कोरोना काल में भय का प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव

डॉ कामिनी वर्मा
एसोसिएट प्रोफेसर ,काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर भदोही।

कोरोना वायरस के संक्रमण से आज पूरी दुनिया भयभीत है। इस वायरस की चपेट में आने से लाखों व्यक्तियों की मौतें हो चुकी हैं। और अभी भी इसका प्रभाव खत्म नहीं हुआ है। इस वायरस के नाम से स्वस्थ और अस्वस्थ सभी भयभीत हैं। भय अचानक से जीवन में या संक्रमण काल में नहीं आता ,बल्कि यह जन्मजात संवेग है । विश्वास का अभाव भय उत्पन्न करता है। साथ ही अशांत या अस्थिर वातावरण भी भय का कारण होता है। भय का उच्च स्तर लम्बे समय तक बने रहने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने लगती है और चाहे कोई भी वायरस हो उसका शरीर में आसानी से प्रवेश हो जाता है। लंबे समय तक भयभीत रहने से व्यक्ति को घबराहट होती है और वह ऊर्जाहीन महसूस करता है । उसके अंग ठीक से कार्य करना बंद करने लगते हैं तथा शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

शरीर पर प्रभाव

भय की स्थिति में तनाव बढ़ जाने से एड्रीनेलीन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक है। इससे व्यक्ति की घबराहट तथा धड़कन बढ़ जाती है। उसके हृदय की गति बढ़ जाने से रक्त शिराओं में अधिक रक्त प्रवाह होने लगता है। जिससे हार्ट अटैक व ब्रेन हेमरेज होने की संभावना बढ़ जाती है ।

पसीना अधिक आता है तथा रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है।

मांसपेशियों में तनाव, ऐठन व दर्द रहने लगता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है तथा ऑक्सीजन का स्तर घटने लगता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाने से अन्य बीमारियां आसानी से शरीर में प्रवेश करने लगती हैं। जैसे अभी कोरोना वायरस के संक्रमण से कमजोर हो चुके व्यक्तियों में ब्लैक फंगस और वाइट फंगस का संक्रमण होने लगा है। जो वर्तमान में महामारी के रूप लेने की तरफ अग्रसर है।

शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं की वृद्धि एवं लाल रक्त कणिकाओं की कमी से शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और व्यक्ति कमजोर रहने लगता है।

शरीर में एक जैविक घड़ी होती है जो व्यक्ति की दिनचर्या नियमित करती है परंतु भय के कारण दिनचर्या अनियमित हो जाती है। सोने जागने के समय में परिवर्तन होने से दैनिक क्रिया प्रभावित होती है। इससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है। दैनिक क्रिया- शौच आदि समय पर ना होने से शरीर की बड़ी आँत में विषैले पदार्थ इकट्ठे होने लगते हैं जो शरीर के लिए खतरनाक होते हैं।
पाचन तंत्र के सुचारू रूप से कार्य न करने से व्यक्ति में कब्ज, भूख ना लगना जैसी शिकायतें आम हो जाती हैं।

भय युक्त वातावरण में अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, काम में मन न लगना जैसी समस्याओं से व्यक्ति ग्रसित हो जाता है।

मानसिक स्थिति पर प्रभाव

भय के कारण वर्तमान में लोग बहुत डरे हुए हैं, जिससे बार-बार सफाई कर रहे हैं ,साबुन और सेनीटाइजर का अत्यधिक प्रयोग करने लगे हैं। सामान्य रूप से आने वाली छींक या खांसी को भी शक की नजर से देख रहे हैं । इसमें भी कोरोना वायरस की आशंका हो रही है। इस समय काढ़े का प्रयोग लोग अधिकता से करने लगे हैं काढ़े में अल्कलॉइड या क्षारोद की मात्रा बहुत अधिक होती है । उनमें कुछ तो शरीर के लिए लाभदायक है परंतु कुछ हानिकारक भी। जिनका शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। और लोग अन्य प्रकार की बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में विटामिन सी को कारगर माना जा रहा है । ऐसी स्थिति में लोग डॉक्टर की सलाह के बिना विटामिन सी की गोलियों व नींबू का अत्यधिक सेवन करने लगे हैं हालत यह है बाजार में इनकी कमी हो गई है। लोग अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं। जिससे वह तो या तो बहुत अधिक एग्रेसिव हो रहे हैं या बिल्कुल निष्क्रिय हो जा रहे हैं। नकारात्मक विचार प्रभावी हो रहे हैं। और याददाश्त में भी कमी आ रही है।

भय की स्थिति में लोग अवसाद या निराशा की ओर बढ़ रहे हैं। जिससे वह एकाकी जीवन या अकेले रहना पसंद कर रहे हैं । और कभी-कभी यह निराशा इतनी बढ़ रही है कि लोग आत्महत्या जैसा घातक कदम भी उठा ले रहे हैं।

भय से बचने के उपाय

सोच और व्यवहार में परिवर्तन करके भय को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे छुटकारा पाना बहुत आवश्यक है, अन्यथा यह शरीर को रोगों का घर बना देता है। इसके लिए मानसिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है । अतः भय उत्पन्न करने वाली बातों व सूचनाओं से दूरी बना लेना चाहिए। ज्यादातर न्यूज़ चैनल पर कोरोना वायरस सम्बन्धी नकारात्मक सूचनाएं ही प्रसारित की जा रही है। जिससे मन में निराशा व भय की स्थिति उत्पन्न हो रही है । ऐसे चैनल को बहुत कम देखें । बस जानकारी उतनी ही रखें जितने से स्वयं को अपडेट रख सके।

