सीएम मनोहर लाल के रेवाड़ी और नारनौल के कार्यकर्ता सम्मेलन में दिखाई दी उपेक्षा की बड़ी झलक
 दोनों जगह सम्मेलन के बैनरो में गायब नजर आए राव भाजपा के ही राव विरोधी खेमे को दिया जा रहा पूरा भाव ।
बैनरों से राव को गायब रख “रामपुरा हाउस” को “हाशिए” पर डालने का अभियान किसके इशारे पर।
अहिरवाल में राव राजा का प्रभाव “खत्म” करने के लिए मुख्यमंत्री का खेमा हुआ सक्रिय।

अशोक कुमार कौशिक  

नारनौल। भाजपा की यह “फितरत” रही है कि वह जिसके सहारे सत्ता की सीढ़ी चढ़ती है समय आने पर उसको काटने में गुरेज नहीं करती। देश में ऐसे अनेकों उदाहरण है, जिसमें यह पता लगता है की मजबूती मिलने के बाद भाजपा ने अपने उन लोगों के “पर” कतर दिए जो कभी उनके लिए “मांझी” बने थे। अहीरवाल क्षेत्र में विस्तृत जनाधार के दम पर भाजपा हाईकमान को अपनी शर्तें मनवाने के लिए मजबूर करने वाले राव इंद्रजीत सिंह को क्या अब पार्टी ने “भाव” देना लगभग बंद कर दिया है? ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभिन्न मौकों पर नजरअंदाज करते हुए भाजपा संगठन अब अहीरवाल में रामपुरा हाउस के बिना अपनी पकड़ मजबूत बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। 

बुधवार को नारनौल और रेवाड़ी में आयोजित सीएम मनोहर लाल खट्टर के कार्यकर्ता सम्मेलन में से राव और उनके फोटो दोनों का गायब होना इस बात के संकेत दे रहा है कि अब प्रदेश भाजपा राव के बिना भी अहीरवाल में अपना मजबूत वजूद कायम करने की रणनीति पर काम कर रही है। काफी समय से राव को उपेक्षा पर उपेक्षा का शिकार बनाकर भाजपा में उनके विरोधी खेमे को जमकर तवज्जो दी जा रही है।

रेवाड़ी की 2014 की जिस रैली ने हरियाणा व देश की राजनीति में भाजपा के पक्ष में लहर चलाई । दक्षिणी हरियाणा में प्रबल बहुमत दिलाया। अब उस “अहीर राजा” की अपेक्षा क्या एक सोची रणनीति के तहत तो नही की जा रही? ये सवाल राजनीति हल्के में तेजी से उठ रहा है। अहिरवाल की राजनीति में एक बार फिर से “गर्मी” आती नजर आ रही है। कल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल और कोरियावास के कार्यक्रमों में “राव राजा” केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की “नजरंदाजी” और इसके सीएम के कार्यक्रमों के स्वागत बैनरों से उनकी फोटो तक “नदारद” होना अहिरवाल की राजनीति में  “चुटकी” भरने का काम किया गया है।

 यह ये उल्लेखनीय है कि कांग्रेस शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा लगातार अनदेखा और “तिरस्कार” के कारण उन्होंने कांग्रेस को बाय-बाय कहा था। उसी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पदचिन्हों पर अब भाजपा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चलते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार की तरह राव इंद्रजीत बीजेपी की सरकार में भी सोतैलेपन का शिकार हो गए। उनकी साफगोई ओर स्वाभिमानी सियासती अंदाज मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी रास नहीं आया। पिछले 7 साल से लगातार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत सिंह के बीच “दूरियां” चल रही है।   उनकी यह कार्यशैली रही है कि मंचों से सरेआम सरकार की “कमियों” का बखान करना और मुख्यमंत्री के सामने सवाल खड़ा करना। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तर्ज़ पर खट्टर से भी राव इंद्रजीत सिंह के लिए राजनीतिक तौर पर दूर होते गए जो नुकसानदायक साबित हुआ है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की “सोच” में राव इंद्रजीत कभी भी भरोसेमंद नहीं रहे। अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के सामने समानांतर नेता खड़ा करने की कवायद भाजपा की ओर से या सीएम  के स्तर पर शुरू हुई।

