कारगिल युद्ध के शहीदों को याद कर पटौदी शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र किए अर्पित.
दुश्मन देश सियाचिन और लद्दाख को भारत से चाहता था अलग करना

फतह सिंह उजाला

पटौदी।  भारतीय सैनिक युद्ध कौशल में आज के समय दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सैनिक हैं । कारगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना और सैनिकों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सैन्य उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं । यह बात लेफ्टिनेंट जनरल राजीव भल्ला ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित एक समारोह के उपरांत पत्रकारों से बात करते हुए कही।

इससे पहले पटौदी के शहीद स्मारक पर कारगिल युद्ध के शहीदों के अलावा अन्य सभी ज्ञात-अज्ञात शहीद सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए पुष्प चक्र अर्पित किए गए। इस मौके पर पूर्व सैनिकों में मुख्य रूप से कंवर सिंह ,राजेंद्र सिंह यादव, अजीत सिंह, आरपी सिंह, रामस्वरूप, सुबे सिंह, सीपी यादव , सुखबीर सिंह, लाल सिंह, शेर सिंह, जसराम, सुबे सिंह, सुरेंद्र सिंह सहित अन्य सैनिक भी मौजूद रहे । गौरतलब है कि कारगिल युद्ध के दौरान सबसे अधिक शहादत अहीरवाल के सैनिकों और उसमें भी सबसे अधिक शहादत सैनिकों की खान कहे जाने वाले पटौदी क्षेत्र के सैनिकों के द्वारा दी गई थी ।

पटौदी के गांव कूणी के निवासी किशोर सैनिक विजेंद्र सिंह किसी भी युद्ध में शहीद होने वाला पौनेे 18 वर्ष की आयु का दुनिया का पहला शहीद माना जाता है । कारगिल युद्ध के दौरान शहादत देने वाले शहीद आजाद सिंह और किशोर शहीद विजेंद्र सिंह के परिजनों को कारगिल विजय दिवस के मौके पर विशेष रूप से सम्मानित भी किया गया । इसी मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव भल्ला ने कहा की दुश्मन देश साजिश के तहत सियाचिन और लद्दाख को भारत से अलग करने के लक्ष्य को लेकर कारगिल में हमलावर हुआ था । लेकिन भारत की आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के सैैनिकों के सामूहिक युद्ध कौशल की बदौलत विपरीत और जटिल परिस्थितियों के बावजूद दुश्मन देश को मुंह तोड़ जवाब देते हुए सैनिकों के द्वारा जीत हासिल की गई ।

उन्होंने कहां की सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सरकार की तरफ से कारगिल युद्ध के दौरान मोर्चे पर  सैनिकों को हिदायत दी गई थी कि किसी भी सूरत में एल ए सी को पार नहीं करना है । इन हालात में सैनिकों का एकक हााथ बंधा हुआ था और एक ही हाथ खुला हुआ था । भारत के जांबाज सैनिकों के द्वारा अपने एक ही हाथ से दुश्मन देश को बुरी तरह से कारगिल युद्ध में धूल चटाने का काम किया गया। कारगिल युद्ध में अनेक जांबाज सैनिकों के द्वारा अपनी शहादत दी गई, देश की सुरक्षा और देशवासियों की रक्षा के लिए हमारे जांबाज सैनिकों ने बर्फीली और जटिल पहाड़ियों पर पहुंच कर विभिन्न चोटियों पर कब्जा करते हुए भारतीय तिरंगा शान के साथ फहराया । उन्होंने कहा आज भी किसी भी प्रकार की आपदा हो जब हालात किसी भी एजेंसी के काबू में नहीं रहते हैं तो अंतिम विकल्प के रूप में सेना की ही मदद ली जाती है । सेना की विभिन्न यूनिट के सैनिक एक और एक मिलकर 11 बनते हुए युद्ध के मैदान के अलावा आपदा के समय में भी पूरी देशभक्ति के जज्बे के साथ में काम करते आ रहे हैं । कारगिल युद्ध अपने आप में एक बेहद चुनौतीपूर्ण युद्ध के बराबर ही था और भारतीय सैनिकों ने अपने युद्ध कौशल का परिचय देते हुए कारगिल में शानदार विजय हासिल की । कारगिल युद्ध के दौरान शहादत देने वाले शहीदों को याद करने के साथ सम्मान देने के लिए ही प्रति वर्ष कारगिल विजय दिवस मनाया जाता रहा है।

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