• साधारण किसान के बेटे हैं तीनों पदक विजेता, परिवार ने बड़े कष्ट से अपने बच्चों को इस लायक बनाया कि वो देश का नाम रौशन कर सकें
• जब मणिपुर सरकार मीराबाई चानू को डीएसपी बना सकती है तो हरियाणा सरकार क्यों नहीं

चंडीगढ़, 7 अगस्त। हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष और सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा सरकार से मांग करी कि नीरज चोपड़ा को एडिशनल एसपी, रवि दहिया और बजरंग पुनिया को सीधा डीएसपी भर्ती किया जाए। उन्होंने कहा कि तीनों पदक विजेता, साधारण किसान के बेटे हैं। परिवार ने बड़े कष्ट से अपने बच्चों को इस लायक बनाया कि वो देश का नाम रौशन कर सकें। जब मणिपुर सरकार मीराबाई चानू को डीएसपी बना सकती है तो हरियाणा सरकार अपने पदक विजेता खिलाड़ियों को एएसपी और डीएसपी क्यों नहीं बना सकती। उन्होंने यह भी मांग करी कि ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले हरियाणा के सभी खिलाड़ियों को कम से कम 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि देकर उन्हें सम्मानित किया जाए।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज दोहरी खुशी का दिन है। देश के लिये हरियाणा के एक बेटे ने स्वर्ण जीता तो दूसरे बेटे ने कांस्य पदक जीत कर करोड़ों देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। जेवलिन थ्रो में टोक्यो की धरती पर भारत का ‘स्वर्णिम भाला’ गाडने वाले एथलीट नीरज चोपड़़ा और पहलवान बजरंग पुनिया को कुश्ती का कांस्य पदक जीतने पर बधाई देते हुए कहा कि नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने सिर्फ गोल्ड मेडल ही नहीं जीता बल्कि भारत में खेल को नया जीवन और नयी उम्मीद दी है। साथ ही, देश की शान पहलवान बजरंग पुनिया ने ओलिंपिक में कुश्ती का कांस्य पदक जीतकर देश को अपार गौरव का मौका दिया है। उन्होंने विश्वास जताया कि बजरंग अगली बार सोना जीतकर इस बार की कसर जरुर पूरी करेंगे।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान बनी खेल नीति कारगर साबित हो रही है। हुड्डा सरकार ने खिलाड़ियों के हित की ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति बनाकर हरियाणा को खिलाड़ियों की खान बना दिया। देश में अपनी अनूठी खेल नीति के तहत गांव-गांव में खेल स्टेडियम तैयार कराये। खिलाड़ियों को सुविधाएं मुहैया करायी, उन्हें प्रोत्साहित किया। इसका परिणाम ये रहा कि हरियाणा के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत कर पूरी दुनिया में देश का नाम रौशन किया। हुड्डा सरकार ने प्रतिभा को प्रोत्साहन वाली सोच के साथ खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित करने का काम किया था। उनकी सरकार के समय खेल कोटे से सीधे 18 डीएसपी भर्ती किये थे। इसके अलावा खेल कोटे से ही करीब 500 इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर भर्ती किये गये थे।

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