 पिछली सरकार में राव नरबीर सिंह को पूरी पावर और आजादी देकर आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया लेकिन वह गुड़गांव से बाहर अपना रुतबा और प्रभाव बनाने में “नाकाम” रहे। संतोष यादव व डाक्टर अभय सिंह यादव को को भी प्रोत्साहन दिया गया। यही नहीं उनके अजीज विक्रम सिंह को तोड़ने की कोशिश की गई। राव इंद्रजीत सिंह के विरोध पर विक्रम सिंह, संतोष यादव व भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रणधीर सिंह कापडीवास  के टिकट काटे गए।  इस सरकार में भी मुख्यमंत्री ने अभय सिंह यादव को कमान देकर राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ अघोषित मोर्चा खोल दिया । आधा दर्जन इंद्रजीत सिंह विरोधी नेताओं को भी मुख्यमंत्री का आशीर्वाद हासिल है। 

राव की ही जिद का परिणाम था कि अहीरवाल में जबरदस्त लहर होने के बावजूद पार्टी ने रेवाड़ी और बादशाहपुर सीटों को गंवा दिया था। यह बात और है कि पटौदी और नांगल चौधरी सीटों पर राव के प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाए और इन दोनों ही सीटों पर राव के दोनो राजनीतिक विरोधियों ने जीत हासिल की । नांगल चौधरी में तो राव समर्थकों ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. अभय सिंह यादव का खुलकर विरोध भी किया था। लेकिन क्षेत्र में मोदी लहर और स्थानीय राजनीतिक समीकरण के चलते वह लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो गए । विधानसभा चुनाव के बाद भी अहीरवाल के मामले में राव का राजनीतिक हस्तक्षेप लगातार जारी रहा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इंद्रजीत के दोनों मंत्री ओमप्रकाश यादव और बनवारी लाल को हटाकर अपने समर्थकों को मंत्री बनाना चाहते हैं लेकिन राव इंद्रजीत ने अपनी “वीटों पावर” का इस्तेमाल करके मुख्यमंत्री के अरमानों पर पानी फेर दिया। अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को “प्रतिद्वंद्वी” नजर आ रहे हैं‌ इसलिए हर कदम पर उनको सियासी तौर “पर” काटने और उनका प्रभाव कम करने के लिए कोशिशें लगातार जारी रहती हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ समय पहले प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर ओमप्रकाश यादव को हटाकर डॉ. अभय सिंह यादव को मंत्री बनाने की तैयारी चल रही थी लेकिन राव इंद्रजीत सिंह ने एक बार फिर डॉ. अभय सिंह यादव का रास्ता रोकने पर पूरा जोर लगा दिया था।

 वर्तमान सरकार के 600 दिन पूरे होने पर चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में समर्थक दोनों मंत्रियो ने भागीदारी नहीं की थी जिसके चलते दोनों ही नेताओं में रिश्ते और भी तल्ख हो गए।

 उसके बाद ही मुख्यमंत्री ने राव समर्थक दोनों मंत्रियों को हटाने का मन बना लिया था लेकिन राव इंद्रजीत के भाजपा हाईकमान के मजबूत रिश्ते के कारण मुख्यमंत्री की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई लेकिन मुख्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह को हाशिए पर धकेलने के लिए मन बना चुके हैं। इसलिए अहीरवाल में नए सिरे से विरोधी नेताओं को ज्यादा पावर और खुली छूट देने का काम शुरू हो गया है। राव इंद्रजीत सिंह और उनके समर्थकों को सीएम मनोहर लाल का यह निर्णय अभी तक रास नहीं आया है। पार्टी संगठन विस्तार के दौरान भी राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों को लगभग खाली हाथ रखा गया। इसके विपरीत राव विरोधी खेमे के नेताओं को संगठन में पूरा महत्व दिया गया। राव विरोधी खेमे से जुड़े जीएल शर्मा, संतोष यादव व दूसरे नेताओं को संगठन में स्थान दिया गया, जबकि राव समर्थकों को प्रदेश संगठन से लगभग दूर रखा गया।

