-कमलेश भारतीय

पंजाब में कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सलाह को दरकिनार करते हुए नवजोत सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना तो दिया लेकिन दोनों के सुर न पहले मिलते थे , न अब मिल रहे हैं । पहले कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा था कि जब तक सिद्धू उनसे सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक वे शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जायेंगे लेकिन कांग्रेस हाई कमान ने प्रभारी हरीश रावत को भेजा और कैप्टन के फाॅर्म में हुई अंतरंग गुफ्तगू में उन्हें मना लिया और वे अपनी जिद्द छोड़ कर सिद्धू की ताजपोशी में आए । दूसरी ओर सिद्धू ने बाकी वरिष्ठजनों के पांव तो छू लिये लेकिन कैप्टन की अनदेखी कर मंच की ओर बढ़ गये । सिद्धू ने अपने मन मर्जी के सलाहकार भी लगाये । ऐसे लगा जैसे कोई मंत्रिमंडल बना रहे हों । वे सलाहकार बनाये जिन्हें कैप्टन से गिले शिकवे रहे हैं यानी कैप्टन को नीचा दिखाने के सारे तरीके अपनाये जा रहे हैं ।

इस तरह कांग्रेस को पंजाब में कोई फायदा मिलेगा ? इसमें संदेह है और यह संदेह बढ़ता जायेगा । आज कैप्टन ने भी दो टूक सुना दी कि अपने सलाहकारों की जुबान पर रोक लगाओ। इनके बयानों से पाकिस्तान से भी बुराई मिलेगी । सलाहकारों को काबू में रखो सिद्धू नहीं बड़ी मुश्किल हो जायेगी ।

इस सबसे यह बात साफ है कि पंजाब में कांग्रेस में एकजुटता नहीं है । चाहे कैप्टन हों या सिद्धू दोनों के मुंह एक दूसरे से उलट हैं और पैर भी उलट दिशा में चल रहे हैं । ऐसी हालत में कैसे अगला विधानसभा चुन व जीतने की उम्मीद लगाये हुए हो ?

अभी कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी विपक्षी दलों की एकजुटता की बात चला रही हैं । उन्हें चाहिए पहले अपनी पार्टी में एकजुटता लिए के प्रयास करें । पंजाब में यदि एकजुटता न हुई तो मुश्किलें बढ़ती जायेंगी । सावधान । आगे के दिन बहुत खराब आने वाले हैं ।

-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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