एचएयू में बागवानी अधिकारियों की वर्चुअल कार्यशाला में बागवानी में समग्र सिफारिशों को शामिल करने को लेकर हुआ मंथन

हिसार : 09 जुलाई – प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि किसान, वैज्ञानिक व कृषि अधिकारी मिलकर खेती को आजीविका का साधन न मानकर एक मिशन की तरह काम करें। इससे न केवल किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार व बागवानी विभाग हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान मेें वर्चुअल माध्यम से बागवानी अधिकारियों की आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे किसान की समस्या को ध्यान में रखते हुए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ तकनीक किसान तक लेकर आएं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करें। दिनों दिन पानी की कमी हो रही है, ऐसे में वैज्ञानिक कम पानी में तैयार की जाने वाली फसलों व बागवानी जैसी विभिन्न किस्मों व तकनीकों को विकसित करें ताकि कम खर्च में किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों को बागवानी व सब्जियों की ओर प्रेरित करने का आह्वान किया।

कृषि मंत्री जे.पी. दलाल ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से बाजार में उपलब्ध हाइब्रिड बीजों की तरह स्वयं का इसी प्रकार के हाइब्रिड बीज का ब्रांड तैयार कर कम लागत में किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश की सीमाएं राष्ट्रीय राजधानी से सट्टी हुई हैं इसलिए किसानों को अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए स्वयं सीधी मार्केटिंग करते हुए उसी अनुरूप लोगों की डिमांड अनुसार फल व सब्जियों की खेती करनी चाहिए। उन्होंने किसानों से समूह बनाकर खेती करने का आह्वान किया ताकि उन्हें बाजार तक अपनी फसल को पहुंचाने में परिवहन की लागत कम हो सके और अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इस दौरान प्रदेश के प्रगतिशील किसानों की सफलता की कहानी नामक पत्रिका का भी विमोचन किया गया।

क्षेत्र अनुसार तकनीक व किस्में विकसित करें ताकि लंबे समय तक मिले फायदा : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्नत तकनीकों व किस्मों को विकसित करें ताकि उस क्षेत्र के किसानों को इनका लंबे समय तक फायदा मिल सके। उन्होंने कहा कि साथ ही ऐसी तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता है जिससे फसलों में रसायनों का कम से कम प्रयोग हो सके और लोगों को शुद्ध व रसायन रहित खानपान हासिल हो सके। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश किए गए रसायनों व कीटनाशकों का ही प्रयोग करें और वैज्ञानिकों की सलाह लेकर उचित मात्रा, समय, स्थान व समस्या को ध्यान में रखकर प्रयोग करें। कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा, आईएएस ने संबोधित करते हुए किसान उत्पादक समूह बनाकर अधिक से अधिक लाभ उठाएं। प्रदेश में 600 किसान उत्पादक समूह बन चुके हैं और जल्द ही एक हजार समूह बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में अर्जित ज्ञान का अधिक से अधिक लाभ उठाएं ताकि उसका स्पष्ट असर किसानों के खेतों में नजर आए और अधिक से अधिक किसान लाभांवित हो सकें। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

एचएसएचडीए के मिशन डायरेक्टर एवं महानिदेशक(कृषि) हरियाणा डॉ. हरदीप सिंह, आईएएस ने कहा कि इस कार्यशाला के दौरान जो भी सिफारिशें मंजूर की जाएं उनका ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाया जाना चाहिए। महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने बागवानी के क्षेत्र में किए जा रहे विश्वविद्यालय के प्रयासों के बारे में जानकारी दी और बताया कि इसके लिए वे निरंतर प्रयासरत हैं।

विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने निदेशालय की ओर से किसान हितों के लिए की जा रही कल्याकारी गतिविधियों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने विश्वविद्यालय में फल व सब्जियों को लेकर चल रहे अनुसंधान कार्यों की जानकारी दी। हरियाणा के महानिदेशक डॉ. अर्जुन सिंह ने भी अपने विचार रखे। बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रणबीर सिंह ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। मंच का संचालन डॉ. सुनील ढांडा ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष सहित सभी जिलों के बागवानी विभाग के अधिकारी, फील्ड अधिकारी व किसान शामिल हुए।

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