 कल नारनौल में जिस तरह से मुख्यमंत्री ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए राव इंद्रजीत सिंह को खुली चुनौती देने का काम किया वह अहीरवाल की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म देने का काम करेगा। मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में न तो राव इंद्रजीत को बुलाया गया और ना ही बैनरों में उनके फोटो को जगह दी गई जिसके चलते दोनों ही नेताओं के रिश्तो में “तल्खी” और भी बढ़ गई है।
 राव इंदरजीत सिंहअपने जनाधार और पकड़ के बलबूते पर अहीरवाल में मुख्यमंत्री को खुली चुनौती दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भी उन्हें कमजोर करने का हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं और उनका मजबूत विकल्प तैयार करने की मिशन में जुट गए हैं। कल नारनौल और रेवाड़ी में मुख्यमंत्री ने अपने समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करके राव इंदरजीत को यह बड़ा संदेश देने का काम किया कि उनके बगैर भी अहीरवाल में काम चल सकता है।

 अब सवाल ये उठता है की यह है कि राव इंदरजीत सिंह की अपने पिता राव बिरेंदर सिंह की तरह “दबंग” राजनीति मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को रास नहीं आ रही या भाजपा हाईकमान के इशारे पर ये “खेल” हो रहा है। प्रदेश के दूसरे सभी नेता मुख्यमंत्री के सामने सरेंडर कर चुके हैं वहीं राव इंद्रजीत सिंह ने अभी तक अपने बलबूते की राजनीति की हैं और मुख्यमंत्री को आगे नतमस्तक नहीं हुए हैं। मुख्यमंत्री  को सबसे ज्यादा यही बात अखरती है कि राव इंद्रजीत उनके सामने हाजिरी क्यों नहीं मारते ? अहीरवाल की एक दर्जन सीटों पर इंद्रजीत का बड़ा प्रभाव होने के कारण भाजपा हाईकमान जहां उनके लिए यह पोजीटिव है फिर मुख्यमंत्री उनको काटने के प्रयासों में क्यों हैं।

 भूपेंद्र यादव के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद और राव अभय सिंह को मंत्री बनाने की मुख्यमंत्री की कोशिश ने अहीरवाल की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर दी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से राव इंद्रजीत सिंह को अब एक के बाद एक झटके देने का दौर शुरू कर दिया गया है। राव को सबसे बड़ा झटका उस समय दिया गया, जब गत विधानसभा चुनावों में रेवाड़ी हलके में भाजपा प्रत्याशी का विरोध करने वाले डॉ. अरविंद यादव को हरको बैंक का चेयरमैन बनाया गया। अरविंद यादव को पंचायत चुनाव प्रबंधन समिति में शामिल करके एक बार फिर से राव को चिढ़ाने का काम किया गया है। 

इन मामलों को लेकर अभी तक राव ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। राव इंद्रजीत को खत्म करना आसान बात नहीं है उनके बराबर का चेहरा भी आसानी से तैयार नहीं हो सकता। ऐसे में मुख्यमंत्री का इंद्रजीत को चुनौती देना भाजपा के अंदर नए सियासी युद्ध को जन्म देने का काम कर गया है। अब मुख्यमंत्री और इंद्रजीत के बीच अहीरवाल में सरेआम शक्ति प्रदर्शन होते हुए नजर आएंगे। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री सत्ता के बलबूते पर इंद्रजीत के सियासी कद को कम करने में कितना सफल हो पाते हैं और अपने खिलाफ चल रही सियासी साजिशों का सामना करते हुए इंद्रजीत किस तरह से अपना वजूद बनाए रखने में सफल हो सकते हैं। 

राव इंद्रजीत का मजबूत जनाधार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को हर प्रयास के बाद भी दरकता दिखाई नहीं दे रहा  और इसीलिए वे उनके विकल्प के तौर पर उनके विरोधियों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। राव इंदरजीत की खुले ख्यालात की राजनीति मुख्यमंत्री को “रास” नहीं आ रही है, इसलिए अहीरवाल में राव इंदरजीत के “रुतबे” को कम कर करने का अभियान एक बार फिर शुरू किया गया है।

कल बैनरों से फोटो के गायब होने को भले ही राव समर्थक इसे अनजाने में हुई भूल करार दे रहे हो, लेकिन गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र के रेवाड़ी हलके में आयोजित सम्मेलन से राव और बैनर से उनका फोटो गायब होना भूल नहीं माना जा सकता। राजनीतिक जानकारों के अनुसार अब भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अहीरवाल के मामलों में राव के इशारे पर चलने की बजाय राव को अपने इशारे पर चलाने की नीति पर काम कर रहा है। देखना यह है कि बदली हुई परिस्थितियों में राव की आगामी रणनीति क्या होगी?

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