सूअर, मछली पालन व बागवानी एक साथ करके ईशु चौधरी कमा रहे लाखों
सूअर के मल-मूत्र से मछलियों की खाद्य जरूरत तथा मछलियों के पानी से बागवानी के लिए खाद की जरूरत हो रही पूरी
प्रोजेक्ट को देखने पहुंचे उपायुक्त अजय कुमार, सरकार दे रही भारी सब्सिडी

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो इंसान के सामने कोई भी लक्ष्य बड़ा नहींं होता। सरकार की योजनाओं का लाभ उठाते हुए निवाजनगर निवासी ईशु चौधरी ने इंटीग्रेडिट फार्मिंग के क्षेत्र में जिला में नया उदाहरण पेश किया है। वन टाइम इनवेस्टमेंट से अब वह लाखोंं की कमाई कर रहा है। उसके इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी मिलने पर उपायुक्त अजय कुमार ने आज खुद मौके पर जाकर इस युवा की हौसला अफजाई की।

ईशु चौधरी ने अपने पंजाब के दोस्तों से प्रेरणा लेकर उनसे भी अलग किस्म का प्रोजेक्ट तैयार करने का निर्णय लिया। उन्होंने निवाजनगर में अपनी खुद की 15 एकड़ जमीन मेंं से साढ़े पांच एकड़ में मछली पालन तथा साढ़े छह एकड़ मेंं बागवानी व आधे एकड़ में सूअर पालन का कार्य शुरू किया। इस ज्ञान फार्मिंग के नाम से शुरू किए इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी बात ये है कि इन तीनों क्षेत्रों की खाद्य, खाद व पानी की पूर्ति एक दूसरे से हो रही है।

सबसे पहले उन्होंने सूअर फार्म बनाया हुआ है। उसके साथ ही मछली पालन के लिए विभाग से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत काम शुरू किया। मछली के लिए बनाए गए जोहड़ों के साथ ही उन्होंने बागवानी विभाग की योजना के तहत बाग लगवाया। इसमें सबसे बड़ी खास बात ये है कि उसे मछलियों के लिए अलग से कोई बहुत ज्यादा फीड की आवश्यकता नहींं पड़ती। सूअर फार्म से निकलने वाला मल-मूत्र ही जोहड़ मेंं पहुंचता है ताकि उस खुराक को ग्रहण करके मछलियों की बढ़ौतरी हो सके। ईशू चौधरी ने बताया कि अगर वह सूअर फार्म अकेला करता तो उसे सूअर के मल-मूत्र को डिस्पोज ऑफ करने के लिए खर्च करना पड़ता तथा उसके बाद भी आसपास में बदबू रहती। इस समस्या के समाधान के लिए उनको मछली पालन अधिकारी सौमदत्त ने उनको सरकार की योजना से मछली पालन करने सलाह दी जिससे एक साथ दो समस्याएं हल हो जाएंगी। उनके इस आइडिया ने इस प्रोजेक्ट की सफलता का नया रास्ता दिखाया है। इस तालाब में हर वर्ष 12 टन प्रति हेक्टयर की उत्पादन क्षमता है।

इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2020 में तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी मनदीप सिंह से मुलाकात की तथा मछलियों के लिए बनाए गए जोहड़ के पानी के प्रयोग के संबंध में जानकारी ली। जिला उद्यान अधिकरी ने सरकार की योजना के अनुसार बाग लगवाने की कार्यवाही शुरू करवाई। इसके साथ ही बाग में 85 फीसदी अनुदान पर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम भी लगवाया व 75 फीसदी अनुदान पर सोलर ट्रैप भी लगवाया। मछलियों के तालाब से निकलने वाले पानी को बाग की सिंचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। जिसमें पौधों को घुनशील खाद आदि की जरूरत नहींं पड़ती। सभी प्रकार के जरूरी तत्व मछली के लिए बनाए गए तालाब मेंं मौजूद होते हैं।

इन्होंने सूअरों की फीड की जरूरत को पूरा करने के लिए फार्म पर ही एक छोटा फीड मिल भी लगवाया है। सूअर फार्म में सबकुछ एटोमेटिक है। सूअरोंं को खाना पानी अपने-आप ही डलता रहता है।

इंटीग्रडिट फार्मिंग से अन्य युवा भी सीख लें : उपायुक्त

निवाजनगर मेंं ज्ञान इंटीग्रेडिट फार्मिंग के दौरे के दौरान उपायुक्त अजय कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। यहां बनाए गए इंटीग्रडिट फार्मिंग से जिला के अन्य युवा भी सीख सकते हैं। इस तरह के प्रोजेक्ट से किसान की निश्चित आमदनी सुनिश्चित होती है। उन्होंने पूरे फार्म का दौरा कर इस प्रोजैक्ट के बारे मेंं जानकारी ली। उन्होंने फार्म परिसर मेंं पौधारोपण भी किया। इस मौके पर मछली पालन अधिकारी सोमदत्त, पूर्व जिला उद्यान अधिकारी मंदीप सिंह, जयप्रकाश चौधरी, पूर्व सरपंच सत्यप्रकाश, संजय चौधरी व मुकेश के अलावा अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

एससी जाति के किसान व किसी भी वर्ग की महिला किसान को 60 फीसदी दिया जाता है अनुदान

मछली पालन अधिकारी ने बताया कि इस तरह तालाब मेंं मछली पालन करने पर सरकार प्रधनमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुसूचित जाति तथा महिला वर्ग के किसानों को 60 फीसदी अनुदान दिया जाता है। वहींं सामान्य किसानों को 40 फीसदी के हिसाब से अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा इसमेंं फीड मिल लगाने, ऑटो रिक्शा खरीदने के लिए भी अनुदान दिया जाता है। अनुसूचित जाति से संबंधित बेरोजगार युवकों को इस कार्यालय द्वारा प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम लगातार चलता रहता है तथा जो किसान अनुसूचित जाति से संबंधित होते हैं उन्हें पंचायती जोहड़ पट्टे पर लेने पर 50 प्रतिशत पट्टा राशि पर अनुदान मिलता है। वहींं खाद खुराक पर 60 फीसदी के हिसाब से अनुदान दिया जाता है। जाल खरीदने पर व मछली पालन के लिए दुकान खोलने तथा प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षण भत्त्ता भी दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि अधिकतम 11 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर की लागत पर 60 फीसदी अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि निवाजनगर मेंं ईशु चौधरी के प्रोजेक्ट के लिए कार्यालय द्वारा सभी प्रकार की कागजी कार्यवाही की जा चुकी है। विभाग अब उन्हें निर्धारित अनुदान देगा। इस युवा से अन्य युवाओंं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। इन योजनाओं के संबंध में मत्सय अधिकारी के महेंद्रगढ़ में लघु सचिवालय के कमरा नंबर 205 तथा नारनौल में मालवीय नगर स्थित कार्यालय मेंं संपर्क किया जा सकता है।

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