हेमेन्द्र क्षीरसागर, लेखक, पत्रकार व विचारक

देश और राजनीति को मैंने जितना दिया, उससे कहीं ज्यादा मुझे मिला अपनी जीत की घोषणा होने के कुछ देर बाद ही देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के यह वाक्य साफ दर्शाते हैं कि, देश की राजनीति में प्रणब मुखर्जी ने कितना सहयोग दिया है और उन्हें इससे कितना वापस मिला है। भारतीय राजनीति में प्रणब मुखर्जी एक जानी-मानी हस्ती थी। प्रणब मुखर्जी का व्यक्तित्व कुशल प्रशासक, सहज, सरल और साफगोई वाला था। कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके प्रणब दा ने राजनीति में पांच दशक से अधिक समय बिताया। 

उन्होंने महामहिम की आसंदी को शुचिता और निर्विवाद तरीके से राष्ट्रहित में सांगोपांग कालजयी निर्वहन किया। प्रणव दा संजीदा व्यक्तित्व और कृतित्व वाले जन नेता थे। पार्टी के वरिष्ठतम नेता होने के कारण वह राजनीति की भी अच्छी समझ रखते थे। बंगाली परिवार से होने के कारण उन्हें रबिंद्र संगीत और साहित्य में अत्याधिक रुचि थी। एक शालीन लेखक होने के नाते कई अनमोल कृतियों की सारगर्भित रचना की। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमने प्रणव दा के युग और नेतृत्व में जीवन जीया। यथेष्ठ जननायक के बताए मार्गों पर चलकर समग्र विकास और जनकल्याण के कार्यों को अपना मूल ध्येय बनना होगा, येही सच्ची श्रद्धांजलि राष्ट्रपुरुष को समर्पित होगी।

प्रणव मुखर्जी ने अपने शुरुआती जीवन में वकालत और अध्यापन कार्य समेत पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए भी काफी समय व्यतीत किया है। प्रणव मुखर्जी के पिता कामदा मुखर्जी एक लोकप्रिय और सक्रिय कांग्रेसी नेता थे। वह वर्ष 1952 से 1964 तक बंगाल विधानसभा के सदस्य रहे थे। पिता का राजनीति से संबंध होने के कारण प्रणव मुखर्जी का राजनीति में आगमन सहज और स्वाभाविक था। प्रणव मुखर्जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1969 में राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई।  वर्ष 1973 में प्रणव मुखर्जी ने कैबिनेट मंत्री रहते हुए औद्योगिक विकास मंत्रालय में उप-मंत्री का पदभार संभाला। 

इन्दिरा गांधी की हत्या के पश्चात, राजीव गांधी सरकार की कैबिनेट में प्रणव मुखर्जी को शामिल नहीं किया गया। इस बीच प्रणव मुखर्जी ने अपनी अलग राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। लेकिन जल्द ही वर्ष 1989 में राजीव गांधी से विवाद का निपटारा होने के बाद प्रणव मुखर्जी ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय कांग्रेस में मिला दिया। पी.वी नरसिंह राव के कार्यकाल में प्रणव मुखर्जी के राजनैतिक जीवन को एक बार फिर गति मिली। पी.वी नरसिंह ने इन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष और फिर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनाया। नरसिंह राव के कार्यकाल के दौरान उन्हें पहली बार विदेश मंत्रालय का पदभार भी प्रदान किया गया। वहीं यूपीए सरकार में रक्षा, विदेश और वित्त मंत्रालय का अतुलनीय नेतृत्व किया। देश के 13 वें राष्ट्रपति के तौर पर 2012 से 2017 तक अपनी अकूत सेवाएं दी। दौरान अनुकरणीय कार्यशैली से देश ने नव सौपानों की अर्जित की। अंतत: ह्रदय विदारक 11 दिसंबर 1935 को अवतरित प्रणव मुखर्जी का महाप्रयाण 31 अगस्त 2020 को हो गया। ऐसे महामना की पावन पुण्यतिथि पर एक नये संकल्प के साथ भावभीनी शब्दांजलि।