यह घटना पटौदी क्षेत्र के गांव पड़ासोली की बताई गई. किसान सतवीर के 4 मवेशी अचानक मौत का ग्रास बने. पीड़ित किसान-ग्रामीणों के हंगामा करने पर पहुंचे पशु चिकित्सक फतह सिंह उजालापटौदी । पटौदी क्षेत्र के ही सीमांत गांव पड़ासोली में एक किसान के चार पालतू मवेशी रहस्य में तरीके से मौत का ग्रास बन गए। पीड़ित किसान के लिए अपने पशु खोने के साथ-साथ इस बात को लेकर भी रोष है कि रहस्य में तरीके से मरे उसके मवेशियों की मौत का रहस्य भी दफन होकर रह गया। पीड़ित किसान सतवीर पुत्र लाल सिंह व अन्य ग्रामीणों के मुताबिक शनिवार देर रात को ग्रामीणों के द्वारा हंगामा किया जाने पर ही पशु चिकित्सक मौके पर पहुंचे । कथित रूप से पशु चिकित्सकों के द्वारा भी सुबह रविवार के समय पोस्टमार्टम सहित मौत का कारण जानने की बात कही गई । इस बात पर पीड़ित किसान सहित ग्रामीण भड़क उठे की करीब 6 घंटे से अधिक समय बीतने पर पशु चिकित्सक पहुंचे हैं और अब इतना समय नहीं है कि इन मरे हुए पशुओं को रात भर बरसात के भभकते उमस के मौसम में खुले में रखा जाए । जानकारी के मुताबिक गांव पड़ासोली के रहने वाले सतवीर पुत्र लाल सिंह का कहना है कि शनिवार शाम को लगभग 3. 30 बजे अपने चारों पालतू पशुओं को सूखा चारा खाने के लिए दिया गया था। इन 4 पशुओं में एक गाय एक भैंस एक बछड़ा और एक कटड़ा बताया गया । चारा खाने के कुछ देर बाद ही सबसे पहले बछड़ा उसके बाद गाएं और बारी बारी से चारों मवेशी कांपने लगे और बुरी तरह तड़पने भी लगे। अचानक पशुओं को तड़पते और धड़ाम से जमीन पर गिरने को देखकर किसान के पांव तले जमीन खिसक गई । सत्यवीर के मुताबिक पशुओं को चारा वह अपने हाथों से और उसकी पत्नी ही हमेशा से खिलाते आ रहे हैं, किसी भी प्रकार का हरा चारा मवेशियों को नहीं खिलाया गया । आरोप अनुसार जैसे ही पशुओं को तड़पते हुए देखा गया उसी समय पशु चिकित्सकों को फोन करना आरंभ कर दिया गया । लेकिन 1 घंटे तक प्रयास किए जाने के बाद भी संबंधित पशु चिकित्सकों के द्वारा न तो कॉल रिसीव की गई नहीं कॉल बैक की गई । इसके बाद में फैसला किया गया कि मौत का ग्रास बने मवेशियों को गहरा खड्डा खोदकर दफन किया जाए । जब यह मामला मीडिया के साथ-साथ अधिकारियों के संज्ञान में आया तो देर रात चिकित्सक गांव में पहुंचे और पशुओं के मरने के संदर्भ में विभिन्न प्रकार के सवाल भी किए गए पीड़ित किसान से जानकारी मांगी गई परिवार में किसी भी सदस्य को कोई भी रोग अथवा बीमारी तो नहीं है या अड़ोस पड़ोस में किसी अन्य को तो कोई बीमारी नहीं है या घटना से पहले पशुओं में अन्य किसी प्रकार की बीमारी के लक्षण देखे गए हो ? इतने अधिक सवाल सुनकर पीड़ित किसान का गुस्सा और अधिक भड़क गया, मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने दो टूक कहा जो कुछ भी मौत का ग्रास बने पशुओं के बारे में जांच करनी है उसी समय कर ली जाए सुबह तक मरे हुए पशुओं को नहीं रखा जाएगा। क्योंकि जिस प्रकार से बरसात के बाद में उमस भरा मौसम बना हुआ है ऐसे में मरे हुए मवेशियों के शरीर और अधिक खराब होने की आशंका बनी हुई है। पीड़ित किसान सतवीर पुत्र लाल सिंह के मुताबिक अचानक मौत का ग्रास बने पशुओं के कारण उसे ढाई से 3 तीन का नुकसान उठाना पड़ा है । वही पशु पालन विभाग सहित पशु चिकित्सकों के व्यवहार को लेकर भी रोष जाहिर किया गया है । पीड़ित किसान सतबीर पुत्र लाल सिंह सहित अन्य ग्रामीणों के द्वारा शासन प्रशासन से मांग की गई है कि रहस्यमय तरीके से मौत का ग्रास बने पशुओं का मुआवजा पीड़ित किसान को उपलब्ध करवाया जाए । इसके साथ ही गांव में जितने भी पालतू मवेशी हैं सभी के स्वास्थ्य की जांच भी की जाए। Post navigation गुरु पूर्णिमा पर देर शाम तक चला संत दर्शन और आशीर्वाद का सिलसिला भारतीय सैनिक युद्ध कौशल में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ: लेफ्टिनेंट जनरल राजीव