सरकार की नीति के अनुसार शहीद के परिवार को दी जाएगी आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को नौकरी गुरुग्राम,16 सितंबर। सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद हुए गुरूग्राम जिला के गांव भौंडसी निवासी तरूण भारद्वाज के परिजनों को सांत्वना देने के लिए आज मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल उनके निवास पर पहुंचे। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को हिम्मत बंधवाते हुए कहा कि बेटा तरूण देश के काम आया है, उसकी शहादत पर सभी को गर्व है। शहीद तरूण के पिता श्री नंद किशोर का धीर बंधाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शहीदों के लिए नीति बना दी है जिसके अनुसार उनके परिवार को भी आर्थिक सहायता दी जाएगी और परिवार के एक सदस्य को योग्यता अनुसार नौकरी भी मिलेगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार ने शहीदों के परिवारों को ढूंढ -ढूंढकर 279 व्यक्तियों को नौकरियां दी हैं। इनमें 1971 के भारत पाक युद्ध के शहीदों के परिजन भी शामिल हैं। हरियाणा सरकार द्वारा शहीदों के लिए बनाई गई नीति अनुसार शहीद के परिवार को ₹50 लाख की आर्थिक सहायता और एक परिजन को नौकरी दी जाती है। मुख्यमंत्री ने गांव के सामुदायिक केन्द्र का नामकरण शहीद के नाम पर करने की घोषणा करने के साथ कहा कि गांव भौंडसी की पीएचसी का दर्जा बढ़ाकर उसे सीएचसी या छोटा अस्पताल बनाने की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। उन्होंने एक सड़क का नामकरण भी शहीद तरूण के नाम पर रखने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने तरुण के घर जाकर सर्वप्रथम उनके फ़ोटो पर पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। तरुण के पिता श्री नंदकिशोर भारद्वाज से पूरी घटना का विवरण लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सामान्य मृत्यु नहीं हैं, यह मां भारती की सेवा में सर्वाेच्च बलिदान है। उन्होंने कहा कि हम सबको तरुण की शहादत पर गर्व है, जिसने इतनी कम उम्र में देश सेवा में अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। उन्होंने कहा कि तरुण का यह बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने शहीद की माता मंजू देवी से मुलाकात कर उनको ढांढस बंधाते हुए कहा कि आप हिम्मत रखिये, आप एक बहादुर बेटे की मां हैं जिसने मां भारती के लिए अपना बलिदान दिया है। मुख्यमंत्री ने तरुण के परिजनों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी हर संभव मदद के लिए सरकार सदैव तत्पर रहेगी। Post navigation दिल्ली एनसीआर में 53 हजार करोड़ रूपये के 15 प्रौजेक्टों पर हम काम कर रहे -श्री नितिन गडकरी गौ माता की सेवा हमारी संस्कृति का हिस्सा: सुधीर सिंगला