महापुरुषों की जयंती ही नहीं बल्कि उनके संस्कार आत्मसात करने चाहिए।

गुरुग्राम-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर का कहना है कि देवऋषि नारद का जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित था। अपनी जानकारियां व क्षमता का उपयोग लोकहित में करते थे, यही पत्रकारिता का मूलधर्म है। श्री आंबेकर जी नारद जयंती के उपलक्ष्य में आपदाकाल में पत्रकारीय धर्म विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे  थे।

 विश्व संवाद केंद्र व गुरुग्राम यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सुनील आंबेकर का ने कहा कि राजनेताओं के आधार पर देश को दिशा नही दी जा सकती। इस दिशा में समाज के हर वर्ग को अपनी भूमिका निभानी होगी। ऐसे लोगों को उनका कर्तव्य याद दिलाना ही पत्रकारिता है। उनके अनुसार स्वाधीनता आंदोलन के दौर में पत्रकारों की भूमिका आज भी दिशा दर्शन का कार्य करती है।केवल लिखना पढ़ना ही नहीं बल्कि जो ज्ञान व योग्यता हमारे पास है, उनका उपयोग समाजहित व राष्ट्रहित में हो रहा है या नहीं, यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। ज्ञान स्वयं की इच्छापूर्ति के लिए नहीं बल्कि लोककल्याण के लिए होना चाहिए। नारद जी की यही भूमिका रहती थी। उन्होंने कहा कि जैसे योद्धा की परीक्षा युद्ध में होती है, वैसे ही आपदाकाल में योग्यता की पहचान होती है। कोरोना काल में अनेक पत्रकारों ने अपने पत्रकार धर्म को सार्थक किया है। उनके अनुसार निर्भीकता से तंत्र की गलत मानसिकता को समाज के सामने लाना चाहिए। सही को सही और गलत को गलत कहना पत्रकारिता मूलमंत्र होना चाहिए।

श्री आंबेकर के अनुसार प्रजातंत्र में हमारे विचार अलग हो सकते हैं परंतु देशहित का विचार अलग नहीं हो सकता। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि समाज में विघटन के समाचार नहीं बल्कि समाज जोड़ने के समाचारों पर जोर देना चाहिए। सृष्टि के प्रथम संवाददाता नारद ऋषि जी के जीवन चरित्र से यही प्रेरणा मिलती है। इससे पूर्व विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के सचिव राजेश कुमार ने विश्व संवाद केंद्र के क्रियाकलापों व कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि समाज व राष्ट्र हित में जो लेखनी चले वही पत्रकारिता है। इसी उद्देश्य से वी एस के हरियाणा पिछले कई वर्षों से नारद जयंती पर पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन करता है। समारोह के विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने अपने सम्बोधन में कहा कि हर युग में संकट के समय पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आजादी से पूर्व सत्ता बदलने में पत्रकारों की भूमिका रही है। परन्तु अब व्यवस्था बदलने में लेखनी चलनी चाहिए। केवल आलोचना ही नहीं करनी है। सकारात्मकता पत्रकारिता का भी धर्म निभाना चाहिए। उनका मानना है कि  नारद ऋषि जैसे महापुरुषों की जयंती मनाने से नहीं बल्कि उनके संस्कारों को आत्मसात करके समाजहित में कार्य करना चाहिए। देश सर्वोपरि है इस भाव के साथ पत्रकार अपने पथ पर अडिग रहना चाहिए।

कार्यक्रम की शुरआत करते हुए गुरुग्राम यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डॉ मार्केंडेय आहूजा ने कहा कि भारत अनेक आपदाओं से पीड़ित रहा है। लेकिन पराधीनता से बड़ी कोई आपदा नहीं थी। उस काल में देश को स्वतंत्र कराने के लिए पत्रकारों की भूमिका अनुकरणीय है। मौत को गले लगाकर पत्रकारिता धर्म निभाना हमको गौरवशाली बनाता है। उस वक्त पत्रकार का मेहनताना एक लोटा पानी, दो रोटी व बीस साल की सजा होता था। फिर भी अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे। आज का कार्यक्रम ऐसे कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारों की जय बोलने के लिए किया गया है।

इस कार्यक्रम में आरएसएस के पांच प्रान्तों के प्रचार प्रमुख अनिल कुमार, विभाग संघ चालक प्रताप यादव, प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ अशोक दिवाकर,आरएसएस के सह प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ लक्ष्मी नारायण, महानगर संघचालक जगदीश ग्रोवर, स्वतंत्रता सेनानी संघ के प्रांत सचिव महावीर भारद्वाज, अनुराग कुलक्षेत्र, जॉइन आरएसएस प्रान्त प्रमुख अमन शर्मा, समाज सेवी विमल शर्मा,नरेश यादव, सुरेंद्र दायमा, संघ के विभाग कार्यवाह हरीश कुमार, विभाग प्रचारक विकास, महानगर कार्यवाह संजीव सैनी, हिमांशु के अलावा गुरुग्राम यूनिवर्सिटी का स्टाफ आदि उपस्तिथ थे।

error: Content is protected !!