सामाजिक विषयों पर शाॅर्ट फिल्में बनाना ही लक्ष्य : अक्षय गौरी

कमलेश भारतीय

आने वाला समय शाॅर्ट फ़िल्मों का है और मेरा लक्ष्य है सामाजिक विषयों पर फिल्में बनाना । अभी तक आठ शाॅर्ट फिल्में बना चुका हूं जिनमें से चार को देश-विदेश के उत्कृष्ट फिल्म फेस्टिवल्ज में पुरस्कार भी मिले । यह कहना है अक्षय गौरी का जिनका जन्म हिसार में ही हुआ क्योंकि मम्मी-पापा दोनों हिसार के हैं, लेकिन अब रोहतक बसे हुए हैं । अक्षय की पढ़ाई-लिखाई रोहतक में ही हुई । जमा दो तक की शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल में की और फिर फरीदाबाद की मानव रचना यूनिवर्सिटी से किया बी टेक ।

-फिर फिल्म निर्देशन कहां से सीखा?
-कोलकाता के सत्यजित रे फिल्म इंस्टिट्यूट से । चार साल का कोर्स किया । सन् 2015 से 2019 तक ।

-कौन सा कोर्स किया ?
-फिल्म डायरेक्शन तथा स्क्रीन्राइटिंग।

-इस समय कोई जाॅब करते हो ?
-दिल्ली में विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के इंडिया साइंस चैनल में क्रिएटिव कंसल्टेंट हूं ।

-स्कूल काॅलेज मे क्या शौक रहे ?
-कविता लिखने का शौक रहा । सातवीं आठवीं कक्षा से ही । संगीत का भी शौक रहा। काॅलेज मे दूसरे देशों की फिल्में खूब देखता ।

-अब तक कितनी शाॅर्ट फिल्में बनाईं ?
-आठ ।

-कौन सी दिल के करीब ?
-तापड़ । यह छोटे किसान की समस्याओं पर आधारित है । इसकी शूटिंग भी हरियाणा में की गयी है ।

-कोई और शाॅर्ट फिल्म?
-फर्ज़न्दी । जो स्त्री विमर्श और नारी पर होने वाले अत्याचारों पर आधारित है । महिलाएं घरों के अंदर भी हिंसा की शिकार हो रही है । मनोवैज्ञानिक तौर पर भी प्रताड़ित की जाती हैं महिलाएं । ऑनर किलिंग पर भी फिल्म बनाई।

-पापा प्रमोद गौरी और मम्मी मनीषा हंस से क्या गुण ग्रहण किये ?
-जो भी बच्चा अपने आसपास देखता है उसका असर जरूर पड़ता है । मैं समझता हूं कि मुझ पर भी जाने अनजाने असर पड़ा । पढ़ने-लिखने की आदत लगी परिवार के माहौल से ही । और चूंकि माता-पिता दोनों ही सामाजिक कार्यकर्ता थे, बचपन से ही सामाजिक सरोकार भी माता पिता के कारण ही बना ।

-शाॅर्ट फ़िल्मों का भविष्य ?
-बहुत उज्ज्वल भविष्य है । आज समय की कमी के चलते सभी शाॅर्ट फिल्में देखना पसंद करते हैं । वैसे फीचर फिल्में भी बनाऊंगा ।

कोई पुरस्कार?
-आठ में से चार शाॅर्ट फिल्मों को देश-विदेश के विभिन्न जाने-माने फिल्म फेस्टिवल्ज में कुल 23 पुरस्कार मिल चुके हैं।

हमारी शुभकामनाएं अक्षय गौरी को ।

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