-कमलेश भारतीय पंजाब के नये मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ताज पहना कर और बधाई देकर कांग्रेस का मुद्दा सुलझा न मानो राहुल बाबा । पंजाब कांग्रेस की पिक्चर अभी बाकी है दोस्त । बेशक युवा चेहरे को आगे बढ़ा कर यह संदेश दे दिया हो कि पुराने नेताओं और कार्य शैली के दिन लद गये और रूत नये लोगों की आई । यह दलित कार्ड खेल कर राहुल गांधी ने शिरोमणि अकाली दल व बसपा गठबंधन को भी चित्त कर दिया । भाजपा तो कहीं मैदान में है ही नहीं पंजाब में । आप के अरविंद केजरीवाल इस बार पंजाब में पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं । उनका उत्साह पंजाब कांग्रेस के इस बारे प्रकार से जरूर बढ़ गया है और ज़ोर शोर से पंजाब में चुनाव के लिए जुट जायेंगे । यह निश्चित है । अब बात कैप्टन अमरेंद्र सिंह की जिन्होंने कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी को कल भी चेतावनी दी थी कि यदि उनके समर्थकों से बाहर कोई मुख्यमंत्री बनाया तो फ्लोर टेस्ट का सामना करने को तैयार रहें । इसके बाद भी कैप्टन के धुर विरोधी चरणजीत सिह चन्नी की ताजपोशी कर दी गयी । हालांकि चन्नी से पहले शुरूआत सुनील जाखड़ के नाम से हुई और रुकी जाकर अम्बिका सोनी पर लेकिन अम्बिका सोनी ने इस जिम्मेदारी को लेने से स्वास्थ्य कारणों से इंकार तो किया ही साथ ही यह भी कह दिया कि पंजाब का मुख्यमंत्री तो कोई सिख और पगड़ीधारी होना चाहिए । इस तरह सुनील का सपना चूर चूर कर दिया अम्बिका सोनी ने । फिर नाम चला सुखजिंदर का । इतना चला कि वे सच मान गये । उनके घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गयी और ढोल नगाड़े बजने लगे , लड्डू ब॔टने लगे । पर यह खुशी सिर्फ डेढ़ दो घंटे रही । नवजोत सिद्धू का खेमा अड़ गया मुख्यमंत्री पद लेने को और परगट सिंह ने पर्यवेक्षकों से बात की और ऐसा फैसला आया कि न सिद्धू और न सुखजिंदर कोई भी मुख्यमंत्री न बन सका और एक बिल्कुल नये चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी को ताज पहना दिया गया । यहां तक कि चन्नी के परिवार को भी खबर न हुई और वे जब तक राज्यपाल भवन पहुंचे तब तक चन्नी बाहर आने वाले थे । इस तरह नवजोत सिद्धू ने सुखजिंदर को भी अंदर ही अंदर नाराज कर लिया । कहते हैं कि नवजोत ने इसलिए चन्नी को मुख्यमंत्री बनवाया ताकि वे रिमोट कंट्रोल अपने हाथ रख सकें । क्या अमरेंद्र सिंह को हर कदम पर अपमानित कर कांग्रेस हाईकमान पंजाब में कुछ अच्छे परिणाम की उम्मीद कर सकती है ? यह बहुत मंथन की बात है । जब नौ साढ़े नौ साल कैप्टन को दिये थे तो पांच माह और दे देते । यहां आकर जी 23 समूह का दर्द समझ आने लगा है । यदि युवाओं की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए तो क्या वरिष्ठ व वयोवृद्ध कांग्रेस नेताओं का अपमान करना सही कदम है ? जी 23 समूह इसी का परिणाम है । हरियाणा में बहुत बड़ा जनाधार होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भी उपेक्षा करने से कांग्रेस को हरियाणा में मनचाहा परिणाम नहीं मिला तो यही कारण है सबसे बड़ा कि आप उन्हें उनका ड्यू सम्मान नहीं दे रहे । कैप्टन को दरकिनार कर आखिर क्या पंजाब कांग्रेस की कलह खत्म कर पाये ? नहीं । बल्कि नये गुट सामने आ गये हैं । अब यह विधानसभा चुनाव तक चलते और बढ़ते रहेंगे । किस किस को मनाओगे? किस किस को खुश करोगे? किस किस के मान अभिमान की रक्षा करोगे ? चन्नी का एक पुराना फोटो वायरल होने लगा है जो शर्मिंदा करने वाला है और कैप्टन के मुख्यमंत्री रहते समय चन्नी ने मंत्री के नाते अपने अधीन महिला आईएएस अधिकारी को रात को असमय संदेश दिये उस मामले को भी हवा मिलने लगी है । सयाने व अनुभवी कैप्टन ने बातचीत से इस मामले को सुलझाया था लेकिन कहते हैं कि चन्नी इसीलिए कैप्टन के विरोधियों से जा मिले थे । अब बताइए कैप्टन का क्या कसूर था ? कांग्रेस की इज्जत बचाई ? यह चन्नी के विरूद्ध दुष्प्रचार की विरोधियों की ओर से शुरूआत है । सुखजिंदर के नाम पर भी इसलिए मुहर नही लगी क्योंकि उसका नाम उत्तर प्रदेश के बाहुबली अंसारी के साथ जुड़ने की बात सामने आई । खैर , लोककथा में सुनते थे कि जो सुबह सवेरे सबसे पहले दिखे जाये उसे राज-पाट सौंप देना लेकिन कथा के उलट नयी बात सामने आई कि जो शाम को अचानक दिखे उसे राजगद्दी सौंप दो । जो चन्नी शायद सुखजिंदर या सुनील को बधाइयां दे रहा होगा अचानक उसे ही पकड़ कर मुख्यमंत्री बना दिया गया तो विधायकों की राय का क्या अर्थ रह गया ? इतने बड़े होटल में इतना बड़ा ड्रामा किसलिए ? दिल्ली से ही थोपा जाना था तो लोकतंत्र का नाटक क्यों ? भाजपा हो या कांग्रेस नेता दिल्ली से थोपे जा रहे हैं और जनता इन थोपे गये नेताओं को स्वीकार करेगी या नहीं ? ये तो विधानसभा चुनाव परिणाम ही बतायेंगे । फिलहाल राहुल गांधी चन्नी को बधाई दे रहे हैं या आपने आपको ? कह नहीं सकते ।-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation स्वराज इंडिया 27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने के लिए देश भर में पूरी ताकत के साथ भाग लेगा हरियाणवी कला व संस्कृति को बचाने में सहायक हैं कला उत्सव: प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज