मुख्यमंत्री से मांग कि है कि वह तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर दबाव डालें ताकि किसानों के बच्चों के भविष्य को बचाया जा सके।

पंचकूला 25 सितंबर- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मांग कि है कि हल ही में हुई भारी बारिश से जिन किसानों की धान,कपास और बाजरे की फसलें खराब हो गई है उनकी भरपाई के लिए किसानों को कम से कम 20 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा प्रदान किया जाए ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके।

उन्होंने कहा कि किसानों ने बड़ी मेहनत और परिश्रम से अपने बच्चों का पेट काट कर इन फसलों की बुवाई की थी लेकिन प्रकृति के इस प्रकोप के कारण फसलों को जो नुकसान हुआ है उससे किसानों का सपना पूरी तरह से टूट गया है। सबसे बड़ा अफसोस इस बात का है कि फसलें पक्की हुई थी ऐसी परिस्थितियों अधिक नुकसान की प्रबल संभावना होती है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि प्रदेश के लगभग 55 हजार किसानों ने फसल खराब होने का दावा करते हुए हरियाणा सरकार से मुआवजे की मांग की है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार पहले ही प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के आधार पर किसानों को लूटने में लगी हुई है। फसल बीमा योजना के नाम पर 700 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रमीयम राशि पहले ही काट ली जाती है, लेकिन जिस समय किसानों को बीमा देने की बारी आती है तो उसमे अनेक तरह की शर्तें जोड़ दी जाती है जिससे किसानों के साथ अन्याय होता है। उन्होंने मांग कि है कि नुकसान की भरपाई के लिए इन किसानों के नुकसान का आकलन करके तुरंत ही मुआवजा दिया जाए। उन्होंने याद दिलाया कि सरकार ने अभी तक वर्ष 2020 के लिए भी नुकसान की भरपाई का पूरा पैसा किसानों को नहीं दिया गया है।

प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना पर तंज कसते हुए चन्द्र मोहन ने कहा कि भाजपा शासित राज्य गुजरात ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को खत्म ही कर दिया है। गुजरात सरकार का तर्क है कि बीमा कंपनियां नुकसान की भरपाई के लिए बहुत कम मुआवजा देती हैं जबकि वह प्रीमियम पहले ही पूरा ले लेती हैं। इसी प्रकार इस बीमा योजना से देश के लगभग 44 लाख किसानों ने अब तक अपने आप को इस योजना से अलग कर लिया है।

चन्द्र मोहन ने मुख्यमंत्री से पुनःमांग की है कि बिना किसी शर्त के नुकसान की भरपाई करने के लिए कम से कम 20000 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों को तत्काल ही मुआवजा प्रदान किया जाए। पिछले 10 वर्षों से किसान कीआमदनी निरन्तर ही घट रही है। युरोपीयन देश किसानों को 264 बिलियन डॉलर की सब्सिडी देते हैं। जबकि अमेरिका में किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार सन् 2014 में एक किसान की आय प्रति दिन औसतन 45 रुपए थी वह आय एन एस ओ की जुलाई 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार घट कर 27 रुपए प्रति दिन रह गई है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में किसानों की क्या हालत होती जा रही है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग कि है कि वह तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर दबाव डालें ताकि किसानों के बच्चों के भविष्य को बचाया जा सके। भाजपा ने 2014 में चुनाव घोषणापत्र में वायदा किया था कि सन् 2022 तक किसानों की फसलों के दाम दौगुना करने की बात कह कर किसानों के वोट हासिल किए थे ‌। फसलों के दौगुना दाम देने की बात तो छोड़िए। किसान तो अपनी फसलों की उचित दाम हासिल करने के लिए भी पिछले 300 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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