राव को एक और मंत्रालय मिलने से समर्थकों में उत्साह भी दिखा.
राव इंद्रजीत चार बार एमएलए और पांच बार चुने गए हैं सांसद.
जो अब मंत्रालय दिया है वह कद्दावर नेता के लिए काफी नहीं

फतह सिंह उजाला

पटौदी।    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमंडल विस्तारीकरण में राव इंद्रजीत सिंह को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), योजना मंत्रालय और कारपोरेट कार्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिलने पर जहाँ उनके समर्थकों ने खुशी जाहिर की है । वही इतने कद्दावर नेता को कैबिनेट में जगह न मिलने पर मन मे टीस भी दिखाई दे रही है।

जिला उप प्रमुख संजीव यादव, देशराज प्रधान, दयाराम लीडर, विजय पंडित, प्रदीप सरपंच, एडवोकेट एन के राव, चन्दन बावडा, अमर सरपंच बिरहेडा,महेंद्र दाढी, पूर्व पार्षद नीरू शर्मा, हरचंद सैनी, विजय गोयल एवं मुलचंद कौशिक आदि का कहना है राव साहब जाटुसाना से चार बार विधायक एवं महेंद्रगढ़ से दो बार तथा गुरुग्राम से लगातार तीन बार सांसद बने है।  राव इंद्रजीत सिंह दक्षिणी हरियाणा की आनबान और शान है। सरकार ने उन्हें जो पद दिया है वह कद्दावर नेता के लिए काफी नहीं है। जैसा उनका रुतबा है उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाना चाहिए था।इसके लिए वह प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि दक्षिणी हरियाणा को उसका हक मिलना चाहिए। उनका कहना है कि राव इंद्रजीत  सिंह 1977 में जाटूसाना से पहली बार विधायक चुने गए, इसके बाद भी तीन बार विधायक रहे और मंत्री भी बने।

1998 में पहली बार महेंद्रगढ़ से सांसद चुने गए, हालांकि साल भर बाद उपचुनाव में शिकस्त भी मिली। साल 2000 में फिर से महेंद्रगढ़ सीट से जीते। इसके बाद 2004 में फिर से जीत मिली। यूपीए-1 की सरकार में केंद्रीय केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और फिर रक्षा राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। 2009 में गुड़गांव लोकसभा अस्तित्व में आई, कांग्रेस के टिकट पर लड़े।  2014 के लोकसभा में 2 लाख 74 हजार 722 वोट से जीते थे। 17वी लोकसभा में साल 2019 मे उन्होंने 3 लाख 86 हजार 256 वोट सेे एतिहासिक जीत हासिल की। दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में दबदबा रखने वाले राव इंद्रजीत के मुकाबले अब कोई नहीं बचा है। उन्होंने पांचवीं बार सांसद बनकर वह कारनामा किया है जो प्रदेश की राजनीति में धुरंधर माने जाने वाले पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल, चिरंजी लाल शर्मा, पूर्व सीएम बंशीलाल, भजनलाल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं खुद उनके पिता राव बिरेंद्र भी नहीं कर पाए। राव ने अपनी सियासी पारी अपने पिता राव बिरेंद्र सिंह की तैयार की गई पिच से शुरू की और पीछे मुड़कर नहीं देखा। जाटुसाना से चार बार विधायक एवं महेंद्रगढ़ से दो बार तथा गुरुग्राम से लगातार तीन बार विजय पताका फहराकर देश की सबसे बड़ी पंचायत के लिए फिर निर्वाचित हुए है।

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