‘सम्मान दिवस’ के रूप में मनाए जाने वाले स्वर्गीय ताऊ देवी लाल के जन्मदिवस पर जींद में होने वाली रैली के लिए देंगे न्योता इस दौरान पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और जनता से रूबरू होकर काले कृषि कानूनों, महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और पैट्रोल-डीजल के आसमान छूते दाम और किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम न मिलने जैसे गंभीर मुद्दों पर करेंगे चर्चा कहा- प्रदेश की भाजपा गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण आज किसान, मजदूर, व्यापारी और अन्य जरूरतमंद तबका मूलभूत सुविधाओं से है वंचित चंडीगढ़, 30 अगस्त: पूर्व मुख्यमंत्री एवं इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी ओम प्रकाश चौैटाला पार्टी संगठन को मजबूती देने के लिए 1 सितम्बर से ‘कार्यकर्ता मिलन समारोह’ के तहत प्रदेश के सभी 22 जिलों का दौरा करेंगे। इनेलो सुप्रीमो रिहाई के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से जहां पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और जनता से रूबरू होकर भाजपा सरकार द्वारा किसानों पर थोपे गए काले कृषि कानूनों, बेतहाशा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और पैट्रोल-डीजल के आसमान छूते दाम और किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम न मिलने जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा करेंगे वहीं ‘सम्मान दिवस’ के रूप में मनाए जाने वाले स्वर्गीय ताऊ देवी लाल के जन्मदिवस पर जींद में होने वाली रैली के लिए भी न्योता देंगे। इनेलो सुप्रीमो ने कहा कि आज देश और प्रदेश का हर वर्ग महंगाई से त्रस्त है और रोजी-रोटी के लिए तरस रहा है। प्याज-आलू समेत सब्जियों, दालों और खाद्य तेल के दाम आसमान को छू रहे हैं लेकिन सरकार है कि जनता के दुख-दर्द को समझने के बजाय सत्ता के नशे में चूर आंखें मूंदे बैठी है। प्रदेश की गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण आज किसान, मजदूर, व्यापारी और अन्य जरूरतमंद तबका मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। चौधरी ओम प्रकाश चौैटाला बुधवार, 1 सितम्बर, से ‘कार्यकर्ता मिलन समारोह’ की शुरूआत सिरसा और फतेहाबाद जिलों से करेंगे उसके बाद 2 सितम्बर को हिसार और जींद, 3 सितम्बर को कैथल और अंबाला, 4 सितम्बर को पंचकुला और यमुनानगर, 5 सितम्बर को कुरूक्षेत्र और करनाल, 6 सितम्बर को पानीपत और सोनीपत, 8 सितम्बर को फरीदाबाद और पलवल, 9 सितम्बर को नूहं और गुरुग्राम, 10 सितम्बर को रोहतक और झज्जर, 11 सितम्बर को रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ और 12 सितम्बर को दादरी और भिवानी जिलों की बैठक लेंगे। Post navigation पहले दुष्यत चौटाला खुद तो तय कर ले कि उनकी कौनसी बात सही है और कौनसी गलत ? विद्रोही 2500 दिन में ‘सड़कों पर लहुलुहान होता हरियाणा’…और सत्ताधीशों की ‘‘सत्ता की मलाई’’ का उत्सव…सुरजेवाला