आखिर कौन जिम्मेदार है इन बेजुबान जल की रानी की मौत के लिए. घटना पटौदी क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले गांव इंछापुरी के जोहड़ की. बीते तीन माह से नहीं हो रही जोहड़ में नहर के पानी की आपूर्ति फतह सिंह उजाला पटौदी । मानसून की देरी , उफनंता पारा और इस उफनते पारे के बीच में तेजी से सूखते जोहड़ और घटते भूजल स्तर से यह हालात बने हुए हैं देहात के अधिकांश सार्वजनिक जोहड़ों में से अनेक जोहड़ तो पूरी तरह से पानी रहित सूखे पड़े हुए हैं । वही जहां जोहड़ों में थोड़ा बहुत पानी है , वह उफनते पारे के कारण इतना गर्म हो जाता है कि मैं तो उस पानी को पालतू मवेशी न पी सकते हैं न हीं पानी में नहाने के लिए जोहड़ में उतर सकते हैं । सबसे बड़ा संकट पानी में पलने वाले जीव विशेष रूप से मछलियों के लिए बन गया है । ऐसा ही एक बेहद दर्दनाक और झझकोर देने वाला मामला पौराणिक महत्व के गांव इंछापुरी के जोहड़ का सामने आया है । यहां गांव के बीचो.बीच बने जोहड़ में अनगिनत छोटी-बड़ी मछलियां गर्म और कम ंपानी के कारण बेमौत ही अपनी मौत मरने को मजबूर हो गई । लाख टके का सवाल यह है की जल की रानी कही जाने वाली इन मछलियों की मौत की जिम्मेदारी आखिर लेगा तो कौन लेगा ? मंगलवार को सुबह मेजबान ग्रामीण प्रतिदिन की तरह जब मछलियों को दाना डालने के लिए पहुंचे जो पांव तले जमीन निकल गई । पानी की स्तर पर पूरे जोहड़ में मरी हुई मछलियां ही तैरती दिखाई दे रही थी । जल्द ही यह सूचना मछली प्रेमियों सहित आसपास के ग्रामींणों के बीच में पहुंच गई । जोकि नित्य प्रति इन मछलियों को चारा अथवा दाना डालने के लिए पहुंचते थे । गांव के निवर्तमान सरपंच विजेंद्र की माने तो गांव के इस जोहड़ में पानी आपूर्ति की व्यवस्था नहर पर आधारित है । नहर में पानी रेवाड़ी से आता है और बीते काफी दिनों से जोहड़ में पानी का संकट बढ़ता चला जा रहा है। इस दौरान पटौदी सहित रेवाड़ी नेहरी विभाग के अधिकारियों को अनेकों बार अनुरोध किया गया कि नहर का पानी छोड़ कर जोहड़ में पानी की आपूर्ति की व्यवस्था की जाए । लेकिन हर बार टालमटोल का जवाब ही मिलता रहा । सरपंच बिजेंद्र के मुताबिक नेहरी विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि भाखड़ा बांध में भी करीब 54 मीटर पानी का लेवल मौजूदा समय में कम है । यही कारण है कि रेवाड़ी और अन्य जिलों के आसपास की नहरों में पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है । दूसरी और मंगलवार को पौराणिक महत्व के गांव इंछापुरी के इस जोहड़ में मछली प्रेमी लोगों के द्वारा पहल करते हुए जोहड़ में जितनी भी मरी हुई मछलियां थी, उन्हें धीरे.धीरे और जाल डालकर के एकत्रित किया गया। इसके बाद में सभी मृत मछलियों को जोहड़ से निकालने का काम आरंभ हुआ। जिस किसी ने भी हजारों हजार अनगिनत छोटी बड़ी मछलियों को मरे हुए देखा , सभी के सभी सन्न रह गए । कुछ प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों के मुताबिक औसतन 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के कारण जोहड़ में पानी का लेवल कम होने से और पानी गर्म हो जाने से जोहड़ में मछलियों को गरम पानी के बीच 8 से 10 फीट ऊंचाई तक तड़पकर उछलते हुए अक्सर देखा जाता था । बेजुबान जीवो की इस पीड़ा को जिसने भी देखा, अपने स्तर पर बहुत प्रयास किए कि जोहड़ में किसी प्रकार से पानी की आपूर्ति करके पानी के तापमान को कम किया जा सके । जिससे कि बेजुबान जल की रानी मछली का जीवन बचा रह सके । लेकिन ऐसा ग्रामीणों के लाख चाहने के बावजूद भी और कथित नेहरी विभाग की लापरवाही के कारण संभव नहीं हो सका। जिसका परिणाम और खामियाजा यह सामने आया है कि मंगलवार को लाखों की संख्या में जल की रानी मछली बे मौत, मौत का शिकार बन गई । ग्रामीणों की जिला प्रशासन, पटौदी प्रशासन, नेहरी विभाग, हरियाणा के कृषि मंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री से पुरजोर मांग है कि मवेशियों सहित मछलियों के जीवन की रक्षा के लिए जल्द से जल्द नहरी पानी की आपूर्ति आरंभ करते हुए नहरी पानी आधारित सभी जोहड़ों में पानी उपलब्ध करवाया जाए। जिससे कि घंमतू, पालतू मवेशियों के साथ में मछलियों को जीवित रहने लायक पानी उपलब्ध होता रहें। गांव इंछापुरी के जोहड़ में मृत अनेकानेक मछलियों के बारे में पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार और एमएलए सत्य प्रकाश जासवता को भी अवगत करा दिया गया है। Post navigation प्राथमिक शिक्षकों की मांगों को राज्य कार्यकारिणी के सामने रखा : अमित 37. 50 क्यूसेक पानी से बुझेगी पटौदी देहात की प्यास – जरावता