जजपा पंचायती राज के जिला अध्यक्ष राकेश की अध्यक्षता में महापंचायत. बीजेपी वन सरकार में था प्रपोजल और गठबंधन सरकार में काम शुरू. जमीन और एसटीपी प्रोजेक्ट की कीमत करीब 25 करोड़ बताई गई. गांव नूरपुर में एसटीपी बनाने का विरोध साथ में आई 15 पंचायत फतह सिंह उजालापटौदी । हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन सरकार ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए युद्ध स्तर पर विभिन्न प्रोजेक्ट को आरंभ करवा कर देहात का जीवन स्तर ऊंचा उठाने का काम कर रही है । इसी कड़ी में बीजेपी एक सरकार के कार्यकाल के दौरान सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में एसटीपी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की मंजूरी प्रदान की गई थी । लेकिन मामला एसटीपी के लिए जमीन को लेकर उलझा हुआ था । एसटीपी प्लांट के लिए सरकार के द्वारा ऑनलाइन जमीन खरीदने के लिए प्रक्रिया को अपनाया गया। इसके तहत करीब 2 एकड़ जमीन गांव नूरपुर में सरकार के द्वारा खरीद ली गई और बताया गया है कि हाल ही में गांव नूरपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम भी आरंभ कर दिया। सूत्रों के मुताबिक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रोजेक्ट करीब 23 करोड रुपए का बताया गया है वही जो जमीन खरीदी गई उसकी कीमत करीब दो करोड़ के आसपास बताई जा रही है । अब गांव नूरपुर में अचानक से बनाए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर मेजबान गांव के साथ- साथ साथ आसपास के 1 दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने भी मोर्चा खोल दिया । गंव नूरपुर में एसटीपी बनाए जाने के विरोध को लेकर मंगलवार को एक बार फिर से जननायक जनता पार्टी के पंचायती प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष एवं जिला पार्षद राकेश बिलासपुर की अध्यक्षता में महापंचायत का आयोजन किया गया । महापंचायत में मेजबान नूरपुर के अलावा गांव बोहड़ाकला, गांव बोहड़ा खुर्द, बिनोला , पथरेड़ी, लंागड़ा, भूड़का , दीनौकरी , बिलासपुर , जोरासी व अन्य गांवों के प्रबुद्ध ग्रामीण और पंचायत प्रतिनिधि मौजूद रहे । महापंचायत में प्रबुद्ध ग्रामीणों के द्वारा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण क्षेत्र अथवा इलाके को लेकर अपने-अपने तर्क रखे गए । इस पंचायत में मुख्य रूप से जिला पार्षद सुशील चौहान, बोहड़ाकला बावनी के प्रधान राजेश चौहान, बोहड़ा कला गांव के सरपंच यादवेंद्र गोगली शर्मा , अतर सिंह, महेंद्र सिंह, समय सिंह , चौधरी अमन, धर्मपाल , महावीर , शंभू दयाल व अन्य प्रबुद्ध ग्रामीण मौजूद रहे । गांव नूरपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के विरोध में आयोजित इस महापंचायत में सभी के द्वारा अपने अपने तर्क रखे जाने के साथ इस बात का विरोध जोरदार तरीके से किया गया की बोहड़ा कला गांव का गंदा पानी, गांव नूरपुर की सीमा में क्यों छोड़ा जा रहा है ? गंदे पानी के कारण ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है , इस बात का जोरदार तरीके से विरोध दर्ज कराया गया। इसी पंचायत में मेजबान गांव के ग्रामीणों के द्वारा यह प्रस्ताव भी रखा गया की एसटीपी प्लांट के लिए आस-पास में ही और अन्य स्थान पर जमीन उपलब्ध करवाई जा सकती है , लेकिन गांव की सीमा में बनाए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को किसी भी कीमत पर स्वीकार अथवा मंजूर नहीं किया जाएगा । इसी विवाद को सुलझाने के लिए प्रबुद्ध ग्रामीणों की एक कमेटी का गठन किया गया। यह कमेटी गांव नूरपुर में बनाए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट , इसकी साइट को बदलने अथवा इस प्लांट को गांव नूरपुर के अलावा उपलब्ध करवाई जाने वाली दूसरी साइट की जमीन पर बनाने के लिए बुधवार को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के एसई से मुलाकात कर पंचायत के फैसले से अवगत कराएगी। जानकारों के मुताबिक गांव बोहड़ा कला में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए और इसके लिए जमीन खरीदने से लेकर निर्माण कार्य शुरू होने तक एक लंबी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है । सबसे अधिक तकनीकी मामला जमीन का सरकार अथवा संबंधित विभाग के नाम रजिस्ट्री किया जाना है । ऐसे में ग्रामीणों और महापंचायत के कथित दबाव को देखते हुए विभागीय अधिकारी इस बात के लिए सहमत भी हो जाते हैं कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के काम को रोक कर उपलब्ध करवाई जाने वाली दूसरी साइट पर बनवा दिया जाएगा । तब भी इसके लिए इस पूरे मामले का चंडीगढ़ में ही हाई लेवल पर समाधान संभव हो सकेगा। अब देखना यह है कि महापंचायत में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर बनाई गई कमेटी किस हद तक गांव नूरपुर में बनाए जा रहे एसटीपी प्लांट को शिफ्ट करने के लिए दवाब बनाने में सक्षम रहती है और इस समस्या का कब तक और किस प्रकार से हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन के सरकार के द्वारा समाधान कर ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान किया जा सकेगा। फिलहाल महापंचायत ने दो टूक अपना फैसला सुना दिया है कि गांव नूरपुर की सीमा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट किसी भी कीमत पर नहीं बनाने दिया जाएगा। Post navigation गौचर की 25 एकड भूमि, गौशाला खोलने का मामले ने तूल पकड़ा पार्ट टाइम स्कूल कर्मचारी यूनियन का धरना