ऋषि प्रकाश कौशिक

 किसान संसद का आयोजन एक अनूठा प्रयोग है। किसान आंदोलन के रणनीतिकारों की सूझबूझ की दाद देनी होगी। किसान जो बात सरकार को कहना चाहते थे वो बात शैडो संसद के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से कह रहे हैं; लोकतांत्रिक मर्यादाओं में रह कर अपने मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। उनकी संसद में मुद्दों हुई बहस ना सिर्फ सरकार बल्कि कई देशों तक पहुंची है। किसानों की आवाज़ असरदार तरीके से दुनिया के कई देशों तक पहुँचाने के लिए ‘किसान संसद’ एक नायाब तरीका साबित हुआ है।

आठ महीने से चला आ रहा किसान आंदोलन में कोई नई गतिविधियाँ कई महीनों से नहीं दिख रही थीं; हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज को आन्दोलन शिथिल-सा दिखाई दे रहा था इसलिए वे कुछ दिन पहले दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात में यह भी कह आए थे कि किसान आंदोलन अब खत्म हो रहा है। लेकिन, किसानों ने शैडो संसद के जरिए अपने आंदोलन को नए आवरण दिया है जिससे आंदोलन में पुरानी ऊर्जा और दमखम दिखाई देने लगा है।

 संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी संसद की कार्यवाही देश की संसद की तरह शनिवार और रविवार को स्थगित कर दी। सोमवार को किसान आंदोलन के 242 वें दिन संसद की कार्यवाही फिर शुरू होगी। पहले ही बताया जा चुका है कि जंतर मंतर पर किसानों की संसद देश की संसद के समानांतर चलेगी यानी जिस दिन देश की संसद में कार्यवाही नहीं होगी उस दिन किसानों की संसद भी स्थगित रहेगी। 22 और 23 जुलाई 2021 को किसान संसद के दो दिनों में किसान विरोधी एपीएमसी बाईपास अधिनियम पर चर्चा हुई और इसे तत्काल निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया। किसान संसद में हुई बहस में यह भी माना गया कि मौजूदा मंडी प्रणाली को केंद्र के बजटीय समर्थन से राज्य सरकारों द्वारा सुधारने की जरूरत है। किसान संसद के प्रस्ताव में भी इस पहलू को शामिल किया गया है। किसान संसद एक व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चलती थी और उच्च स्तरीय वाद-विवाद और विश्लेषण होता है।  संयुक्त किसान मोर्चा ने सत्र शुरू होने से पहले सभी सांसदों को एक जन सचेतक जारी किया था।

दिल्ली के अलावा अन्य स्थानों पर भी मिनी किसान संसद का आयोजन किया जा रहा है। पंजाब के लुधियाना जिले के किला रायपुर में धरना स्थल पर अडानी के सूखे बंदरगाह पर कल बच्चों ने किसान संसद चलाई। इस आंदोलन का महत्त्व यह है कि यह नागरिकों की कई पीढ़ियों को इसमें शामिल होने और योगदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है!

 पंजाब से सेवानिवृत्त नौकरशाहों के कीर्ति किसान फोरम और रक्षा सेवा कर्मियों के एक मंच ने किसान आंदोलन और जंतर-मंतर पर किसान संसद के लिए अपना समर्थन देने का एलान किया है। इसी तरह सेवानिवृत्त एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास ने पंजाबी में एक संदेश में किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया और एकजुटता दिखाई। उन्होंने संघर्ष के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों की शांति और अनुशासन की प्रशंसा की।

सिंघू बॉर्डर धरना स्थल पर आज फिर आग लग गई और इस घटना में किसानों के कई टेंट जलकर राख हो गए। हालांकि, किसानों का मनोबल ज्यों का त्यों है। 

 पंजाब और हरियाणा में भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हाल ही में राजस्थान में बीजेपी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष को अलवर के पास काले झंडे दिखा कर विरोध जताया गया। कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जब वह रुद्रपुर आए तो उनके दौरे के विरोध में स्थानीय किसान बड़ी संख्या में एकत्र हुए और पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को उठाया। पंजाब के फगवाड़ा में कल सतनामपुरा गांव में केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश और बीजेपी नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। 

 हरियाणा में भी किसानों का विरोध कारगर साबित हो रहा है। कई अवसरों पर किसानों की एकजुटता और विरोध के कारण सरकार को झुकना पड़ा है। बिहार में एआईकेएससीसी के बैनर तले विभिन्न किसान संघों ने 9 अगस्त को भारत छोड़ो दिवस पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय किया है।      

उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए एलान किया कि अभी किसान आंदोलन 35 महीने और चलेगा। अभी तीन बारिश, तीन सर्दी और तीन गर्मी बाकी हैं। 

उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ना संयुक्त मोर्चा का लक्ष्य नहीं है। किसान लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात कह रहे हैं।

 किसान आंदोलन का समाधान सरकार के पास है। किसान हरियाणा सरकार की सख्ती बरतने का इंतजार कर रहे हैं।