-ढ़ोसी पर्वत को पर्यटक स्थल के रूप में तो विकसित करे, किन्तु पहाड़ पर रिजॉर्ट ना बनाया जाए।-जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र-रिजॉर्ट या होटल पहाड़ी की तलहटी में बनाया जाए भारत सारथी नारनौल। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर रविवार को ढ़ोसी पर्वत पर पर्यटन की संभावनाओं का निरीक्षण करने के उद्देश्य से पधार रहे हैं। चर्चा है कि इस पर्वत को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा तथा पहाड़ी पर विदेशी सैलानियों के ठहरने के लिए रिजॉर्ट का भी निर्माण किया जाएगा। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री के आगमन से पूर्व, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर ढ़ोसी की पहाड़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का तो स्वागत किया है। किन्तु साथ ही उन्होंने पहाड़ी के ऊपर विदेशी या देशी पर्यटकों के ठहरने के लिए किसी होटल या रिजॉर्ट का निर्माण नहीं करने का भी अनुरोध किया है। अपने पत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि धार्मिक महत्व के इस प्राचीन पर्वत पर पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करना तो स्वागत के योग्य है किन्तु पर्वत के प्राचीन धार्मिक महत्व को देखते हुए वहाँ किसी होटल या रिजॉर्ट का निर्माण करना, इस पर्वत के धार्मिक महत्व को नष्ट करने वाला तथा इस क्षेत्र के लोगों की आस्था पर आधात करने वाला होगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार पर्यटकों की सुविधा के लिए होटल का निर्माण करना चाहती है, तो वह पहाड़ की तलहटी में कुलताजपुर या थाना गाँव में बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी धार्मिक महत्व के तीर्थ स्थल को मात्र इसलिए नष्ट नहीं किया जा सकता कि वहाँ पर्यटन की संभावनाएं विकसित हो जाएंगी। श्री वशिष्ठ ने कहा कि ढ़ोसी पर्वत मात्र पर्यटक स्थल नहीं है, अपितु क्षेत्र में बहुत ही धार्मिक महत्व रखता है। उक्त पर्वत पर महर्षि च्यवन ऋषि का भव्य मंदिर, ठाकुर जी का मंदिर, मंशादेवी मंदिर, एक बड़ा शिवालय व धार्मिक आस्था की छतरियाँ व कुण्ड विद्यमान हैं। इसके अतिरिक्त इस पर्वत पर बहुत ही धार्मिक महत्व की चन्द्रकूप विद्यमान है, जिसे तीर्थ के रूप में मान्यता है। चन्द्रकूप के जल से सोमवती अमावस्या को स्नान का विशेष महात्म्य है। सोमवती अमावस्या व श्रावण मास में इस पर्वत पर हजारों की संख्या में श्रृद्धालु एकत्रित होते हैं। श्री वशिष्ठ ने कहा कि *धार्मिक महत्व के इस पर्वत पर विदेशी पर्यटकों के द्वारा माँस व मदिरा का सेवन किया जाएगा व महिला पुरूष पर्यटकों द्वारा किए जाने वाले व्यभिचार या महिला संसर्ग पर भी कोई रोकटोक नहीं हो सकेगी। उन्होंने कहा कि यह पर्वत अमीर व विदेशियों के व्यभिचार का अड्डा बन जाएगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक महत्व के इस ऋषि पर्वत पर मास मदिरा का सेवन व महिला पुरूष संसर्ग किसी भी सूरत में उपयुक्त नहीं है।* इसके अतिरिक्त इस पर्वत पर जगह ज्यादा नहीं है तथा उपलब्ध जगह पर कई मंदिर, कुण्ड व कूप आदि बने हुए हैं तथा एक छोटा बाँध भी बनाया हुआ है। *यदि इतनी जगह में उपलब्ध जगह को रोककर विदेशियों के लिए होटल रिजॉर्ट का निर्माण कर दिया तो जगह के आभाव में सोमवती अमावस्या व श्रावण मास में आने वाले श्रद्धालुओं को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा। मनीष वशिष्ठ ने बताया कि ढ़ोसी पर्वत महर्षि भृगु व उनके पुत्र महर्षि च्यवन की तपोस्थली है। महर्षि भृगु ने यहीं पर अपना दिप्तोदिक आश्रम स्थापित किया था तथा यहीं पर उन्होंने भृगु संहिता की रचना की थी। इसी ढ़ोसी पर्वत पर महर्षि च्यवन ने घोर तपस्या करके च्यवनप्राश बनाया था। उक्त पहाड़ी पर राजपूत राजा नूनकरण ने 11वीं शताब्दी में ढ़ोसी पर किले का निर्माण करवाया था। जिसके द्वार व परकोटा आज भी सुरक्षित है। राजा नूनकरण ने ही नारनौल नगर को बसाया था। मान्यता के अनुसार पाँडवों ने भी अपने अज्ञातवास का कुछ समय इस पहाड़ी पर व्यतीत किया था। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से इस क्षेत्र के लोगों की धामिक आस्थाएं इस पर्वत से जुड़ी हुई हैं। Post navigation कृषि कानून बिल किसानों के हित में विपक्ष कर रहा ओछी राजनीति: जेपी दलाल मानव जीवन में पेड़-पौधों का अहम योगदान: डीएसपी