? अब कितनी बार एक डाॅयलाग चलेगा या हिट होगा ?
दुविधा में दोऊ गये

कहने को बहुत कुछ था
अगर कहने पे आते ,,,,

हां , जो हरियाणा के साथ पंजाब की तुलना कर रहे थे खासतौर पर कैप्टन अमरेंद्र सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर वे खामोश हो गये हैं इस अंत को देखकर ।

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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