पूरा गुरुग्राम जिला सरकार की इस गुस्ताखी को सहन नही करेगा क्योंकि उनकी जमीन के साथ साथ रोजी रोटी भी छीनी जा रही है इन ऑटोमोबाइल कम्पनियों ने ही जिले को साइबर सिटी, मिलेनियम सिटी व हाईटेक सिटी का ख़िताफ दिलाया गुरुग्राम , 14/9/2021 :- मारुति सुजुकी प्लांट को सोनीपत जिले के खरखौदा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट किये जाने की चल रही चर्चाओं के बीच हरियाणा प्रदेश महिला कॉन्ग्रेस की प्रदेश महासचिव सुनीता वर्मा ने इस मामले को लेकर खट्टर सरकार को घेरते हुए कहा कि यदि बीजेपी सरकार ऐसा करने का प्रयास करती है तो यहां के लोग शांत नही बैठेंगे अपनी रोजी व रोटी को बचाने के लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। कॉन्ग्रेस नेत्री ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कहा कि प्लांट को शिफ्ट करने से इस जिले का गौरव ही खत्म हो जाएगा, तथा इससे अन्य छोटे-बड़े उद्योग भी प्रभावित होंगें। उन्होंने कहा कि मारुति प्लांट की बदौलत ही गुरुग्राम को विश्व में पहचान मिली है। इस कम्पनी व इसकी सहयोगी अन्य ऑटोमोबाइल कम्पनियों की बदौलत ही जिले को साइबर सिटी, मिलेनियम सिटी व हाईटेक सिटी का ख़िताफ मिला है।वर्मा ने कहा की अब यदि यहां से ये प्लांट अन्यत्र शिफ्ट होता है तो जिलेवासियों के सामने विशेषकर मानेसर व इसके आसपास के कई दर्जनों गांवों के समक्ष रोजगार की व कई अन्य समस्याएं खड़ी हो जाएंगी, यहां के निवासियों के जीवन पर बड़ा संकट आ जायेगा। उन्होंने कहा कि यहां मारुति में कंपोनेंट की आपूर्ति करने वाली प्रतिष्ठानों की बड़ी संख्या है जिसमें कार्यरत कर्मचारी व श्रमिक गुडग़ांव व आस- पास में ही निवास करते हैं और किराए पर मकानों में रहते हैं। यदि कंपनी शिफ्ट हो जाती है तो इस वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में मकान मालिकों व यहां के मजदूरों को भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव ने कहा कि यहां मारुति का प्लांट स्थापित होने के बाद ही इस क्षेत्र में ऑटोमोबाईल, रियल एस्टेट, होटल, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड आदि क्षेत्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपने प्रतिष्ठान स्थापित किए थे। उन्होंने कहा कि मारुति कम्पनी गुरुग्राम की आत्मा है इसके कारण ही आज विश्व में इस क्षेत्र की अपनी पहचान बनी है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम प्रदेश की आर्थिक राजधानी है। पूरे हरियाणा के कुल राजस्व में अकेले गुरुग्राम की आधी भागीदारी है। वर्मा ने कहा कि मारुति का नया प्लांट दूसरे जिले में लगाने से बेहतर है कि उसे इस मिलेनियम सिटी के साथ लगते क्षेत्र पटौदी में ही इस कम्पनी का विस्तार करते हुए इसका दूसरा प्लांट स्थापित कर दिया जाए, इससे कम्पनी को नजदीक लग रहे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र व अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा व मारुति का पहला प्लांट और आसपास स्थापित बड़ी ऑटोमोबाइल कम्पनियों और अन्य हजारों छोटे उधोगों का फायदा भी मिलेगा और यहां सस्ते भाव मे जमीन व श्रमिक भी आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। वर्मा ने कहा कि इन तमाम सहूलियतों को देखते हुए मारुति का नया प्रस्तावित प्लांट खरखौदा के स्थान पर पटौदी में ही लगना चाहिए, क्योंकि यहां बेहतर औद्योगिक वातावरण का फायदा मिलेगा और इस क्षेत्र में मारुति को कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली सैकड़ों छोटी-बड़ी कंपनियां स्थापित हैं उनको भी फायदा मिलेगा, जिससे एक बड़ा इंडस्ट्री हब बर्बाद होने से भी बच जाएगा। उन्होंने अपना तर्क देते हुए कहा कि यदि खरखौदा मारुति प्लांट जाता है तो मारुति द्वारा डवलप किए गए वेंडर्स को दूसरे स्थान पर अपनी यूनिटें लगाने के लिए सोचना होगा और यह बहुत ही खर्चीला होगा और इससे गुरुग्राम ही नही बल्कि पूरे दक्षिण हरियाणा का बहुत ज्यादा नुकसान होगा और यहां के औद्योगिक क्षेत्र का ताना-बाना ही छिन्न-भिन्न होकर रह जाएगा। कॉन्ग्रेस नेत्री ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रदेश की बीजेपी सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि सरकार ने ये अपना बुरा इरादा नही बदला तो वो ये समझ जाएं कि जिस तरहं से वे आज उतरी हरियाणा में अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं ऐसा ही हाल इस क्षेत्र में भी हो जाएगा, उन्होंने कहा कि इस शांति पसन्द क्षेत्र में वो ऐसा करके अशांति न फैलाएं अन्यथा इसका भयंकर परिणाम खट्टर सरकार को भुगतना पड़ेगा। वर्मा ने कहा कि यदि इस प्लांट को अन्यत्र शिफ्ट किया जाता है तो यहां के ट्रांसपोटर्स, ट्रेवलर्स, होटल, रेस्टोरेंट, किराए के मकानों के मालिक व छोटे-बड़े सभी कारोबार सभी इससे बुरी तरहं से प्रभावित होंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों, सामाजिक संगठनों, स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं और जन नेताओं से भी इस मामले में एकजुट होकर आगे आने की अपील की तथा सरकार का इस मामले में पुरजोर विरोध करने की वकालत की उन्होंने इस लड़ाई को अपने बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए लड़ी जाने वाली जंग करार दिया। Post navigation 1947 के विभाजन का दर्द – बुजुर्गों की जुबानी जिला में पपीता की खेती पर मिलेगा 40 प्रतिशत अनुदान