चौटाला के मुख्यमंत्री रहते व केन्द्र में अटल बिहारी वापजेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई और उन्ही के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने जेबीटी अध्यापकों की नियुक्ति में हुई धांधली के सीबीआई जांच आदेश दिये थे। 

रेवाड़ी, 21 जुलाई 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पूर्व मुख्यमंत्री औमप्रकाश चौटाला के इस दावे को हास्यास्पद व लफ्फाबाजी बताया कि वे हरियाणा के युवाओं को नौकरी देने के लिए फांसी की सजा के लिए भी तैयार है। विद्रोही ने कहा कि औमप्रकाश चौटाला को सैशन कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक दस वर्ष की सजा युवाओं को रोजगार देने के लिए नही दी थी अपितु उन्हे जेल सजा मुख्यमंत्री रहते हुए 3206 जेबीटी अध्यापकों की निुक्तियों में धांधली के कारण दी गई थी। जेबीटी अध्यापकों की धांधली का यह मामला किसी राजनीतिक दल या नौकरी से वंचित किसी जेबीटी अध्यापक ने नही उठाया था अपितु उस समय जेबीटी भर्ती करने वालों में एक हरियाणा प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक संजीव कौशल आईएएस ने प्रमाणों के साथ सुुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल के माध्यम से उठाया था। चौटाला के मुख्यमंत्री रहते व केन्द्र में अटल बिहारी वापजेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई और उन्ही के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने जेबीटी अध्यापकों की नियुक्ति में हुई धांधली के सीबीआई जांच आदेश दिये थे। 

विद्रोही ने कहा कि जब हरियाणा में चौटाला स्वयं मुख्यमंत्री थे और केन्द्र में इनेलो समर्थक भाजपा-एनडीए सरकार थी, तब के समय सुप्रीम कोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के लिए किसी अन्य राजनीतिक दल के नेता को चौटाला द्वारा अपनी सजा के लिए जिम्मेदार ठहराना औच्छी राजनीति है। देश-प्रदेश में कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री बनने से वह व्यक्ति संविधान, कानून, नियम-कायदों से बडा नही हो जाता है और न ही वह नियमों को तांक पर रखकर किसी को भी सरकारी नौकरी दे सकता और न ही वंचित कर सकता है। सरकारी नौकरी देने के लिए हर निर्वाचित सरकार को एक निश्चित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है और जो भी इस प्रक्रिया का पालन नही करेगा, उसे चौटाला की तरह जेल की हवा खानी पड़ेगी। 

विद्रोही ने कहा कि इस बात पर बहस व विवाद हो सकता है कि चौटाला को मिली दस साल की जेल सजा ज्यादा थी या नही। वहीं उनकी सजा को जब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही मान लिया और चौटाला दस साल तक तिहाड जेल में रहकर अपनी जेल सजा भुगत चुके है, तब इस प्रकार की औच्छी राजनीति करने का कोई औचित्य नही। विद्रोही ने सवाल किया कि क्या व्यर्थ की अर्नगल राजनीति करने से चौटाला पर जेल सजायाफ्ता का ठप्पा हट जायेगा? चौटाला-इनेलो व उनके समर्थक जो भी कहे, कितना भी हल्ला मचा ले, अब चौटाला जी को मृत्युपर्यंत तक जेल सजा का ठप्पा साथ लेकर ही जीना पड़ेगा।

विद्रोही ने कहा कि चौटाला जी की उम्र भी 86 साल से ज्यादा हो चुकी है, ऐसी स्थिति में उम्र व 10 जेल की सजा के चलतेे वे 2024 विधानसभा चुनाव लडने के ही योग्य नही है तो उनका दोबारा मुख्यमंत्री बनने व मुख्यमंत्री बनकर युवाओं को रोजगार देने का सवाल ही कहा रह जाता है।  

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