सुरुचि परिवार ने किया काव्य गोष्ठी का आयोजन 
सुरुचि की नव निर्वाचित सदस्यों की सूची घोषित

गुरुग्राम – सुरुचि साहित्य कला परिवार के तत्वावधान में सी. सी. ए. स्कूल , सेक्टर 4 गुरुग्राम में काव्य गोष्ठी का आयोजन प्रातः 1130 बजे से किया गया । उक्त काव्य गोष्ठी का आयोजन संस्था अध्यक्ष डॉ धनीराम अग्रवाल के सम्मान हेतु किया गया । ज्ञातव्य है कि डॉ धनीराम अग्रवाल को अर्थशास्त्र के विभिन्न विषयों पर कई शोध पत्र प्रकाशित किये जाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर आजीवन उपलब्धि सम्मान से अलंकृत किया गया है । सुरुचि परिवार के संरक्षक एवं सदस्यों द्वारा डॉ अग्रवाल के सम्मान में ये आयोजन किया गया । इस अवसर पर संरक्षक  सतपाल सिंह चौहान , शरद गोयल, सतीश सिंगला, कुलबीर सिंह मलिक, कुँवर प्रताप सिंह सहित सुरुचि परिवार के लगभग 30 सदस्य उपस्थित थे ।  सभी सदस्यों ने माल्यार्पण कर डा अग्रवाल के प्रति सम्मान अर्पित किया । डॉ अग्रवाल ने अपने उदबोधन में रामनाथ अवस्थी की पंक्तियों को उद्धृत करते हुये अपने संघर्षपूर्ण सफर के बारे में संक्षेप में बताया ।

इसके पूर्व सत्र 2021-24 हेतु नव निर्वाचित कार्यकारी सदस्यों की घोषणा की गई जिसमें अरुण माहेश्वरी, किशोर पाहुजा, डी के भारद्वाज, सुधीर त्रिपुरारि, घमंडी लाल अग्रवाल, वीणा अग्रवाल, कैलाश खोसला, राम लाल ग्रोवर,टी आर मलिक,  मनजीत कौर, नरेंद्र खामोश, रजनेश त्यागी, रविन्द्र सिंह यादव, युधिष्ठिर शर्मा, नरेन्द्र गौड़ के नाम का सुझाव स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया गया जबकि विशेष आमंत्रित सदस्य हेतु प्रमेश शर्मा एवं मनोज शर्मा का नाम प्रस्तुत किया गया ।

काव्य गोष्ठी का सहज संचालन मदन साहनी ने किया । नरोत्तम शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना एवं अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलन से विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ ।

त्रिलोक कौशिक की  पंक्तियां कुछ यूं थी

“कोयल की कूक गयी, मनवा की हुक गयी, सावन के धूप में धमाल देखता हूँ मैं ।”

वीणा अग्रवाल ने संदेश परक रचना पढ़ी”

चिंता नहीं चिंतन किया करो, दो पल की जिन्दगी है खुलकर जिया करो ।”

मोनिका शर्मा के गीत के माध्यम से समां बांध दिया

-“मैंने भी कुछ गीत लिखे हैं, कुछ गीत तुम्हारे साथ के, कुछ आँखों की बरसात के ।”

हरीन्द्र यादव के माहिया को खूब सराहना मिली ।

“रिश्ते तो रिसते हैं ,इनके चक्कर मे ,हम क्यों पिसते हैं ।”

अर्जुन वशिष्ठ ने पहली बार काव्य पाठ करते हुए कुछ यूं कहा

-“परिचय कुछ खानदानी रख,अपनी भी कुछ कहानी रख ।”

मदन साहनी के कोरोना काल की रचना को विशेष सराहना मिली

-“तुम्हारे आने से शायद अनहोनी टल जाये, संकट का पल निकल जाये, अच्छा हो, तुम आज ही चले आओ ।”

सतपाल सिंह चौहान, नरेन्द्र खामोश, मीना चौधरी, मनजीत कौर, मेघना शर्मा , मंजू भारती, हरीश, सुरिंदर मनचन्दा, आनिल श्रीवास्तव ने विभिन्न विषयों पर रचनाएं प्रस्तुत कर अपनी छाप छोड़ी ।

डॉ अग्रवाल ने सभी सदस्यों का धन्यवाद व सम्मान अर्पित करने हेतु आभार व्यक्त किया ।

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