रेवाड़ी, 9 सितम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मोदी-भाजपा-संघी सरकार द्वारा रबी फसलों के 2022-23 न्यूनतम फसलों में 1.75 से 8.6 प्रतिशत की मामूली बढोतरी को ऊंट के मुंह में जीरा के समान बताते हुए इस बढोतरी को किसानों के साथ क्रूर मजाक बताया।

विद्रोही ने कहा कि एक ओर मोदी-भाजपा-संघी सरकार व प्रधानमंत्री वर्ष 2022 में किसान आय दोगुना करने के दमगज्जे मार रहे है जबकि हालत यह है कि मोदी राज आने के बाद विगत सात साल में क्या तो किसानों की आय जस की तस है या घटी है। विगत सात सालों में किसानों पर कृषि कर्ज का बोझ बढा रही है। जिस अनुपात में सरकार फसल एमएसपी में बढोतरी कर रही है, उससे कहीं ज्यादा भाव खेती के प्रयोग में होने वाली सामग्री के बढ़ गए है।

विद्रोही ने कहा कि रबी फसल 2022-23 के लिए सरकार ने गेंंहू के एमएसपी को 1975 रूपये प्रति क्विंटल में 40 रूपये बढाकर 2015 रूपये किया है जो दो प्रतिशत की बढोतरी है। वहीं जौ का का एमएसपी में 35 रूपये बढाकर 1600 सेे 1635 रूपये प्रति क्विंटल किया है जो मात्र 2.18 प्रतिशत की बढोतरी है। वहीं चने के भाव में 130 रूपये बढाकर 5100 से 5230 रूपये प्रति क्विंटल किया है जो मात्र 2.55 प्रतिशत की बढोतरी है। सूरजमुखी के भाव में 114 रूपये बढाकर 5327 रूपये से 5441 रूपये प्रति क्विंटल किया है जो 2.14 प्रतिशत की बढोतरी है। मसूर का भाव 7.85 प्रतिशत बढाकर 5100 से 5500 रूपये व सरसों के भाव में 400 रूपये बढाकर 4650 से 5050 रूपये किया है जो 8.6 प्रतिशत की बढोतरी है। वहीं गन्ने के भाव में 5 रूपये बढाकर 285 से 290 रूपये किया है जो मात्र 1.75 प्रतिशत की बढोतरी है। इस तरह सरकार ने विभिन्न रबी फसलों में 1.75 सेे 8.6 प्रतिशत एमएसपी बढाया है जो विगत 15 सालों में सबसे कम बढोतरी है। 

विद्रोही ने कहा कि रबी फसल एमएसपी 1.75 सेे 8.6 प्रतिशत बढे है जबकि डीजल, पैट्रोल, बीज, खाद, कृषि यंत्रों, कीटनाशकों के भाव कहीं ज्यादा बढे है। किसान का फसल लागत मूल्य सरकार के बताये लागत मूल्य से दो गुणा है, फिर भी मोदी-भाजपा सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों अनुसार एमएसपी घोषित करते समय फसल लागत मूल्य की गणना सी-टू फार्मूले अनुसार करने की बजाय सी-वन फार्मूले के आधार पर कर रही है। वहीं सी-वन फार्मूले में भी झूठ बोलकर फसल लागत मूल्य को कम दर्शाके किसानों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। किसान के दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुएं, खादय पदार्थो व जीवन उपयोगी वस्तुओं के भाव इतने ज्यादा बढ़ गए कि आम किसान व मजदूर को अपना रसोई व दैनिक नित्यकर्म के खर्च चलाना भी असंभव हो गया है।

विद्रोही ने कहा कि सरकार सुनियोजित ढंग से किसानों को ठगकर पूंजीपतियों की दलाली कर रही है जिसके चलते किसानों पर कृषि बोझ बढता जा रहा है। यदि मोदी सरकार के दावे अनुसार किसान आय बढ़ रही है और किसानों को फसलों का लाभकारी एमएसपी मिल रहा है तो सवाल उठता है कि किसान पर कृषि बोझ क्यों बढ़ रहा है? किसान आत्महत्याएं क्यों कर रहा है? वहीं यदि किसानों की कृषि आये बढ़ रही है तो स्वयं कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट-सर्वे अनुसार विगत सात सालों से किसान आय में बढोतरी क्यों नही हो रही? मोदी सरकार सत्ता दुरूपयोग से झूठे आंकड़ेे परोसकर, किसान आय बढऩे का झूठा राग अलापकर ना केवल किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही है अपितु किसान, खेती व कृषि व्यवस्था को भी बर्बाद कर रही है।

विद्रोही ने कहा कि यह हालत तो तब है जब विगत नौ माह से किसान दिल्ली बार्डर पर डटकर तीन काले कृषि कानून का जोरदार विरोध कर रहे है। फिर भी मोदी सरकार किसानों से धोखाधड़ी करके, उन्हे ठगकर हम दो-हमारे दो की तिजौरियां भरने से बाज नही आ रही है अपितु पूरी बेशर्मी से किसान विरोध की पराकाष्ठा करके पूंजीपतियों की दलाली करके अन्नदाता किसान का मजाक उड़ा रही है। 

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