नकारात्मक विचारधारा वाले लोगों से कम बात करें ।

ऐसी स्थिति में परिवार के लोग भय से ग्रसित व्यक्ति की बहुत मदद कर सकते हैं। उसे कभी अकेला ना रहने दें। उससे बातें करें और इस बात का एहसास कराएं कि वह उसके साथ हैं। कहते हैं मन के हारे हार है मन के जीते जीत और हारिए न हिम्मत बिसारिये न राम । परिवारी जनों का भावनात्मक सहयोग पाकर व्यक्ति भय के कारणों से दूर हटेगा। ऐसे समय में मित्र की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है इस समय कोरोना वायरस के खिलाफ एक जंग चल रही है। एक युद्ध अपनों के विरुद्ध महाभारत काल में भी हुआ था जब युद्ध के मैदान में अर्जुन स्वजनों को सामने पाकर अवसाद और निराशा की स्थिति में चले गए थे, कि कैसे अपनों पर प्रहार करें। तब कृष्ण ने उनका मार्गदर्शक व सारथी बनकर ना सिर्फ उनका मानसिक संबल बढ़ाया बल्कि युद्ध में विपरीत परिस्थितियों से भी बाहर निकाला।

ऐसे शुभचिंतक मित्रों और सहयोगियों को भय से ग्रसित व्यक्ति को सहारा देना चाहिए। समय-समय पर उससे बात करते रहे । प्रेरक प्रसंगों पर बात करें , कभी कभी उनसे मिले। और हमेशा इस बात का विश्वास दिलाएं कि वह उसके साथ है। उसका उत्साहवर्धन करते रहे।

इस बात का ध्यान रखें की यह स्थिति अधिक समय तक नहीं चलेगी। सब कुछ सामान्य होगा, इसलिए अपने लिए दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्य जरूर निश्चित करें। और उन्हें पूरा करने के लिए निरंतर प्रयत्न करें। अच्छी पुस्तकें पढें। पढ़ने में रुचि ना हो तो उन्हें सुने । कई प्लेटफार्म ऐसे हैं, जहां फ्री ऑडियो उपलब्ध हैं। पुस्तकें ऐसी मित्र है जो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ती। हर विपरीत परिस्थिति में उचित मार्गदर्शन करती है।

विद्यार्थी नियमित रूप से अध्ययन करते रहे। परीक्षा उनकी भले ना हो परंतु अध्ययन किया गया पाठ्यक्रम, उनकी आने वाली प्रतियोगी परीक्षा में काम आएगा इस बात का हमेशा ध्यान रखें।

टेलीविजन देखने में रूचि हो तो मोटिवेशनल और एजुकेशनल चैनल अधिक देखें। इससे मन में उत्साही और सकारात्मक विचार आएंगे साथ ही ज्ञान वर्धन भी होगा।

अच्छा संगीत सुनें। संगीत से मन शांत होता है। संगीत का प्रयोग उपचार में आजकल बहुत हो रहा है परंतु कानफोडू संगीत से दूर रहे।

समय पर सोने- उठने की आदत डालें। भरपूर नींद लें जिससे दिनभर तरोताजा रहेंगे।

खेल खेलें।

नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम, योग और प्राणायाम करें। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी। और नकारात्मक विचार हावी नहीं होंगे।

प्राकृतिक वातावरण में रहने से भी विचार सकारात्मक होते हैं, जिससे शरीर में लाभकारी रसायन स्रावित होते हैं। इसलिए बगीचे में जाएं और धूप में जरूर बैठे, वातावरण से समायोजित करने की आदत डालें। इससे भी प्रतिरोधक क्षमता सशक्त होती है।

उचित खानपान

भोजन ,जीवन की मूलभूत आवश्यकता होने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसलिए संतुलित भोजन लें। जिसमें दालें, साबुत अनाज ,राजमा, चना, जौ, मक्का, तथा गेहूं से बना भोजन लें।

मौसमी फलों- जैसे खरबूजा, तरबूज, पपीता कीवी, संतरा, आम, ड्राई फूड का आदि का सेवन करें। यह शरीर को हाइड्रेट रखते हैं और फाइबर भी प्रदान करते हैं। अनुपलब्धता की स्थिति मेंजरूरी नहीं है महंगे खाद्य पदार्थ या फल खाए , आसानी से मिलने वाले नींबू, सहजन, गिलोय तथा ज्वार, बाजरा, रागी आदि का सेवन करें । इनसे प्रचुर मात्रा में शरीर को ऊर्जा मिलती है।

जंक फूड से परहेज करें।

आत्मविश्वास बनाए रखें भयभीत होने की स्थिति में वायरस प्रभावी हो जाता है और प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है । संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने में भय के स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। जिसका मन मजबूत होता है उसमें भय सामान्य स्तर का होता है। उसमें बीमारी गंभीर रूप नहीं ग्रहण करती और वह शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं। अतः मन को मजबूत रखकर तथा प्रकृति से तादात्म्य बनाकर जीवन यापन करने से कोरोना वायरस से आसानी से जंग जीती जा सकती है।

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