-दो साल से अधिक आरटीआई की सूचना के जवाब पर जमाए बैठे रहे कुंडली, गलत तथ्य भी दिए
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने मांगी थी आरटीआई में सूचना
-सूचना आयोग ने मौलिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक को दिए सर्विस रुल के तहत दो माह में कार्रवाई के आदेश, कार्रवाई रिपोर्ट की तलब 

भिवानी, 24 सितंबर। राज्य सूचना आयोग हरियाणा ने मौलिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक को दो साल के दौरान विभाग में तैनात जनसूचना अधिकारियों की जांच कर उन पर सर्विस रूल के तहत दो माह में कार्रवाई के आदेश दिए हैं। सूचना आयोग ने ये आदेश स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार की अपील पर सुनवाई के दौरान दिए हैं।

 स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 14 नवंबर 2018 को हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमावली के नियम 39 में हर दस साल बाद निजी स्कूलों का निरीक्षण कर उनकी पुन: मान्यता दिए जाने संबंधी विभिन्न पहलुओं पर जानकारी मांगी थी। निदेशालय से यह भी पूछा गया था कि 10 साल से अधिक पुराने प्रदेश के कितने निजी विद्यालयों का निरीक्षण हुआ है और कितने निजी विद्यालयों की फाइलों में त्रुटी मिली है और कितने स्कूल नियम पूरे नहीं किए जाने पर बंद कराए गए हैं।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 के नियम 39 के तहत स्थायी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को हर 10 साल बाद पुन: नए सिरे से मान्यता लेने का प्रावधान किया हुआ है। शिक्षा निदेशालय ने शुरूआत में कोई जानकारी नहीं दी। मगर आयोग के समक्ष जाने पर विभाग ने गलत जानकारी उपलब्ध करा दी। जिस पर 9 मार्च 2019 को आरटीआई कार्यकर्ता फिर से सूचना आयोग के समक्ष पहुंचा। इस मामले में सूचना आयोग ने सख्त रुख अपनाया सोकाज नोटिस जारी कर चेतावनी दी थी। लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं आया।

अब राज्य सूचना आयोग ने इस मामले में जनसूचना अधिकार अधिनियम के सेक्शन 25(5) की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मौलिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक को 19 जुलाई 2019 से 29 अप्रैल 2021 तक जनसूचना अधिकारी के पद पर रहे हैं, जिन्होंने 14 नवंबर 2018 की आरटीआई का जवाब नहीं दिया, उनके खिलाफ जांच कर दो माह के अंदर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। जनसूचना अधिकारियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट भी सूचना आयोग ने तलब की है।

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